रूस एंटी सैटेलाइट वेपन्स बना रहा है। अमेरिकी व्हाइट हाउस ने इसकी पुष्टि की है। एंटी सैटेलाइट हथियार से सैटेलाइट्स को मार गिराया जा सकता है। दूसरे शब्दों में कहें तो इन हथियारों से सैटेलाइट को तबाह किया जा सकता है। इससे कम्युनिकेशन, नेविगेशन, निगरानी समेत कई सुविधाएं बंद हो जाएंगी।
अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक रूस ने यह हथियार अमेरिका के सैटेलाइट नेटवर्क को खत्म करने के लिए डिजाइन किया है। अधिकारियों ने माना कि फिलहाल अमेरिका के पास ऐसे हथियार का मुकाबला करने और अपने सैटेलाइट्स की सुरक्षा करने की क्षमता नहीं है, जो कि एक चिंता का विषय है।
रूस ने अंतरिक्ष में परमाणु हथियारों पर अमेरिकी रिपोर्ट खारिज की
इधर, रूसी उप-विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने अंतरिक्ष में परमाणु हथियार तैनात करने की अमेरिकी रिपोर्टों का खंडन किया है। साथ ही इसे मनगढ़ंत कहानी बताया है।
वहीं, रूसी राष्ट्रपति भवन- क्रेमलिन के स्पोक्सपर्सन दिमित्री पेसकोव ने कहा कि जब तक इस मामले से जुड़ी पूरी रिपोर्ट पेश नहीं करता तब तक इस पर कोई टिप्पणी नहीं की जाएगी।
चीन भी अंतरिक्ष में मिलिट्री पावर बढ़ा रहा
अमेरिकी सैन्य अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि रूस और चीन दोनों अंतरिक्ष के अधिक सैन्यीकरण की ओर बढ़ रहे हैं। पिछले साल जारी एक रिपोर्ट में रूस के अन्य सैटेलाइट निष्क्रिय करने की क्षमता वाले हथियारों के बारे में बताया गया था। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि रूस ने इन एंटी सैटेलाइट हथियारों का उपयोग करने से परहेज किया था।
अंतरिक्ष में परमाणु हथियार तैनात करने की कोशिश 50 साल पुरानी
अंतरिक्ष में परमाणु हथियार तैनात करने की कोशिश 50 साल से भी ज्यादा पुरानी है। इसे रोकने के लिए 1967 में ऑउटर स्पेस ट्रीटी का गठन किया गया था। इस संधि के मुताबिर अंतरिक्ष के ऑर्बिट में परमाणु हथियार तैनात करने पर प्रतिबंध है। वहीं, अप्रैल 2022 में अमेरिका पहला देश बना जिसने मिसाइलों से सैटेलाइट्स को मारना प्रतिबंधित किया।
भारत के पास भी है एंटी सैटेलाइट वेपन
भारत के पास एंटी-सैटेलाइट वेपन (मिसाइल) के लिए पृथ्वी एयर डिफेंस (पैड) सिस्टम है. इसे प्रद्युम्न बैलिस्टिक मिसाइल इंटरसेप्टर भी कहते हैं। यह एक्सो-एटमॉसफियरिक (पृथ्वी के वातावरण से बाहर) और एंडो-एटमॉसफियरिक (पृथ्वी के वातावरण से अंदर) के टारगेट पर हमला करने में सक्षम हैं। भारतीय ASAT मिसाइल की रेंज 2000 किमी है। यह 1470 से 6126 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से सैटेलाइट की तरफ बढ़ती है।
कैसे काम करता है एंटी सैटेलाइट वेपन
स्पेस एक्सपर्ट के मुताबिक, एंटी-सैटेलाइट वेपन में बारूद नहीं होता है। इसे काइनैटिक किल वेपन कहा जाता है। यानी ये वेपन काइनैटिक किल मैकेनिज्म पर काम करता है। इसके वॉरहेड पर एक मेटल स्ट्रिप होती है। सैटेलाइट के ऊपर मेटल का गोला गिर जाता है और वो उसे गिरा देता है। ये वेपन किसी भी देश को अंतरिक्ष में सैन्य ताकत देने का काम करता है।