साल 1971, तारीख 30 जनवरी। पाकिस्तान के लाहौर एयरपोर्ट पर एक इंडियन प्लेन लैंड करता है। कॉकपिट से एक शख्स उतरता है। कुछ ही देर बाद तब के पाकिस्तानी PM जुल्फिकार अली भुट्टो भी एयरपोर्ट पहुंचते हैं। दोनों के बीच काफी देर तक बहस होती है।
बहस खत्म होते ही प्लेन में सवार 26 भारतीयों को एक-एक करके उतारा जाता है। कुछ मिनट बाद प्लेन में आग लगा दी जाती है। दुनिया में खबर फैलती है- पाकिस्तान ने भारत का एक पैसेंजर प्लेन हाईजैक कर लिया है।
दुनिया को तो यह पाकिस्तानी आतंकियों का दुस्साहस नजर आ रहा था, लेकिन सच कुछ और था। दरअसल, यह भारत की खुफिया एजेंसियों का रचा एक खेल था, जिससे वो बांग्लादेश में विद्रोह के दौरान पाकिस्तानी विमानों को भारत पर उड़ान भरने से रोकना चाहते थे।
जासूस खिलाड़ियों के इस खेल से भारत ने पाकिस्तान को ऐसी मात दी, जिससे वो 16 दिसंबर 1971 को आज ही के दिन जंग हार गया। पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों को भारत के सामने घुटने टेकने पड़े...
अब वो पूरा किस्सा पढ़िए…
1960 के दशक के आखिर में पूर्वी पाकिस्तान यानी आज के बांग्लादेश में गृह युद्ध जैसे हालात बनने लगे थे । बांग्ला बोलने वाले पूर्वी पाकिस्तान के लाखों लोग शेख मुजीबुर्रहमान रहमान की अगुआई में पश्चिमी पाकिस्तान के दबदबे के खिलाफ आवाज उठाने लगे थे।
1970 के चुनाव में शेख मुजीबुर्रहमान की आवामी लीग पार्टी को बहुमत मिला, लेकिन जनरल याह्या खान उन्हें कुर्सी देने को तैयार नहीं हुए। जुल्फिकार अली भुट्टो भी उनके साथ थे।
इधर, पाकिस्तान की शह पर नेशनल लिबरेशन फ्रंट नाम का अलगाववादी संगठन किसी तरह से कश्मीर के मुद्दे को दुनिया के सामने उछालना चाहता था। इसी कवायद में उसके नेता मकबूल भट्ट की मुलाकात हाशिम कुरैशी से हुई।
हाशिम कश्मीर में भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ यानी रिचर्स एंड एनालिसिस विंग का जासूस था। उसे आतंकियों की जासूसी के लिए ही भेजा गया था, लेकिन हुआ उल्टा। वह डबल एजेंट बन गया और भारत का जासूस बनकर पाकिस्तान की ISI के लिए जासूसी करने लगा।
इसी दौरान 1971 में मकबूल भट्ट ने उसे भारत के एक पैसेंजर प्लेन हाईजैक करने का जिम्मा सौंपा। पाकिस्तान ऐसा इसलिए कर रहा था, ताकि कश्मीर समस्या को अंतरराष्ट्रीय मंच पर पब्लिसिटी मिले। हाशिम को प्लेन हाईजैक करने की ट्रेनिंग दी गई। उसे पिस्तौल चलाना और बम बनाना भी सिखाया गया।
इसके बाद वह पाकिस्तान से एक पिस्तौल और एक हेंड ग्रेनेड के साथ श्रीनगर के लिए रवाना हुआ। भारत की इंटेलिजेंस एजेंसियों को इसकी भनक लग गई। हाशिम PoK से कश्मीर में घुसपैठ करने के दौरान BSF के हाथ लग गया।
भारतीय एजेंसी की पूछताछ में उसने पूरी कहानी उगल दी कि कैसे मकबूल ने उसे प्लेन हाईजैक करने की जिम्मेदारी दी है। दो और लोग उसके साथ इस काम को अंजाम देने वाले हैं। हाशिम ने बताया कि ऐसा करने के लिए उसे खुद मकबूल बट ने कहा था।
इंटेलिजेंस एजेंसियों ने हाशिम के सामने प्रस्ताव रखा कि अगर वह भारत की बात मानेगा तो उसे देश से की गई गद्दारी की सजा नहीं मिलेगी। जान बचाने के लिए हाशिम ने इस प्रस्ताव को मान लिया। फिर हाशिम के डबल एजेंट होने का फायदा उठाते हुए उस समय के रॉ के चीफ रामेश्वर नाथ काओ ने एक मास्टर प्लान तैयार किया।
इसके बाद हाशिम से कहा गया कि वह भारतीय प्लेन हाईजैक करने के पाकिस्तानी प्लान को भारत की शर्तों पर आगे बढ़ाए। वह प्लेन को अपने तय प्लान के मुताबिक हाईजैक करके लाहौर ले जाए। लाहौर एयरपोर्ट पहुंचते ही सबसे पहले PM जुल्फिकार अली भुट्टो को बुलाए।
ऐसा इसलिए ताकि दुनिया के सामने ये साबित हो जाए कि प्लेन को पाकिस्तान के कहने पर ही हाईजैक किया गया है। पूरे प्लान को सीक्रेट रखने के लिए हाशिम को बैंगलोर में रखा जाता है।
प्लेन हाईजैक करने के लिए 30 जनवरी 1971 की तारीख तय हुई। समय के मुताबिक हाशिम और उसका एक और साथी अशरफ एयरपोर्ट पहुंचे। फिर दोनों ने प्लान के मुताबिक दूसरे विमान को हाईजैक करने का फैसला किया। जो प्लेन चुना गया उसका नाम था, गंगा। ये काफी पुराना प्लेन था और काफी पहले ही इस्तेमाल से बाहर किया जा चुका था, लेकिन हाईजैक करने से ठीक पहले इसे दुबारा इंडियन एयरलाइंस में शामिल किया गया।
