एमडीआर पर चार्ज
वित्त वर्ष 2024 में, UPI ट्रांजैक्शन प्रोसेसिंग का खर्च 12,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। इसमें से 4,000 करोड़ रुपये 2,000 रुपये से कम वाले ट्रांजैक्शन पर खर्च हुए। 2020 से, भारत सरकार ने 2,000 रुपये से कम के UPI ट्रांजैक्शन पर MDR (मर्चेंट डिस्काउंट रेट) माफ कर दिया है ताकि डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा मिले। 2021 से, सरकार इन छोटे ट्रांजैक्शन का MDR खुद वहन करने लगी। 2,000 रुपये से ज्यादा के ट्रांजैक्शन पर 1.1% मर्चेंट शुल्क लग सकता है।इंडस्ट्री के एक एक्जीक्यूटिव ने कहा कि सरकार ने UPI के विकास में अहम भूमिका निभाई है। छोटे ट्रांजैक्शन की लागत वहन करके सरकार ने लोगों को UPI अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया है। लेकिन छोटे ट्रांजैक्शन पर MDR न होने से UPI प्लेटफॉर्म्स के पास यूजर्स से सीधे कमाई करने के ज्यादा रास्ते नहीं हैं। UPI की ग्रोथ लगातार जारी है। जनवरी 2025 में 16.99 अरब ट्रांजैक्शन हुए, जिनकी कुल वैल्यू 23.48 लाख करोड़ रुपये थी। यह दिसंबर 2024 की तुलना में 1.55% ज्यादा ट्रांजैक्शन और 1% ज़्यादा वैल्यू है। साथ ही, यह पिछले साल की तुलना में 39% की बढ़ोतरी दर्शाता है।