इस नीतिगत बैठक में RBI के दो नए सदस्य गवर्नर संजय मल्होत्रा और डिप्टी गवर्नर एम. राजेश्वर राव शामिल हैं। मल्होत्रा ने हाल ही में 1.5 लाख करोड़ रुपये की नकदी डालने के उपायों की घोषणा की। इसे दरों में बदलाव का रास्ता साफ करने वाला कदम माना जा रहा है। दरों में कटौती के बावजूद नकदी की कमी से उधार लेने की लागत अधिक रह सकती है। सरकार ने ब्याज दरों में कटौती का समर्थन किया है। रेपो रेट वह दर होती है जिस पर RBI बैंकों को कर्ज देता है। इसमें कमी होने से बैंकों को सस्ता कर्ज मिलता है। इसका असर आम लोगों के लोन पर भी पड़ता है। लोन की EMI कम हो सकती है।