श्रीनगर के एयरपोर्ट से जैसे ही प्लेन टेक ऑफ किया, हाशिम ने पायलट की कनपटी पर एक टॉय गन यानी नकली पिस्तौल तान दी। हाशिम ने पायलट से कहा कि वह प्लेन को लाहौर के लिए डायवर्ट करे। उधर लाहौर में जैसे ही सूचना मिलती है कि प्लेन को PoK के नेशनल लिबरेशन फ्रंट के लोगों ने हाईजैक किया है, वे फौरन प्लेन को लैंड करने की परमिशन दे देते हैं।
प्लेन के लाहौर में लैंड होते ही ऑल इंडिया रेडियो पर अनाउंस किया जाता है- जम्मू कश्मीर के एक मिलिटेंट हाशिम कुरैशी ने भारतीय प्लेन को हाइजैक किया है और बदले में उन 36 कश्मीरी अलगाववादियों को रिहा करने की मांग की है, जो भारत की जेलों में कैद हैं।
दूसरी तरफ हाईजैक हुए प्लेन को देखने के लिए लाहौर एयरपोर्ट पर लोगों की भीड़ जुटने लगती है। इधर पश्चिमी पाकिस्तान यानी अब के बांग्लादेश से लौटते ही जुल्फिकार अली भुट्टो हाइजैकर्स से मिलने सीधे लाहौर एयरपोर्ट पहुंचते हैं। यही वो घटना थी जिसके बाद दुनिया को प्लेन हाईजैक होने में पाकिस्तान के शामिल होने की बात पता चलती है।
कश्मीर का मुद्दा उछालने के लिए भारत से प्लेन हाईजैक कर लाने की खुशी में पूरे पाकिस्तान में जश्न का माहौल था। हाशिम और अशरफ को एक गाड़ी में बैठाकर शहर में जुलूस निकाला गया।
इन सब के बीच भारत ने अलगाववादियों को छोड़ने से इनकार कर दिया। फिर हाशिम और अशरफ ने एक-दूसरे से सलाह-मशविरा किया और लैंडिंग के दो घंटे के अंदर ही महिलाओं और बच्चों को छोड़ दिया। शाम तक बाकी लोगों को भी रिहा कर दिया।
उधर, इंदिरा गांधी की सरकार ने हाइजैकिंग का हवाला देते हुए 4 फरवरी 1971 को पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) जाने वाले पाकिस्तानी प्लेन पर रोक लगाने के लिए भारत ने अपने हवाई क्षेत्र के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी, जो 1976 तक जारी रही।
पाकिस्तान पर यह पाबंदी ऐसे समय में लगी, जब पूर्वी पाकिस्तान में अलगाववादी आंदोलन तेज हो रहा था। उस वक्त पाकिस्तानी सैनिक बड़ी तादाद में ईस्ट पाकिस्तान (बांग्लादेश) भेजे जा रहे थे, ताकि वहां विद्रोह को कुचला जा सके।
पूर्वी पाकिस्तान में अवामी लीग का साथ दे रहे भारत को ये बात बहुत खटक रही थी। भारत इसे किसी भी कीमत पर रोकना चाहता था। ऐसा तभी संभव था जब पाकिस्तानी विमानों को भारत पर उड़ान भरने से रोक दिया जाए। भारत की तरफ से हाईजैक कराए गए प्लेन की सबसे बड़ी वजह यही थी। इसके जरिए वो पाकिस्तान के लिए अपने हवाई क्षेत्र को बंद करवाने में कामयाब रहा।
पाबंदी के चलते पाकिस्तानी विमानों को हिंद महासागर के ऊपर से होते हुए रिफ्यूलिंग के लिए पहले श्रीलंका ले जाता था, फिर पूर्वी पाकिस्तान पहुंचता था। जिससे समय और पूंजी दोनों की बर्बादी होती थी। भारत की ये चाल 1971 की जंग में कामयाब साबित हुई। इससे बांग्लादेश में लाखों लोगों की जान बची जो पाकिस्तानी बमबारी में मारे जाते।
भारत ने मुक्तिवाहिनी को मदद देना शुरू किया। अक्टूबर तक मुक्तिवाहिनी विद्रोहियों के सामने पाकिस्तान को कड़ी चुनौती देने लगी थी। 6 अक्टूबर को भारत के समर्थन से मुक्तिवाहिनी ने पाकिस्तान के खिलाफ एक बड़ी लड़ाई लड़ी। इममें पाकिस्तान के 500 से ज्यादा सैनिक मारे गए। इसके लगभग 2 महीने बाद ही भारत खुलकर बांग्लादेश की तरफ से जंग में कूद पड़ा। 13 दिन में ही जंग अंजाम तक पहुंच गई। भारत ने 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया।
प्लेन हाइजैक करने वाले कुरैशी का क्या हुआ?
हाशिम कुरैशी को जासूसी के जुर्म में 9 साल पाकिस्तानी जेल में रहना पड़ा। साल 2000 में कुरैशी भारत आया, तो उसे पाकिस्तानी एजेंट होने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। एक इंटरव्यू में कुरैशी का कहा था कि वो किसी देश का एजेंट नहीं था। उसने दोनों देशों का इस्तेमाल अपने मकसद के लिए किया।