Select Date:

विधानसभा चुनाव: मोदी-शाह की अग्नि परीक्षा

Updated on 02-10-2023 09:21 AM
अगले दो माह में तीन राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव मोदी के माथे पर सिलवटें खीच रहे है और शाह अपने तमाम रणनीतिक कौशल के बावजूद आश्वस्त नजर नहीं आ रहे हैं। मोशा की पुरजोर कोशिश है कि राज्यों में सरकार भाजपा की बनें, क्योंकि उनकी चिंता का असली सबब 2024 का लोकसभा चुनाव है। फिलहाल मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में संकेत अच्छे नहीं हैं। मध्यप्रदेश में सरकार के खिलाफ संकेत मिल रहे है तो भूपेश बघेल अपनी जीत के प्रति आश्वस्त हैं। राजस्थान में वसुंधरा ने घर बैठने का ऐलान कर भाजपा के लिए नई मुसीबत खड़ी कर दी है।
पिछले दो आम चुनाव मोदी की भाजपा ने बिना चुनौती की जीत लिए थे लेकिन इस बार जीत का रास्ता बहुत टेढ़ा मेढा दिख रहा है। मोदी शाह आशान्वित हैं कि एक वर्ष बाद होने वाले लोकसभा चुनाव तक वे हवा अपने पक्ष में कर लेंगे। मध्य प्रदेश के चुनावी मैदान में केंद्रीय मंत्री और सांसदों को उतार कर ठहरे पानी में हलचल पैदा की जा रही है। बहुत संभव है कि ये लोग लोकसभा चुनाव में विजय दिलाने की स्थिति में ना हो इसलिए राज्य विधानसभा चुनाव में झोंक दिए गए हों। जीत गए तो अपने और हार गए तो घर बैठो वाली हालत हो सकती है। 
निकट भविष्य में होने वाले कुछ राज्यों के विधानसभा चुनाव नरेंद्र मोदी के मिशन 2024 की राह में सबसे बड़ा रोड़ा साबित हो सकते हैं। इन चुनावों में विजय पाना मोशा के लिए जीवन मरण का सवाल है। इसमें चुके तो यह  हार 2024 में नरेंद्र मोदी के फिर से प्रधानमंत्री बनने के सपने को ध्वस्त कर सकती है। और अमित शाह किसी भी कीमत पर यह होने नहीं देंगे। इन राज्यों में विजय पाने के लिए जो भी आवश्यक है शाह वो सब बेरहमी से करेंगे। आने वाला समय बताएगा कि कितने दिग्गजों की बलि ली जाएगी और कितने युवकों का राजनीतिक भविष्य समाप्त होगा। 
मध्य प्रदेश में भाजपा सत्ता और अपनी साख दोनों बचाए रखने के लिए कटिबद्ध है। किसी भी कीमत पर विजयश्री का वरण करने के लिए अनपेक्षित, अप्रत्याशित और हैरतअंगेज फैसले लिए जा रहे हैं। इस चुनावी समर में  भाजपा ने अपने राष्ट्रीय महासचिव और तीन केंद्रीय मंत्रियों के साथ ही चार सांसदों को भी विरोधियों से दो दो हाथ करने के लिए जमीन पर उतार दिया है। एक तरफ जहां भाजपा अति आक्रामक हो रही है तो दूसरी तरफ शाह के मास्टर स्ट्रोक के सामने कांग्रेस हतप्रभ दिखाई पड़ रही है।
उम्मीदवारों के नाम घोषित करने की अब तक की परिपाटी यही रही है कि नामांकन तिथि के करीब आ जाने के बाद ही भाजपा प्रत्याशियों की घोषणा की जाती थी। लेकिन अपने कुछ ही दौरों में अमित शाह ने भांप लिया कि धरातल पर सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। भाजपा के लिए फतह की राह आसान नहीं है। अतः लड़ाई के परंपरागत तरीकों से अलग हटकर कुछ चौंकाने वाले फैसले लेने होंगे। विरोधी दलों पर हावी होने वाली इस आक्रामक रणनीती के चलते भाजपा ने जिस तरह चुनाव आयोग द्वारा चुनावों की विधिवत घोषणा होने के पहले ही अपने प्रत्याशी घोषित करने शुरू कर दिए हैं, उससे यही साफ होता है कि वह विरोधी दलों से आगे रहने की रणनीति पर चल रही है। अब यह तो चुनावों के परिणाम बताएंगे कि उनकी यह रणनीति कितनी कारगर रही लेकिन विरोधी दलों के लिए इसकी अनदेखी खतरनाक सिद्ध हो सकती है। 
चुनावी राज्यों में भाजपा अपने उम्मीदवारों की सूची दर सूची जारी कर रही है। और भाजपा के इन अप्रत्याशित हमलों से विरोधी खेमा किंकर्तव्यमूढ़ता की हालत में पहुंच चुका है। उनका थिंक टैंक इस स्थिती से बाहर निकलने का प्रयास कर रहा है लेकिन देर हो चुकी है। भाजपा के तरकश से लगातार निकल रहे तीरों की काट ढूँढने में उनके पसीने छूट रहे हैं। इन अनूठे तरीकों के हमले से भौचक्का विपक्ष अपनी लय, चाल और दिशा तीनों ही भूल चुका है।
फिलहाल तो भाजपा अपने विरोधियों से आगे दिखाई पड़ रही है लेकिन भाजपा नेतृत्व के लिए भीतरी चुनौतीयों से निपटना आसान नहीं होगा। अब तक घोषित भाजपा प्रत्याशियों के नाम देखकर यह तो स्पष्ट हो रहा है कि खराब छवि वाले नेताओं को दरकिनार किया जा रहा है लेकिन इन बाहुबली क्षत्रपो के भीतराघात से जो नुकसान संभावित है उसको लेकर भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व के माथे पर चिंता की लकीरे भी उभर रही है। 
विद्रोह का रास्ता अपनाने वाले भाजपाईयों के लिए मोशा का संदेश स्पष्ट है कि किसी भी किस्म की अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी और पार्टी की नीती से अलग जाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा उन पर सख्त कार्यवाही करने में कोई हिचकिचाहट नहीं दिखाई जाएगी।   
बीतते समय के साथ चुनाव की इस बिसात पर दोनों ही तरफ से कई कुटिल चालें चली जायेगी, क्रूर हमले किए जाएंगे, तीखे शब्द बाण छोड़े जाएंगे, गड़े मुर्दे उखाड़े जाएंगे, मोहरे बदले जाएंगे और शह और मात के इस खेल में नियम बदलने के प्रयास भी किए जाएंगे। 
विपक्ष के उम्मीदवारों के नाम उजागर होने के बाद संभावित्त हार से बचने के लिए कुछ भाजपा प्रत्याशीयों के नाम बदले भी जा सकते हैं। 
उधर कांग्रेस ने जवाबी हमले के रूप में मध्यप्रदेश के कालापीपल विधानसभा क्षेत्र के पोलायकलां जैसी छोटी और राष्ट्रीय पटल पर लगभग अनजानी जगह में अपने सर्वोच्च सेनापति की सभा करवा कर चुनावी राजनीती को एक नयी दिशा देने का प्रयास किया है। 
ऐसे में यह तो तय है कि मतदाताओं को लुभाने के लिए प्रमुख राजनीतीक दलों द्वारा लीक से हटकर की जा रही इन अजीबोगरीब चेष्टाओं के चलते यह चुनाव पहले से कहीं अधिक रोचक सिद्ध होने वाले हैं।

