28 सितंबर, 2023 : गुरुवार को अनंत चतुर्दशी मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा की जाएगी। दरअसल भगवान विष्णु के 12 नाम हैं, जिनमें से एक अनंत है। अनंत चतुर्दशी के दिन मध्याह्न के समय इनकी पूजा करने का और साथ ही व्रत करने का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, स्वयं श्री कृष्ण के कहने पर पांडवों ने भी इस व्रत को किया था। इस व्रत को करने से आपकी मुश्किलें कम हो सकती हैं और आपकी धन और संतान आदि की कामना की भी पूर्ति होगी।_*
अनंत चतुर्दशी पूजा विधि
अनंत चतुर्दशी के दिन स्नान आदि के बाद, नित्य कर्मों से निवृत्त होकर, साफ कपड़े पहनकर पहले व्रत का संकल्प लेना चाहिए। फिर भगवान की पूजा करनी चाहिए। इसके लिए सबसे पहले घर की पूर्व दिशा को अच्छे से साफ करके, वहां पर कलश की स्थापना करें। फिर कलश के ऊपर कोई थाल या अन्य कोई बर्तन स्थापित करें। फिर उस बर्तन में कुश से बनी हुए भगवान अनंत की मूर्ति स्थापित करें और उसके आगे कुमकुम, केसर या हल्दी से रंगा हुआ कच्चे सूत का चौदह गांठों वाला धागा रखें। इस धागे को अनंत भी कहा जाता है। अब कुश से बने अनंत जी और चौदह गाठों वाले धागे की विधि-पूर्वक गंध, पुष्प, धूप-दीप, नैवेद्य आदि से पूजा करें और संभव हो तो भगवान की कथा भी पढ़ें। फिर पूजा आदि के बाद अनंत देव का ध्यान करते हुए उस धागे को अपनी बाजू पर बांध लें। पुरुष अपने दाहिने हाथ में और महिलाएं अपने बाएं हाथ में उस चौदह गांठों वाले धागे को बांधें। दरअसल, अनंत धागे की चौदह गांठे चौदह लोकों की प्रतीक मानी गई हैं। यह धागा भगवान विष्णु को प्रसन्न करने वाला और अनंत फल देने वाला माना गया है । इसे धारण करने से हर तरह की मुसीबतों से रक्षा होती है और साधक का कल्याण होता है।_*
यह रक्षा सूत्र एक दो नहीं बल्कि चाैदह गांठों का होता है। मान्यता है कि चौदह लोकों की रचना करने के बाद, भगवान विष्णु ने इन लोकों की सुरक्षा व रखरखाव के लिए स्वयं को चौदह अलग-अलग रूपों में प्रकट किया था। इसमें अनंत, ऋषिकेष, पद्मनाभ, माधव, वैकुंठ, श्रीधर, त्रिविक्रम, मधुसूदन, वामन, केशव, नारायण, दामोदर, और गोविंद रूप शामिल है। वहीं चौदह गांठें चौदह लोकों में से एक का प्रतिनिधित्व करती हैं, जिनमें भूर्लोक, भुवर्लोक, स्वर्लोक, महर्लोक, जनलोक, तपोलोक, ब्रह्मलोक, अतल, विट्ठल, सतल, रसातल, तलातल, महातल और पाताललोक शामिल हैं।_*
चाैदह गांठों के सूत्र का महत्व
रक्षा सूत्र से व्यक्ति भय व पापमुक्त होता है। यह भी मान्यता है कि जो व्यक्ति लगातार चौदह वर्षों तक अनंत चतुर्दशी का व्रत व अनंत सूत्र को बांधता है, उसे भगवान की कृपा से भगवान विष्णु के दिव्य निवास वैकुंठ की प्राप्ति होती है। अनंत चतुर्दशी के दिन जल, रोली, चंदन, धूप और दीप आदि से अनंत सूत्र और भगवान विष्णु की विधिवत पूजा की जाती है। इसके बाद महिलाएं अपनी बाईं बांह पर व पुरुष अपनी दाईं बांह पर अनंत सूत्र बांधते हैं। इस अनुष्ठान के दौरान मंत्र ओम अनंताय नमः या अनंतसागर महासमुद्रे मगनानसंभ्युधर वासुदेव। बांह पर रक्षा सूत्र बांधने के साथ नमो नमस्ते'' का जाप किया जाता है।
अनंत चतुर्दशी का महत्व
अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु की आराधना करने और उपवास रखने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और कभी धन-धान्य की कमी नहीं होती है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, इस व्रत को रखने वाले जातकों पर लक्ष्मीनारायण की अपार कृपा रहती है। अनंत चतुर्दशी के दिन श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करना भी फलदायी माना जाता है।_*