अमेरिका की शिकागो पुलिस ने एक शख्स की कार पर महज 41 सेकेंड में 96 गोलियां चलाईं। इस दौरान कार के अश्वेत ड्राइवर डेक्सटर रीड की मौत हो गई। घटना 21 मार्च की बताई जा रही है। हालांकि, इससे जुड़ा वीडियो अब सामने आया है।
वीडियो घटना के दौरान मौजूद एक पुलिस अफसर की यूनिफॉर्म पर लगे बॉडी कैम में रिकॉर्ड हुआ था। इसमें 5 पुलिस अफसरों को एक सफेद रंग की कार पर फायर करते देखा जा सकता है। गोलियों की आवाज भी आ रही है।
पुलिस का कहना है कि रीड ने पहले एक अफसर पर फायर किया था। इसके जवाब में बाकी अफसरों ने फायरिंग की। हालांकि, वीडियो में रीड फायर करता नहीं दिख रहा है। लेकिन उसकी कार से गन बरामद की गई।
न्यूज एजेंसी AP की रिपोर्ट के मुताबिक, रीड ने ड्राविंग के दौरान सीट बेल्ट नहीं लगाया था, इसलिए पुलिस ने उसे रोका था।
पुलिस ने कहा- रीड ने पहले गोलियां चलाईं
वीडियो में देखा जा सकता है कि पुलिस ने 26 साल के डेक्सटर रीड की कार रोकी। उसने खिड़की का कांच खोला फिर बंद किया। पुलिस ने उससे कई बार बाहर आने के लिए कहा। जब रीड बाहर नहीं निकला तो अफसरों ने अपनी गन निकाली। इसके बाद गोलियां चलानी शुरू कर दीं। इसके बाद रीड को कार से निकलते और जमीन पर गिरते देखा गया। पुलिस ने फायरिंग जारी रखी।
मामले की जांच कर रही पुलिस अकाउंटेबिलिटी टीम का कहना है कि डेक्सटर रीड ने पहले पुलिस पर गोलियां चलाईं। जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने उस पर फायर किया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रीड ने 40 गोलियां चलाई थीं।
ट्रैफिक रूल्स न फॉलो करने पर पुलिस की फायरिंग से जुड़े अन्य मामले...
1. मई 2017 में फीनिक्स सिटी, अलास्का में गश्ती कार के बाहर खड़े दो पुलिस अधिकारियों ने 27 साल के अश्वेत सेड्रिक मिफलिन को रोका था। कार चला रहे मिफलिन नहीं रुके। उन्होंने सीट बेल्ट नहीं पहना था। इस पर पुलिस अफसर माइकेल सीवर्स ने मिफलिन की चलती कार पर अपनी पिस्तौल से 16 फायर किए थे। इस दौरान मिफलिन की मौत हो गई थी।
2. अमेरिका में ओहायो के एक्रोन शहर में 27 जून 2023 को पुलिसवालों मे एक अश्वेत व्यक्ति पर गोलियां बरसा दीं, जिससे उसकी मौत हो गई। मरने वाले का नाम जेलैंड वॉकर था। वह ट्रैफिक रूल्स फॉलो नहीं कर रहा था। पुलिस के रोकने बाद भी उसने भागने की कोशिश की।
3. 11 अप्रैल 2021 में डॉन्टे राइट को ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं करने के लिए गोली मार दी गई।
अमेरिका में बढ़ रहा नस्लभेद
ऐसा बिल्कुल नहीं है कि अमेरिका में सिर्फ अश्वेत ही मारे जाते हैं। श्वेत भी मारे जाते हैं, लेकिन ‘द इकोनॉमिस्ट’ की एक रिपोर्ट में आंकड़ों के हवाले से बताया गया था- पुलिस के हाथों मारे जाने वाले श्वेतों की तुलना में अश्वेतों की संख्या 3 गुना ज्यादा है। US की जेलों में 33% कैदी अश्वेत हैं।
US में रंगभेद के इतिहास 250-300 साल पुराना
जब यूरोप के श्वेत आप्रवासियों ने अमेरिका में बसना शुरू किया तो वे अफ्रीका से हजारों-लाखों अश्वेतों को गुलाम बनाकर वहां ले गए। वे मजदूर नहीं, गुलाम थे। इन अश्वेत गुलामों के लिए घर, भोजन, कपड़ा, शिक्षा, दवा और सुरक्षा, कुछ भी ठीक नहीं था। इन्हें जानवरों की तरह खरीदा और बेचा जाता था।
1790 में अमेरिकी जनसंख्या में अश्वेतों की संख्या 19.3% थी, लेकिन उनके नागरिक अधिकार 1 प्रतिशत भी नहीं थे। न उन्हें वोट देने का अधिकार था, न अदालतों से न्याय पाने का और न ही इलाज करवाने का।
यदि कोई गोरा उनकी किसी बात से नाराज हो जाए तो अश्वेतों को पकड़कर जिंदा जला देते थे, पेड़ों पर लटकाकर फांसी दे दी जाती थी या कुंओं में धक्का दे देते थे। इसके बावजूद अमेरिका का दावा रहा है कि वह दुनिया का सबसे समतामूलक, स्वतंत्रतामूलक और न्यायमूलक राष्ट्र है।