खालिस्तानी आतंकियों के साथ खड़ा अमेरिका
इसके अलावा रविवार को, अमेरिका ने कैलिफोर्निया में एक और तथाकथित 'खालिस्तान समर्थक जनमत संग्रह' की अनुमति दी, जो इस साल अमेरिकी धरती पर इस तरह का दूसरा मामला है। साथ ही, अमेरिका भारत पर खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश में कथित रूप से शामिल अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। पन्नू को भारत में आतंकवादी के रूप में नामित किया गया है।
अमेरिका ने 2019 के बाद K-2 रणनीति को किया तेज
अमेरिका स्थित हडसन इंस्टीट्यूट के एक शोध पत्र में बताया गया है कि 2019 के बाद से प्रमुख अमेरिकी और यूरोपीय शहरों में कश्मीरी और खालिस्तान समर्थक अलगाववादियों द्वारा कम से कम 15 "संयुक्त विरोध प्रदर्शन" हुए हैं। 'K2' रणनीति की उत्पत्ति के बारे में बताते हुए रवि शेखर नारायण सिंह ने बताया कि खालिस्तान समर्थक और कश्मीरी अलगाववादी हमेशा भारत के मुकाबले अपनी विदेश नीति के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अमेरिका के हाथों की कठपुतली रहे हैं। उन्होंने कहा,"न केवल पाकिस्तान, बल्कि 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में हार से अमेरिका भी बुरी तरह अपमानित हुआ था। इसके बाद अमेरिका के समर्थन से खालिस्तान आंदोलन ने जोर पकड़ना शुरू कर दिया, जो 13 साल बाद पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की हत्या के साथ चरम पर पहुंच गया।"