यमन के हूती विद्रोहियों पर एयरस्ट्राइक देकर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन देश और पार्टी दोनों में घिर गए हैं। गुरुवार रात के बाद शुक्रवार को भी युद्ध विरोधी लोगों ने व्हाइट हाउस के बाहर प्रदर्शन किया। इन लोगों का कहना था कि बाइडेन चुनावी साल में देश को नई जंग में झोंक रहे हैं।
दूसरी तरफ, बाइडेन की डेमोक्रेट पार्टी के कुछ सांसदों ने भी हमले का विरोध किया है। इनका कहना है कि प्रेसिडेंट को हमले से पहले संसद की मंजूरी लेनी चाहिए थी।
अमेरिका और ब्रिटेन ने गुरुवार को यमन के हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की थी। एक रिपोर्ट के मुताबिक- कुल 60 टारगेट हिट किए गए। इनमें 6 हूती विद्रोही मारे गए। हूती ने हमले का बदला लेने की धमकी दी है।
दो जगह विरोध प्रदर्शन
न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर और व्हाइट हाउस के सामने एंटी वॉर प्रोटेस्टर्स ने रैली की। इस दौरान प्रेसिडेंट बाइडेन के खिलाफ नारेबाजी हुई। इन लोगों ने कहा- यमन में अमेरिका ने हमला क्यों किया। चुनावी साल में बाइडेन इसका फायदा उठाना चाहते हैं। अमेरिकी इतिहास में ऐसा पहले भी हुआ है। इसका सबसे बड़ा नुकसान गाजा के लोगों को होगा, क्योंकि जंग का दायरा अब रेड सी तक बढ़ जाएगा।
कुछ लोगों ने कहा- यह वक्त जंग खत्म करने का है और हमारे राष्ट्रपति एक नया मोर्चा खोल रहे हैं। बाइडेन अच्छी तरह जानते हैं कि वो अगला इलेक्शन नहीं जीत सकते, इसलिए वो जंग के जरिए सियासी फायदा हासिल करने की साजिश रच रहे हैं।
संविधान का मजाक बना दिया
व्हाइट हाउस के बाहर विरोध के बाद बाइडेन अपनी ही पार्टी में भी घिर गए। उनकी पार्टी के सांसद इस बात से सख्त खफा हैं कि बाइडेन ने इस हमले के लिए संसद को जानकारी देकर उसकी मंजूरी क्यों नहीं ली।
सांसद रो खन्ना ने कहा- कोई भी राष्ट्रपति अपनी मर्जी से देश को जंग में नहीं झोंक सकता। हम मिडिल ईस्ट में एक और जंग की शुरुआत कर रहे हैं। यमन पर हमला गलत है। इसके लिए संसद की मंजूरी न लेना संविधान का मजाक बनाने जैसा है। चाहे वो कोई भी नेता या पार्टी हो, उसे संसद के पास जाकर जंग शुरू करने या हमला करने की मंजूरी लेनी होती है। बाइडेन ने ऐसा क्यों नहीं किया, जबकि हमारा संविधान इस बारे में बिल्कुल साफ आदेश देता है।
खन्ना ने कहा- हमारे संविधान का सेक्शन 2सी इस बारे में बिल्कुल क्लीयर है। फिर बाइडेन ने इसका पालन क्यों नहीं किया। अगर आज यह जंग बड़ी हो जाती है तो क्यों फंडिंग के लिए बाइडेन को संसद से मंजूरी नहीं लेनी होगी? और जब संसद ये पूछेगी कि आपने तो संविधान को ही नहीं माना तो वो देश और पार्टी को क्या जवाब देंगे। कुछ और सांसदों ने भी करीब-करीब यही बात कही है।
बाइडेन ने क्या कहा
गुरुवार को यमन में हूती विद्रोहियों पर हमले के बाद बाइडेन ने कहा- ये एक्शन लाल सागर में जहाजों पर हुए हमलों का बदला है। उधर, हूती विद्रोहियों ने ब्रिटेन और अमेरिका को हमले का बदला लेने की धमकी दी और कहा कि अब ये रुकने वाले नहीं हैं। हमलों के चलते लाल सागर से गुजरने वाले 2 हजार जहाजों को अपना रास्ता बदलना पड़ा। अपने लोगों और शिपिंग रूट को बचाने के लिए मैं ज्यादा सख्त आदेश दे सकता हूं।
2016 के बाद ये यमन में हूती विद्रोहियों के खिलाफ किया गया अमेरिका का पहला अटैक है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक यमन में किए जा रहे हमलों में अमेरिका और ब्रिटेन की सेना के साथ ऑस्ट्रेलिया, बहरीन, कनाडा और नीदरलैंड की नेवी भी शामिल हैं। रेड सी के इस रास्ते से दुनिया का करीब 15% समुद्री कारोबार होता है।
भारत पर भी असर
23 दिसंबर 2023 की शाम। कॉमर्शियल जहाज 'MV Chem Pluto' सऊदी अरब के जुबैल पोर्ट से मंगलोर जा रहा था। अरब सागर में इस जहाज पर ड्रोन हमला हुआ। उस वक्त ये जहाज गुजरात के पोरबंदर से 217 समुद्री मील यानी करीब 390 किमी दूर था।
ये एक केमिकल टैंकर जहाज था, इसके चालक दल में 21 भारतीय और एक वियतनामी नागरिक था। हमले की खबर मिलते के बाद भारतीय तटरक्षक जहाज ICGS विक्रम की सुरक्षा में ये जहाज मुंबई पहुंचा।
इससे ठीक पहले लाल सागर में MV Saibaba जहाज पर भी हमला हुआ था। ये जहाज भारत आ रहा था और इसमें सवार ऑपरेटिव टीम के सभी 25 लोग भारतीय थे। इस पर गैबॉन का झंडा लगा था। दोनों हमलों के बाद इस ट्रेड रूट की सुरक्षा के लिए भारत ने अपने 5 वॉरशिप उतार दिए।
प्रोफेसर अरुण कुमार बताते हैं कि ऐसा पहली बार हो रहा है कि अंतरराष्ट्रीय बिरादरी व्यापार के समुद्री मार्ग को लेकर चिंतित है। अमेरिका, चीन, भारत सहित कई देश एक साथ नजर आ रहे हैं।
भारत का 80% व्यापार समुद्री रास्ते से होता है। वहीं 90% ईंधन भी समुद्री मार्ग से ही आता है। अगर समुद्री रास्ते में कोई सीधे हमला करेगा तो भारत के कारोबार पर असर पड़ेगा। देश की सप्लाई चेन बिगड़ जाएगी।