Select Date:

रूद्राभिषेक का लाभ

Updated on 26-07-2021 03:21 AM
मनुष्य जिस भी उद्देश्य से रूद्राभिषेक करता है, वह पूर्ण होता है। रूद्राभिषेक करने से आपको सुख-शांति, खुशी, धन और सफलता मिलती है।जल में इत्र मिलाकर अगर व्यक्ति रूद्राभिषेक करता है तो उसकी सारी बीमारियां नष्ट हो जाती है।
गन्ने के रस से रूद्राभिषेक करने पर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।धनवृद्धि के लिए शहद और घी से रूद्र का अभिषेक करे।
रूद्राभिषेक करने से मनुष्य की हर मनोकामना पूरी होती है।मोक्ष की प्राप्ति के लिए तीर्थस्थान के जल से अभिषेक करना चाहिए।सरसों के तेल से अभिषेक करने पर शत्रु पराजित होते है।रुद्राभिषेक से मानव की आत्मशक्ति, ज्ञानशक्ति और मंत्रशक्ति जागृत होती है | अभिषेक से ग्रह दोष और रोगों से मुक्ति मिल जाती है। भगवान शिव का रूद्राभिषेक करने से मनवांछित फल प्राप्त होता है।
रूद्राभिषेक का महत्व
प्राचीन कथा के अनुसार विष्णु की नाभि से उत्पन्न कमल से ब्रह्मा जी की उत्पत्ति हुई थी। ब्रह्माजी द्वारा अपने जन्म का कारण पूछने पर विष्णुजी ने ब्रह्मा की उत्पत्ति का रहस्य बताया। यह कहा कि मेरे कारण ही आपका जन्म हुआ है, लेकिन ब्रह्माजी यह स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हुए और दोनों में युद्ध शुरू हो गया। भगवान शिव इस युद्ध से नाराज होकर रुद्र लिंग रूप में अवतरित हुए। इस लिंग का आदि -अंत जब ब्रह्मा और विष्णु को पता नहीं चला तो उन्होंने हार मान ली। फिर दोनों ने मिलकर लिंग का अभिषेक किया, जिससे भगवान शिव प्रसन्न हो गए और तभी से रुद्राभिषेक का आरम्भ हुआ।
पूजा विधि
रूद्राभिषेक किसी योग्य ब्राह्मण द्वारा या स्वयं से भी किया जा सकता है। इस रूद्राभिषेक में पंचामृत से लेकर गन्ने का रस, दीपक, तेल या घी, फूल, फल इत्यादि सामग्री का प्रयोग होता है। शिवलिंग को उत्तर दिशा में स्थापित करते हुए भक्त शिवलिंग के निकट पूर्व दिशा की ओर मुंख करके बैठते हैं। रूद्राभिषेक का प्रारंभ गंगा जल से किया जाता है और गंगा जल के साथ हर तरह के अभिषेक के बीच शिवलिंग को स्नान करवाया जाता है। इसके बाद अभिषेक के लिए आवश्यक सभी सामग्री शिवलिंग पर अर्पण की जाती है। अंत में, भगवान की आरती करने के बाद विशेष व्यंजन अर्पित किये जाते हैं।


अन्य महत्वपुर्ण खबरें

 17 November 2024
वारः रविवारविक्रम संवतः 2081शक संवतः 1946माह/पक्ष: मार्गशीष (अगहन) मास – कृष्ण पक्षतिथि: द्वितीया तिथि शाम 9 बजकर 06 मिनट तक तत्पश्चात तृतीय रहेगी.चंद्र राशि: वृष राशि रहेगी .चंद्र नक्षत्र: रोहिणी नक्षत्र शाम 5 बजकर 22 मिनट तक…
 16 November 2024
वारः शनिवार, विक्रम संवतः 2081,शक संवतः 1946,माह/पक्ष: मार्गशीष (अगहन) मास – कृष्ण पक्ष,तिथि : प्रतिपदा तिथि रात 11 बजकर 50 मिनिट तक तत्पश्चात द्वितीया रहेगी.चंद्र राशि : वृष राशि रहेगी ,चंद्र…
 15 November 2024
हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का अधिक महत्व माना गया है और इस दिन गंगा स्नान करने का विधान होता है. स्नान के बाद दान करना बहुत ही फलदायी माना…
 15 November 2024
देव दीपावली का पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन सभी देवी-देवता धरती पर आकर गंगा घाट पर दिवाली…
 15 November 2024
वारः शुक्रवारविक्रम संवतः 2081शक संवतः 1946माह/पक्ष: कार्तिक मास – शुक्ल पक्षतिथि: पूर्णिमा तिथि रहेगी.चंद्र राशि: मेष राशि रहेगी.चंद्र नक्षत्र : भरणी नक्षत्र रात्रि 9:54 मिनट तक तत्पश्चात कृतिका नक्षत्र रहेगा.योगः व्यातिपात योग रहेगा.अभिजित मुहूर्तः दोपहर 11:40 से 12:25दुष्टमुहूर्त: कोई नहीं.सूर्योदयः प्रातः…
 14 November 2024
बैकुंठ चतुर्दशी का पर्व हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है, जो इस बार 14 नवंबर 2024 को है. यह दिन विशेष रूप…
 14 November 2024
14 नवंबर को कार्तिक शुक्ल पक्ष की उदया तिथि त्रयोदशी और गुरुवार का दिन है। त्रयोदशी तिथि आज सुबह 9 बजकर 44 मिनट तक रहेगी, उसके बाद चतुर्दशी तिथि लग…
 13 November 2024
वारः बुधवारविक्रम संवतः 2081शक संवतः 1946माह/पक्ष: कार्तिक मास – शुक्ल पक्षतिथि: द्वादशी दोपहर 1 बजकर 01 मिनट तक तत्पश्चात त्रियोदशी रहेगी.चंद्र राशिः मीन राशि रहेगी .चंद्र नक्षत्रः रेवती नक्षत्र रहेगा.योगः…
 12 November 2024
वारः मंगलवारविक्रम संवतः 2081शक संवतः 1946माह/ पक्ष: कार्तिक मास – शुक्ल पक्षतिथि : एकादशी शाम 4 बजकर 04 मिनट तक रहेगी. तत्पश्चात द्वादशी रहेगी.चंद्र राशि: मीन रहेगी.चंद्र नक्षत्र : पूर्वा…
Advertisement