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370 का लक्ष्य साधती भाजपा और भारत जोड़ो न्याय यात्रा

Updated on 25-02-2024 07:18 AM
  मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी प्रत्येक बूथ पर 370 वोट बढ़ाने का लक्ष्य कार्यकर्ताओं को देकर प्रदेश में सभी लोकसभा क्षेत्रों में जीत का शंखनाद  करने की रणनीति पर चल रही है तो वहीं प्रदेश  कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार की जुगलजोड़ी का पूरा प्रयास लोकसभा चुनाव में कुछ सीटें भाजपा से छीनने का है। कौन अपने लक्ष्य में कितना सफल रहता है यह तो लोकसभा चुनाव के नतीजों से ही पता चलेगा। भाजपा की  कोशिश विधानसभा चुनाव की एकतरफा जीत की खुमारी से कार्यकर्ताओं को निकाल कर 100 दिन तक पूरी मुस्तैदी के साथ मैदान में जुटाने की है। दूसरी ओर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी के सामने पहले अपने कार्यकर्ताओं को विधानसभा चुनाव की हार की हताशा से उबार कर उनमें जोश व उमंग के साथ लोकसभा चुनाव के लिए कमर कस तैयार करने की है। भाजपा के सामने चुनौती उतनी बड़ी नहीं है जितनी कि कांग्रेस के सामने है। भाजपा को तो केवल एक और सीट छिंदवाड़ा की बढ़ाना है जबकि कांग्रेस के सामने छिंदवाड़ा पर अपना कब्जा बरकरार रखने के साथ ही साथ भाजपा से कुछ सीटें छीनने का है। फिलहाल जो राजनीतिक माहौल प्रदेश में है और मतदाताओं के बीच जो सोच चल रही है उसको देखते हुए कांग्रेस के सामने चुनौती हिमालयीन उछाल मार रही है जिसका सामना करना आसान प्रतीत नहीं होता।
      लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा ने अब पूरी तरह से कमर कस ली है और मैदानी जमावट के लिए कार्यकर्ताओं को जुटने के साथ ही उन्हें कुछ टिप्स भी दिये हैं। अपने मैदानी कार्यकर्ताओं को वरिष्ठ भाजपा नेताओं ने साफ कर दिया है कि अब 100 दिन डटकर काम करना है और किसी भी भ्रम या गलतफहमी में मत रहना, विधानसभा में प्रचंड जीत मिली तो इसका मतलब यह नहीं होना चाहिये कि खुश होकर बैठ जायें, अब आगे आकर हर बूथ को जीतकर दिखाना है। भाजपा इस बार कांग्रेस को एक और जोर का झटका देना चाहती है ताकि वह मध्यप्रदेश में संभल न पाये और भाजपा को प्रदेश के राजपथ पर निर्विघ्न विचरण करते रहने का लम्बे समय तक मौका मिल जाये। भाजपा ने अगले 100 दिन का अपना रोडमैप भी रेखांकित कर दिया है और लोकसभा चुनाव प्रभारी महेन्द्र सिंह, सह-प्रभारी सतीष उपाध्याय, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, प्रदेश अध्यक्ष सांसद विष्णु दत्त शर्मा और प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा ने मैदानी अमले को लोकसभा चुनाव के लिए हर दिन का प्लान बनाकर काम करने की समझाइश दी है। भाजपा आगामी दो मार्च से तीन दिनी जनसंपर्क अभियान चलायेगी। हितग्राहियों से संवाद कर एक बड़ा वोट बैंक और खड़ा करने का भाजपा का प्रयास है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष शर्मा ने कहा है कि डॉ. श्यामा प्रसाद  मुखर्जी का बलिदान धारा 370 के लिए हुआ था, उस भाव के साथ ही हर बूथ पर डॉ. मुखर्जी के प्रति 370 वोट बढ़ाकर कार्यकर्ता समर्पण करने का लक्ष्य निर्धारित करें, इससे हर बूथ पर 10 प्रतिशत वोट शेयर बढ़ाने का लक्ष्य प्राप्त करने में आसानी होगी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कार्यकर्ताओं को जीत के टिप्स देते हुए कहा कि प्रदेश के 53 हजार गांवों तक पहुंच कर भाजपा सरकार की योजनाओं का लाभ दिलाने में सतत कार्य करें। इसका मतलब साफ है कि कार्यकर्ता हितग्राहियों से तारतम्य बैठायें और उन्हें अहसास करायें कि वे उन्हें योजनाओं का लाभ दिलाने में सहभागी होंगे।
राहुल गांधी के सहारे अपना आधार बढ़ाती कांग्रेस
