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आधी आबादी के साथ अनेक लक्ष्यों को साधती भाजपा

Updated on 04-02-2024 09:23 AM
मध्यप्रदेश में राजनीतिक वातावरण फरवरी माह में काफी उठा-पटक और उथल-पुथल से भरा रहने की संभावना है क्योंकि एक तो सत्ताधारी दल भाजपा और दूसरे मुख्य प्रतिपक्षी दल कांग्रेस अब पूरी तरह से लोकसभा चुनाव के मूड में आ चुके हैं और इस माह के अंतिम सप्ताह में 27 फरवरी को राज्यसभा के द्विवार्षिक चुनाव भी होना है। भाजपा का प्रयास जहां आधी आबादी को अपने से जोड़ने के लिए एक बड़ा दॉव चलने का है जिसके अंतर्गत उत्तर भारत के 12 राज्यों के महिला मोर्चाे का एक बड़ा अधिवेशन मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में फरवरी माह में ही आयोजित होने जा रहा है, इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल  होंगे। हाल ही में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने महिला वोटरों को साधने के लिए कई योजनायें चलाई थीं और कई कार्यक्रम आयोजित किये, जिसके चलते उसे महिलाओं के वोट पूर्व की तुलना में अधिक संख्या में प्राप्त हुए। इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए भाजपा लोकसभा चुनाव से पहले इस माह के अंतिम सप्ताह में महिला मोर्चों का अधिवेशन भोपाल में आयोजित करेगी। 9 से 11 फरवरी तक भाजपा मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव के पूर्व कई लक्ष्यों को साधने के लिए ‘गांव चलो अभियान‘ भी चलायेगी। राज्यसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों के नाम सामने आने के बाद यह पता चल सकेगा कि लोकसभा चुनाव में वे किस वर्ग को साधना चाहते हैं।
     जहां तक राज्यसभा चुनाव का सवाल है उसमें पांच सीटों के लिए चुनाव होना हैं। भाजपा के जो चार सदस्य जिनका कार्यकाल पूरा हो रहा है उनमें अजय प्रताप सिंह, कैलाश सोनी, धर्मेन्द्र प्रधान, एल. मुरुगन हैं। कांग्रेस के राजमणि पटेल का कार्यकाल भी पूरा हो रहा है, राजमणि पटेल ओबीसी वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं, कांग्रेस केवल एक ही सदस्य को राज्यसभा भेज सकती है इसलिए वह किस वर्ग के लोगों को साधने की कोशिश कर रही है यह उसके द्वारा चयनित किए गए प्रत्याशी को देखकर ही कहा जा सकेगा, जबकि भाजपा चार वर्गों को साध सकती है क्योंकि उसके चार उम्मीदवार आसानी से चुनाव जीत जायेंगे। यह माह गहमागहमी से भरा इसलिए भी रहने वाला है क्योंकि विधानसभा का बजट सत्र भी इसी माह में हो रहा है जो कि 19 फरवरी तक चलेगा। राज्यसभा के लिए नामांकन की प्रक्रिया 8 फरवरी से प्रारंभ होगी और 15 फरवरी तक नामजदगी पर्चे दाखिल किए जा सकेंगे। विधानसभा का बजट सत्र भी 7 फरवरी से 19 फरवरी तक चलना है। इस सत्र में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पूरी तरह से मुस्तैद रहेंगे और एक-दूसरे पर बढ़त लेने का शायद ही कोई अवसर हाथ से जाने दें, विधानसभा का बजट सत्र इसीलिए हंगामाखेज होेने की संभावना है। डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार भी पूरा बजट पेश करने वाली नहीं है और केन्द्र सरकार की तर्ज पर यहां भी अंतरिम बजट पेश किया जायेगा तथा लोकसभा चुनाव के बाद शेष अवधि के लिए बजट पेश होगा। राजनीतिक गलियारों में इस उत्तर की तलाश रहेगी कि क्या भाजपा राज्यसभा चुनाव में पांचवीं सीट पर भी अपना उम्मीदवार उतार कर चुनाव के हालात पैदा करेगी या आम सहमति से चुनाव हो जायेंगे, क्योंकि एक सीट पर तो जीतना कांग्रेस के लिए वोटों के गणित के हिसाब से खतरे में नजर नहीं आता है। लेकिन यह बात भी सही है कि इस समय प्रदेश में कांग्रेस काफी कमजोर जमीन पर खड़ी है क्योंकि एक तो वह राज्य विधानसभा का चुनाव बुरी तरह हार चुकी है और जिन हाथों में कांग्रेस का संगठन और विधायी पक्ष है उन्हें अभी अपनी नेतृत्व क्षमता को साबित करना है।