- राजकुमार जैन, लेखक,स्वतंत्र विचारक

अन्य महत्वपुर्ण खबरें

 30 April 2025
पाकिस्तान को हमेशा गद्दारी करने पर भी भारत ने बड़ा हृदय रखकर क्षमादान परंतु पाकिस्तान हमेशा विश्वास घाट पर आतंकवादी षड्यंत्र किए  पाकिस्तान ने हमारी सहनशक्ति के अंतिम पड़ाव पर…
 27 April 2025
12 सबसे बेहतरीन विरासतें..1. बुद्धिमत्ता (Wisdom)बुद्धिमत्ता स्कूलों में नहीं सिखाई जाती, यह जीवन के अनुभवों से प्राप्त होती है। माता-पिता ही सबसे अच्छे शिक्षक होते हैं। अपने बच्चों को मार्गदर्शन…
 24 April 2025
सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाल में विधानसभाअों द्वारा पारित विधेयको को सम्बन्धित राज्यपालों द्वारा अनंत काल तक रोक कर ‘पाॅकेट वीटो’ करने की प्रवृत्ति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय…
 17 April 2025
रायपुर I छत्तीसगढ़ ने वित्तीय वर्ष 2025 में औद्योगिक निवेश के क्षेत्र में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। प्रोजेक्ट टूडे सर्वे द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में 218 नई…
 14 April 2025
भारतीय संविधान के शिल्पी डॉ. भीमराव अंबेडकर के जीवन से जुड़ा एक रोचक प्रसंग याद आता है जब एक बार विदेशी पत्रकारों का प्रतिनिधि मंडल भारत भ्रमण पर आया। यह प्रतिनिधि…
 13 April 2025
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्षी दलों यानी इंडिया ब्लाक पर हमला करते हुए कहा है कि विपक्ष का एकमेव लक्ष्य परिवार का साथ और परिवार का विकास है। मध्यप्रदेश के…
 11 April 2025
महात्मा फुले का जन्म 11 अप्रैल 1827 को महाराष्ट्र के सतारा में हुआ था।  ज्योतिबा फुले बचपन से ही सामाजिक समदर्शी तथा होनहार मेधावी छात्र थे,  आर्थिक कठिनाइयों के कारण …
 10 April 2025
मप्र के छतरपुर जिले के गढ़ा ग्राम स्थि‍त बागेश्वर धाम के स्वयंभू पीठाधीश पं.धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने अपने इलाके में ‘पहला हिंदू ग्राम’ बसाने का ऐलान कर नई बहस को…
 06 April 2025
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने दावा किया है कि बीते वित्तीय वर्ष में उनकी सरकार ने आठ साल पुरानी देनदारियां चुकाई हैं। उनका कहना है कि यह सब…
Advertisement