इराक में मौजूद अमेरिकी सेना को निकालने के लिए शनिवार को बगदाद में पहले राउंड की बैठक हुई। इसमें इराक के प्रधानमंत्री मोहम्मद शिया-अल-सुदानी सहित कई सीनियर अधिकारी और इराक की सेना के अफसर मौजूद रहे।
PM ऑफिस ने अपने स्टेटमेंट में कहा- इराक और अमेरिका के बीच सैन्य गठबंधन को खत्म करने के लिए पहली बैठक हुई है। मिलिट्री एक्सपर्ट्स मिलकर ISIS के खिलाफ बने वैश्विक गठबंधन के सैन्य मिशन को खत्म करने का नेतृत्व करेंगे। फिलहाल इराक में करीब 2500 अमेरिकी सैनिक मौजूद हैं।
इराक में ISIS के खतरे की जांच होगी
इराक के PM ऑफिस की स्टेटमेंट के मुताबिक, अमेरिकी सैनिकों की वापसी के लिए 3 वर्किंग ग्रुप बनाए गए हैं। ये इस बात की जांच करेंगे कि इराक में फिलहाल ISIS का कितना खतरा है। इसके अलावा इराकी सेना को मजबूत करने के लिए कितनी ट्रेनिंग और सपोर्ट की जरूरत है।
अमेरिका के मुताबिक, सैन्य मिशन खत्म करने की शर्तों पर बातचीत के लिए एक कमेटी बनाई गई थी। इसकी पहली बैठक पिछले साल हुई थी। लेकिन गाजा में इजराइल की जंग तेज होने के बाद से इराक में मौजूद ईरान-समर्थक गुटों ने इराक और सीरिया में अमेरिकी सैनिकों पर कई हमले किए। इसके जवाब में अमेरिका ने कार्रवाई की। हालांकि, इराक में इसका जमकर विरोध हुआ।
ISIS बोला- अमेरिका सिर्फ हमलों और दबाव की भाषा समझता है
अमेरिका ने लगातार इस बात पर जोर दिया है कि इराक से सेना को निकालने का फैसला 7 अक्टूबर को इजराइल पर हमास के हमले से पहले हो चुका था। हालांकि, इराक में मौजूद ISIS ने दावा किया है कि उनके हमलों के बाद अमेरिका ने इराक छोड़ने का फैसला किया है। ISIS ने कहा- अमेरिका सिर्फ दबाव और हमलों की भाषा जानता है। हम उन पर हमले जारी रखेंगे।
इससे पहले 20 जनवरी को भी इराक में मौजूद अमेरिकी फौज पर बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला हुआ था। इसमें कई सैनिक घायल हो गए थे। अमेरिका की सेंट्रल कमांड ने इस हमले के पीछे ईरान के समर्थन वाले गुट को बताया था। हमले में अमेरिका के अल असद एयरबेस को निशाना बनाया गया था। इजराइल-हमास जंग शुरू होने के बाद से इराक-सीरिया में अमेरिका पर 140 से ज्यादा बार हमला हुआ है।
इराक में और अमेरिकी सैनिकों के घुसने पर पाबंदी
इराक के प्रधानमंत्री अल सुदानी ने अपने देश में और अमेरिकी सैनिकों के घुसने पर पाबंदी लगा दी है। सुदानी ने कहा है कि अमेरिकी सैनिकों को इराक से निकालने के लिए एक समय सीमा तय करने की जरूरत है।
दरअसल, सुदानी नहीं चाहते की ईरान और अमेरिका की दुश्मनी से उनके देश में कोई नई जंग छिड़ जाए। सुदानी ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को दिए इंटरव्यू में कहा था कि ये हमें बिल्कुल मंजूर नहीं है कि कुछ देश आपसी लड़ाई के बीच हमारी जमीन का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं।
कासिम सुलेमानी की मौत के बाद अमेरिकी सैनिकों को हटाने की मांग तेज हुई
अलजजीरा के मुताबिक, इराक में ISIS की पकड़ कमजोर होने के बाद से अमेरिकी सैनिकों की वापसी की मांग उठ रही है। यह मांग तब और तेज हो गई, जब जनवरी 2020 में अमेरिका ने बगदाद एयरपोर्ट के पास एक एयरस्ट्राइक करके ईरान के टॉप कमांडर कासिम सुलेमानी को मार दिया था। इस हमले में इराकी मिलिशिया नेता अबू महदी अल-मुहांडिस की भी मौत हुई थी।
हमले के बाद इराक ने अमेरिका पर उसकी संप्रभुता का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था। बता दें कि अमेरिका और इराक के बीच सैन्य गठबंधन की शुरुआत 2014 में हुई थी। इसके तहत आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड लेवेन्ट (ISIL) का मुकाबला करने के लिए अमेरिकी सैनिकों को इराक में तैनात किया गया था।
2021 में अमेरिका ने सैनिकों को हटाने की घोषणा की थी
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने जुलाई 2021 में साल के अंत तक अमेरिकी सैनिकों को इराक से हटाने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था- इराक में बचे देअमेरिकी सैनिक सलाहकार की भूमिका निभाएंगे। वे इराक की सेना को ट्रेनिंग देने और ISIS से निपटने में मदद करेंगे।
9 दिसंबर 2021 को इराक-अमेरिका के सैन्य गठबंधन ने घोषणा की थी कि उनका मिशन खत्म हो चुका है। गठबंधन कमांडर मेजर जनरल जॉन ब्रेनन ने कहा था- हम अब इराक में सलाह देने और यहां की सेना को ट्रेन करने का काम करेंगे। ISIS हार गया है लेकिन वो खत्म नहीं हुआ है। तब से इराक में अमेरिका के 2500 सैनिक मौजूद हैं।