फिलहाल अभी तो यह अनुमान ही लगाया जा सकता है कि कांग्रेस की हिस्से वाली पांचवीं सीट के लिए भाजपा शायद  अपना उम्मीदवार न उतारे, लेकिन राजनीतिक बीथिकाओं में यह चर्चाएं सरगर्म हैं कि भाजपा पांचवीं सीट के लिए भी किसी को निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर उतार सकती है। 2016 के राज्यसभा चुनाव में भाजपा ने इस तरह का प्रयोग किया था लेकिन कांग्रेस के वोटों में एक निर्दलीय उम्मीदवार को उतारने के बाद उसका यह प्रयोग विफल रहा था। विवेक तन्खा की राह रोकने के लिए विनोद गोटिया को जो भाजपा के ही नेता थे उन्हें चुनाव मैदान में उतारा गया था। उस समय भाजपा 2 और कांग्रेस 1 सीट जीतने की स्थिति में थी और भाजपा ने दो सीटों पर अनिल माधव दवे और एम. जे. अकबर को मैदान में उतारा था जबकि कांग्रेस की ओर से विवेक तन्खा उम्मीदवार बनाये गये थे। उस वक्त विधानसभा में भाजपा के विधायकों की संख्या 165 और कांग्रेस के विधायकों की संख्या 57 थी, कांग्रेस के पास एक वोट कम था, जबकि बसपा के 4 और एक निर्दलीय विधायक थे। उस समय बसपा ने कांग्रेस का साथ दिया और विनोद गोटिया हार गये थे। कांग्रेस इस बार भी काफी सतर्क है क्योंकि उसे लगता है कि भाजपा एक निर्दलीय उम्मीदवार उस पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने के लिए उतार सकती है, यदि ऐसा होता है तो कांग्रेस भी एक निर्दलीय उम्मीदवार खड़ा कर सकती है।
भाजपा का ‘गांव चलो अभियान‘
        भाजपा शहर के साथ ही गांवों की चौपाल तक अपनी पकड़ और मजबूत करने के लिए तीन दिवसीय ‘गांव चलो अभियान‘ चलायेगी। अभी तक उसने बूथ सशक्तीकरण या बूथ चलो के नाम से अभियान चलाये थे, लेकिन पहली बार वह गांव चलो अभियान आरंभ करने जा रही है। पार्टी इसके माध्यम से अपना 58 प्रतिशत वोट हासिल करने का लक्ष्य साधेगी और इसका आधार वह केंद्र व राज्य सरकारों की जनकल्याणकारी योजनाओं को बनायेगी। भाजपा को इस बात का पक्का भरोसा है कि इस अभियान के बाद जब कार्यकर्ता लोगों से अपनी बात कहेंगे तो उन पर मतदाताओं का विश्वास ज्यादा होगा क्योंकि दोनों ही सरकारों की योजनाओं का लाभ हितग्राहियों को मिल रहा है। भाजपा का प्रयास है कि अंतिम पंक्ति के अंतिम व्यक्ति तक प्रधानमंत्री मोदी की योजनाओं का लाभ मिले ताकि लाभार्थियों के एक बड़े वर्ग को वह पार्टी से जोड़ पाये। विधानसभा चुनाव में जिन बूथों पर भाजपा को हार मिली उनको जीतना और जीते हुए बूथों पर 10 प्रतिशत वोट शेयर बढ़ाने का लक्ष्य है। पार्टी इस अभियान के माध्यम से कार्यकर्ताओं को गांव की चौपालों तक भेजना चाहती है। इस तीन दिवसीय अभियान में केंद्रीय मंत्री, सांसद, मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल के सदस्यों के साथ ही पार्टी के वरिष्ठ नेता व कार्यकर्ता 24 घंटे गांवों में बितायेंगे। प्रदेश के गांवों व नगरीय बूथों तक भाजपा की रीति-नीति और केंद्र तथा राज्य सरकार की योजनाओं का प्रचार-प्रसार करना भी पार्टी की प्राथमिकताओं में शामिल है। पार्टी के सामने यह बात आई है कि शहर और गांवों के वोट प्रतिशत में काफी अन्तर रहता है। इसलिए इस बार भाजपा का ध्यान गांवों पर अधिक केंद्रित है
और यह भी
       कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए बजट को लेकर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा है कि इसमें पूरी ईमानदारी से आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और नैतिक यानी चार झूठ बोले गये हैं। उन्होंने इन्हें स्पष्ट करते हुए कहा कि 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज देने वाली केंद्र सरकार दावा कर रही है कि 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है यह भाजपा का वर्ष 2024 में बोला गया सबसे बड़ा ‘‘आर्थिक‘‘ झूठ है, क्योंकि मैं जिस देश में रहता और लोगों से मिलता हूं वहां गरीबी की परिभाषा अलग है और भाजपा के सरकारी कागजों में अलग तरीके से  बताई  जा रही है। इसी प्रकार उन्होंने अन्य तीन झूठ की भी अपने ढंग से व्याख्या की है।
अरुण पटेल,लेखक,संपादक


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