जिस प्रकार इस समय देश का माहौल राममय हो रहा है उसी प्रकार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भगवान श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट के विकास की सुध ली है और अब 400 करोड़ रुपये से रामजन्मभूमि अयोध्या की तर्ज पर चित्रकूट में भी निखार आयेगा तथा उसका वैभव वापस लौटेगा।
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा है कि अयोध्या, चित्रकूट और अमरकंटक में श्रीराम के प्रत्यक्ष प्रमाण मिलते हैं, सरकार इनको जल्द ही संवारेगी। म.प्र. में रामपथ गमन पथ के चार मार्ग होंगे। 1450 किमी लम्बे इन चार मार्गों में 632 किमी राष्ट्रीय राजमार्ग, 493 किमी मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम, 47 किमी लोक निर्माण विभाग, 184 किमी प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना और 93 किमी की क्षेत्रीय सड़कें शामिल होंगी, जिनका उन्नयन करना प्रस्तावित है।
श्रीरामचन्द्र न्यास के अध्यक्ष मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 16 जनवरी 2024 मंगलवार को इस न्यास की पहली बैठक ली और राम वनगमन पथ पर मंथन किया। न्यास की पहली बैठक में यह निश्चित किया गया है कि राम वनगमन पथ के 23 चिन्हित स्थानों का जल्द रोडमैप तैयार कर काम आरंभ किया जाये। परिक्रमा पथ पर क्या-क्या काम होना हैं उन पर भी चर्चा हुई। मुख्यमंत्री डॉ. यादव का कहना था कि मार्गों का विकास तो होगा ही लेकिन उससे ज्यादा जरुरी है कि पहले मार्ग पर आने वाले श्रीराम से जुड़े स्थलों को विकसित किया जाये और सबसे पहले चित्रकूट का समग्र विकास अयोध्या की तर्ज पर हो। कनेक्टीविटी बढ़ाने पर भी जोर दिया गया।
समग्र विकास की कार्ययोजना की रुपरेखा तैयार कर न्यास की अगली बैठक में पेश की जायेगी। न्यास की बैठक अब हर तीन माह में होगी और यदि यह नियमित होती रही तो फिर इसका वैभव लौटने में दो-मत नहीं होंगे। यह काफी पुरानी योजना है लेकिन अभी तक इस पर जिस गति से काम हुआ उसे देखते हुए यही कहावत चरितार्थ होती है कि ‘‘नौ दिन चले अढ़ाई कोस‘‘, लेकिन इस समय देश में जो राममय माहौल बना हुआ है उसको देखते हुए यह उम्मीद की जा सकती है कि अब इस पर तेजी से अमल होगा। डॉ. यादव का कहना है कि राम से जुड़ी स्मृतियों का साल भर प्रचार किया जायेगा। जिला पर्यटन परिषद एवं अन्य विभागों को इसके लिए कार्ययोजना तैयार करने को कहा गया है। न्यास की पहली बैठक में 23 स्थलों की जानकारी रखी गयी।
डॉ. यादव का कहना था कि राम पर शोध करने वाले विद्वानों की समिति बनाकर स्थल का निर्धारण करवा लें ताकि इनको लेकर कोई विवाद की स्थिति न बने, इसको लेकर अगली बैठक में स्थलों को विकसित करने के प्रोजक्ट रखे जायें, लेकिन सबसे पहले चित्रकूट के समग्र विकास का रोडमैप तैयार किया जाये। यदि एक बार सुनिश्चित कार्ययोजना के तहत विकास कार्य प्रारंभ हो गये तो फिर यह काम पूर्ण होने में बीच में कोई रुकावट आयेगी ऐसी संभावना नहीं है।
राम वनगमन पथ का पहला मार्ग 168 किमी लम्बा, दूसरा मार्ग 428 किमी, तीसरा मार्ग 378 किमी लम्बा और चौथा मार्ग 476 किमी लम्बा होगा, चौथा मार्ग छत्तीसगढ़ राज्य सीमा के हरचौक से प्रारंभ होगा। चित्रकूट के विकास के लिए इंट्रीग्रेटेड प्लान के तहत चित्रकूट सहित चार नगरों को नामांकित गया है। पांच सौ करोड़ की योजना में पहले चित्रकूट नहीं था। एशियन डेवलपमेंट बैंक से मिली राशि में से अभी 100 करोड़ रुपये की राशि शेष बची है। मुख्यमंत्री डॉ.यादव ने प्रस्ताव को संशोधित करने को कहा है और अब एशियन डेवलपमेंट बैंक से राशि मांगेंगे। पुरानी शेष राशि और नयी राशि से चित्रकूट का पूर्ण विकास होगा। कार्ययोजना पर चरणबद्ध तरीके से अमल होगा। चित्रकूट के दीपावली मेले और अमावस्या मेले में श्रीराम के जीवन से जुड़ी प्रदर्शनी लगाने के लिए मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देशित किया। सतना जिले के मझगंवा के दूरस्थ आदिवासी बहुल गांव पटनाखुर्द में विकसित भारत संकल्प यात्रा को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि श्रीराम ने वनवास के दौरान 11 वर्षों तक चित्रकूट की धरती पर निवास किया था और वर्तमान समय चित्रकूट सतना और अयोध्या के लिए आलोकित है। 22 जनवरी को श्रीरामलला अपनी जन्मभूमि में विराजमान होने वाले हैं। उन्होंने लोगों से यह भी अपील की है कि इस अवसर पर सभी अपने घरों में दीपावली मनाकर उल्लास और उत्साह को आत्मसात कर जीवन को धन्य बनायें। अब यह उम्मीद बंधी है कि राम वनगमन पथ अवश्य ही विकसित होगा।
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