ब्रिटेन की एक सांसद रेचल हॉपकिंन्स ने जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के डिप्लोमैटिक ब्यूरो चीफ जाफर खान और अन्य सदस्यों से मुलाकात की है। ब्रिटेन की संसद में हुई इस मुलाकात के दौरान उन्होंने कश्मीर के आतंकी यासीन मलिक के केस की सुनवाई पर भी चर्चा की।
संगठन के सदस्यों से मुलाकात के बाद रेचल ने सोशल मीडिया पर कहा, "मैंने जाफर खान के साथ अहम बैठक की। इस दौरान यासीन मलिक को हुई सजा के खिलाफ अपील करने पर चर्चा हुई। मैं हमेशा कश्मीरियों और उनके अधिकारों के लिए खड़ी रहूंगी।"
JKLF पर जम्मू-कश्मीर में आतंक भड़काने और अलगाववाद को बढ़ावा देने का आरोप है। भारत ने साल 2019 में संगठन पर बैन लगा दिया था।
कश्मीर में आतंकी हमलों के लिए फंडिंग करता था
यासीन मलिक को 2022 में NIA कोर्ट ने टेरर फंडिंग केस, UAPA और देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने के आरोप में उम्र कैद सुनाई थी। दो मामलों में उम्रकैद और अन्य मामलों में 10 साल सजा सुनाई गई थी।
इसके बाद NIA ने यासीन की सजा को उम्रकैद से सजा-ए-मौत में बदलने की अपील की। यासीन पर पाकिस्तान के समर्थन से कश्मीर में आतंकी हमलों के लिए फंडिंग और आतंकियों को हथियार मुहैया कराने से जुड़े कई केस दर्ज थे।
OIC ने यासीन मलिक की सजा का विरोध किया था
ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (OIC) के ह्यूमन राइट्स कमीशन ने यासीन को सजा दिए जाने की निंदा की थी। OIC ने कहा था कि मलिक को अमानवीय परिस्थितियों में कैद किया गया, जो कश्मीर में रह रहे मुसलमानों के उत्पीड़न को दर्शाता है। OIC ने मलिक की सजा को भारतीय न्याय प्रणाली का मजाक बनाने जैसा बताया था।
भारत के विदेश मंत्रालय ने OIC के इस बयान का विरोध किया था। विदेश मंत्रालय ने कहा था कि OIC की टिप्पणियां स्वीकार नहीं की जाएंगी। अदालत में मलिक के खिलाफ लगे आरोप साबित हुए और उसके बाद ही उसे सजा सुनाई गई। भारत में आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस पॉलिसी है।
श्रीनगर में वायुसेना के जवानों पर हमला
मलिक पर 25 जनवरी 1990 को श्रीनगर में एयरफोर्स के जवानों पर हमला करने का आरोप है। इस घटना में 40 लोग घायल हुए थे, जबकि चार जवान शहीद हो गए थे। स्क्वॉड्रन लीडर रवि खन्ना इनमें से एक थे। यह सभी एयरपोर्ट जाने के लिए गाड़ी का इंतजार कर रहे थे, तभी आतंकियों ने उन पर हमला कर दिया था। मलिक ने एक इंटरव्यू में हमले की बात कबूल की थी।
मलिक पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व CM मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया सईद के अपहरण के भी आरोप लगे थे। 1990 में कश्मीरी पंडितों की हत्या कर उन्हें घाटी छोड़ने पर मजबूर करने में भी यासीन की अहम भूमिका थी।