इजराइल-हमास जंग 6 महीने से जारी है। इस बीच अप्रैल-मई 2024 में 6 हजार भारतीय इजराइल जाएंगे। वे यहां श्रमिकों की कमी पूरी करेंगे।
दिसंबर में करीब 800 से ज्यादा भारतीय नौकरी के लिए इजराइल पहुंचे थे। इनमें से ज्यादातर केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश के थे।
दरअसल, मई 2023 में इजराइल और भारत के बीच लेबर फोर्स को लेकर एक समझौता हुआ था। इसके तहत 42 हजार भारतीय कामगार इजराइल में काम करने जाने वाले थे। दिसंबर में जंग को लेकर इजराइली PM नेतन्याहू ने PM मोदी से फोन पर बात की थी। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच भारतीय लेबर को इजराइल भेजने के एग्रीमेंट में तेजी लाने पर सहमति बनी थी।
यह विदेशी श्रमिकों की सबसे बड़ी संख्या
इजराइली सरकार ने बुधवार देर रात जारी एक बयान में कहा कि इजराइली प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO), वित्त मंत्रालय और कंस्ट्रक्शन एंड हाउसिंग मिनिस्ट्री के चार्टर उड़ानों पर सब्सिडी देने के संयुक्त निर्णय के बाद श्रमिकों को एयर शटल से इजराइल लाया जाएगा।
6 हजार भारतीयों के इजराइल पहुंचने वाले फैसले पर इजराइली सरकार ने कहा, "यह इजराइल में कंस्ट्रक्शन सेक्टर के लिए कम समय में पहुंचने वाले विदेशी श्रमिकों की सबसे बड़ी संख्या है।"
इजराइल में श्रमिकों की कमी क्यों...
7 अक्टूबर को इजराइल-हमास जंग शुरू होने के बाद इजराइल ने वहां काम कर रहे फिलिस्तीनियों का वर्क परमिट खारिज कर दिया। इजराइल की कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री में उस वक्त करीब 80 हजार फिलिस्तीनी लेबर काम करती थी। उनके जाने के बाद इजराइल में लेबर की कमी होने लगी।
इसका सीधा असर इजराइल की GDP पर पड़ने का खतरा मंडराने लगा। इजराइल के वित्त मंत्रालय ने आशंका जताई थी कि कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री का काम ठप होने के चलते इजराइल की GDP में 3% की गिरावट आ सकती है।
इसके बाद नवंबर 2023 में इजराइल ने कंस्ट्रक्शन और एग्रीकल्चर इंडस्ट्री में वीजा देना शुरू कर दिया।
श्रमिकों को इजराइल में 5 गुना ज्यादा सैलरी मिलती है
भारत के विदेश मंत्रालय के मुताबिक इजराइल में श्रमिक लोहे की बाइंडिंग, फ्लोर-टाइल्स सेटिंग, प्लास्टरिंग और कारपेंटर जैसे काम करते हैं। इन्हें भारत के मुकाबले 5 गुना ज्यादा सैलरी मिलती है।
इजराइल सरकार की एजेंसी Population and Immigration Authority ने भारत से जाने वाले वर्कर्स के लिए सैलरी स्ट्रक्चर जारी किया। इसके मुताबिक, उन्हें हर महीने 1.37 लाख रुपए सैलरी दी जाएगी। भारत से उन्हीं कामगारों को इजराइल भेजा जाएगा, जिनके पास मैकेनिकल या फिर कंस्ट्रक्शन ट्रेड में डिप्लोमा है।
तीन फैक्टर जिनकी वजह से खतरे के बावजूद वर्कर्स इजराइल जा रहे
सभी वर्कर्स को पता है कि इजराइल में इस वक्त युद्ध चल रहा है, इसके बावजूद वे वहां जा रहे हैं। इसकी वजहों पर लखनऊ के डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के एकेडमिक डीन रहे प्रोफेसर एपी त्रिपाठी ने तीन फैक्टर बताए।
1. भारत में इतनी सैलरी मिलना नामुमकिन
ये ह्यूमन टेंडेंसी है कि जहां ज्यादा पैसा मिलेगा, उसी तरफ वर्कर्स का माइग्रेशन होगा। इजराइल में हर महीने 1.37 लाख रुपए मिलेंगे। भारत में इस तबके को इतना पैसा मिलना नामुमकिन है।
2. भारत में दिहाड़ी मजदूरी अस्थायी काम
भारत में दिहाड़ी मजदूरी अस्थायी काम है, यानी आज काम है तो कल शायद न हो। इसलिए यहां के वर्कर लंबे वक्त की नौकरी में ज्यादा दिलचस्पी रखते हैं। यही कारण है कि जान जोखिम में होने के बावजूद ये वर्कर्स अपने जीवन में स्थिरता के लिए इजराइल जाने से नहीं कतरा रहे हैं।
3. युद्ध के बाद इजराइल में वर्कर्स की डिमांड बढ़ेगी
ऐसा देखा गया है कि जंग के बाद कंस्ट्रक्शन का काम तेजी से होता है। इजराइल में इस वक्त री-कंस्ट्रक्शन का फेज चल रहा है, इसलिए आने वाले समय में वहां वर्कर्स की डिमांड बढ़ेगी।