       एक ओर जहां मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी मैदान में नजर आ रही है तो वहीं दूसरी ओर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सांसद राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा 2 मार्च को मध्यप्रदेश में प्रवेश  करेगी और यह पांच दिन तक यहां चलेगी। इस दौरान अलग-अलग थीम पर युवा, महिला व किसानों से राहुल गांधी चर्चा करेंगे, उनका यह आयोजन जंगी और प्रभावी बने इसके लिए प्रदेश कांग्रेस ने भी नेताओं को जिम्मेदारी बांट दी है। भाजपा में जाने और कांग्रेस छोड़ने की कमलनाथ और उनके सांसद बेटे नकुल नाथ को लेकर जो गहमागहमी का माहौल राजनीति में चला उसके बाद अब साफ हो गया है कि कमलनाथ पूरे पांच दिन इस यात्रा में साथ रहेंगे और उनके बेटे नकुलनाथ भी भाजपा में नहीं जा रहे हैं, वे छिंदवाड़ा से कांग्रेस उम्मीदवार होंगे, यह बात पूरी तरह से स्पष्ट करने की उन्होंने और उनके समर्थकों ने कोशिश की है। कमलनाथ का राहुल गांधी के साथ यात्रा में शामिल होना कांग्रेसजनों के लिए और प्रदेश में कांग्रेस की बचीखुची संभावनाओं के लिए कितना कारगर होगा यह कुछ दिन बाद ही पता चल सकेगा, लेकिन फिलहाल कांग्रेस इस यात्रा में पूरी एकजुटता का परिचय देने का प्रयास करेगी। यात्रा में कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार तथा कांग्रेस विधायक दल के उपनेता हेमंत कटारे सहित सभी बड़े कांगेस नेता शामिल  होंगे। भाजपा का प्रयास होगा कि इस यात्रा के दौरान कांग्रेस के कुछ बड़े नेता भाजपा में शामिल  हो जायें ताकि इस यात्रा का जो प्रभाव पड़े उसे न्यूनतम किया जा सके। जैसे-जैसे यात्रा मध्यप्रदेश में आगे बढ़ेगी, उस दौरान भाजपा कोई दलबदल का बड़ा तड़का लगा पायेगी या नहीं यह देखने वाली बात होगी। लेकिन कमलनाथ ने यह तय कर लिया है कि वह पांच दिन तक इस यात्रा में शामिल  रहेंगे। इस निर्णय से यह संकेत कमलनाथ देना चाहेंगे कि वे और उनके पुत्र नकुलनाथ कहीं नहीं जायेंगे। कमलनाथ ने प्रदेश की जनता व कांग्रेस कार्यकर्ताओं से भारत जोड़ो न्याय यात्रा में शामिल होने की अपील करते हुए कहा है कि कांग्रेस कार्यकर्ता राहुल गांधी की अगवानी के लिए उत्साहित हैं। अन्याय, अत्याचार व शोषण के खिलाफ हम सबके नेता राहुल गांधी पूरे प्रदेश में सड़क पर उतर कर एक निर्णायक लड़ाई का ऐलान कर चुके हैं। हम और आप मिलकर अन्याय के खिलाफ जारी इस महाअभियान को अंजाम तक पहुंचायेंगे। राहुल गांधी की यात्रा पांच दिन तक मध्यप्रदेश में रहेगी और 698 किमी का सफर तय कर 9 जिलों के 6 लोकसभा क्षेत्रों को कवर करेगी। धौलपुर से मध्यप्रदेश के मुरैना में प्रवेश करेगी और यहां राहुल गांधी की पहली सभा होगी। इसके बाद शिवपुरी , गुना, राघौगढ़ और राजगढ़ में सभायें होंगी। इसके अलावा राहुल गांधी रोडशो और नुक्कड़ सभाओं द्वारा भी लोगों को सम्बोधित करेंगे। मुरैना से लेकर रतलाम तक राहुल गांधी अलग-अलग ग्रुपों से चर्चा भी करेंगे। 6 मार्च को धार जिले के बदनावर में आदिवासियों के बीच राहुल गांधी की ब़ड़ी सभा होगी। राहुल गांधी की यात्रा को सफल बनाने के लिए जीतू पटवारी ने कमर कस ली है और उन्होंने 22 कमेटियों का गठन किया है। प्लानिंग कमेटी में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष और पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व पूर्व नेता प्रतिपक्ष सहित सभी वरिष्ठ नेताओं को शामिल  किया गया है।
और यह भी
       राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा भाजपा की मजबूत पकड़ वाली जिन 6 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस के लिए उर्वरा जमीन की तलाश करेगी उसमें मुरैना, ग्वालियर, गुना-शिवपुरी , राजगढ़, उज्जैन और रतलाम-झाबुआ लोकसभा सीटें शामिल  हैं। एक ओर जहां कांग्रेस आदिवासी वर्ग को साधने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा रही है तो वहीं दूसरी ओर भाजपा ने भी समूची शक्ति इन वर्गों को अधिक से अधिक अपने साथ जोड़ने में लगा रखी है। अब यह तो चुनाव नतीजों से ही पता चल सकेगा कि भाजपा और कांग्रेस में से कौन आदिवासियों को अधिक से अधिक अपने साथ जोड़ने में सफल हो पाता है।
-अरुण पटेल
-लेखक, संपादक  

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