भोपाल के लोअर लेक स्थित एमपी क्याकिंग केनोईंग एसोसिएशन क्लब (पुराना फिश एक्वेरियम) के सामने रविवार को नेवल एनसीसी कैडेट्स की एलुमनी मीट हुई। इसमें पूरे देश से विभिन्न वर्षों के पूर्व नेवल कैडेट्स और ऑफिसर्स ने हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम की थीम थी 'समवन फॉर समवन', जिसका मतलब है – किसी और के लिए कुछ करना, यानी समाज के लिए सेवा करना।
इस एलुमनी मीट का आयोजन 1 एमपी नेवल यूनिट एनसीसी एलुमनी एसोसिएशन ने किया। इस मौके पर 1971 के पहले बैच से लेकर 2024 तक के नेवल एनसीसी कैडेट्स और ऑफिसर्स एक साथ जुटे। कार्यक्रम में सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी हुईं, साथ ही पूर्व कैडेट्स ने अपने अनुभव साझा किए और वर्तमान कैडेट्स को प्रोत्साहित किया। इस दौरान 1974 से 1978 बैच के पूर्व कैडेट को स्मृति चिन्हित दिए गए।
अनुशासन और देश सेवा की भावना
इस आयोजन में एनसीसी लेफ्टिनेंट रिटायर्ड डॉक्टर वीके पाराशर ने बताया कि उन्होंने 30 वर्षों तक एनसीसी में सेवा की है। उनका मानना है कि एनसीसी कैडेट्स जब तीन साल की ट्रेनिंग पूरी करते हैं, तो उनका पूरा व्यक्तित्व बदल जाता है। उनका व्यवहार, सोच और जीवनशैली में एक सकारात्मक बदलाव आता है। वे समाज के लिए कुछ करने की भावना से प्रेरित होते हैं। इसी उद्देश्य से यह मीट रखी गई, ताकि सीनियर्स और जूनियर्स मिलकर समाज के लिए कुछ सार्थक कर सकें।
देश के लिए कुछ करने की भावना अब भी ज़िंदा
कार्यक्रम में पहुंचे 1977 बैच के पूर्व कैडेट ओपी अग्रवाल ने बताया कि उन्होंने एनसीसी के दौरान आरडीसी (रिपब्लिक डे कैंप), सी ट्रेनिंग और पैरा जंप जैसे कई कोर्स किए थे। उन्होंने कहा कि आज भी उन्हें नेवी से उतना ही प्रेम है और वह अब भी देश के लिए कुछ करना चाहते हैं।
इसी तरह डॉक्टर मनोज वर्मा, जो कि आज डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ एंड वेलफेयर में डायरेक्टर हैं, उन्होंने बताया कि 1977 में एनसीसी में एंट्री ली थी और लगभग तीन साल सेवा दी। उनका कहना है कि जब उन्होंने नेवल विंग चुनी थी, उस वक्त यह ज्यादा लोगों की पसंद नहीं थी, लेकिन भोपाल की झीलों से प्रेरणा लेकर उन्होंने इसे चुना।
एनसीसी की सीख आज भी जिंदगी का हिस्सा
1992 में एनसीसी से जुड़े अनवरुद्दीन काजी ने बताया कि उन्होंने बी और सी सर्टिफिकेट किया था और आज भी एनसीसी का अनुशासन उनकी ज़िंदगी का हिस्सा है।
पूर्व कैडेट कैप्टन सम्राट सिंह साहू ने बताया कि इस कार्यक्रम की तैयारी पिछले दो महीने से चल रही थी। इसके लिए उन्होंने करीब 400 पूर्व कैडेट्स से लगातार फोन पर संपर्क किया। उन्होंने बताया कि इस साल 1971 के पहले बैच के भी कई कैडेट्स शामिल हुए हैं और अगले साल तक 1000 पूर्व कैडेट्स को जोड़ने का लक्ष्य है।
समाज सेवा की दिशा में चर्चा
इस कार्यक्रम के दौरान डॉ. चरनजीत कौर और डॉ. मनोज वर्मा ने कहा कि एक बार एनसीसी कैडेट बनने के बाद जीवन अनुशासित हो जाता है और देश सेवा का जज्बा हमेशा बना रहता है। प्रोग्राम में युवा शक्ति, पर्यावरण संरक्षण, समाज सुधार, स्वस्थ दिनचर्या और रक्तदान जैसे मुद्दों पर भी गहन चर्चा हुई। इस एलुमनी मीट ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि एनसीसी सिर्फ एक संस्था नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण और समाज सेवा की पाठशाला है, जो हर उम्र और हर पीढ़ी के दिल में देशप्रेम की लौ जलाए रखती है।