अयोध्या में भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से भारत से लेकर दुनिया के कई कोनों में बसे लोगों के मन में आनंद है, लेकिन पड़ोसी देश बांग्लादेश में रहने वाले हिंदुओं की स्थिति कुछ अलग है। बांग्लादेश में रहने वाले हिंदू समुदाय के लोगों के मन में भय का माहौल है।
पिछले दिनों चुनावों के दौरान बांग्लादेश के कई हिस्सों में हुई हिंसक घटनाओं से भय का माहौल है। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद कई लोग अयोध्या में रामलला के दर्शन के लिए जाना चाहते हैं, लेकिन अपने घर-परिवार को छोड़कर भारत जाने की हिम्मत उनमें नहीं है।
हिंदू परिवारों का कहना है कि हम भी दर्शन करने जाना चाहते हैं, लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं है कि जब एक सप्ताह में दर्शन करके वापस लौटेंगे, तो यहां के हालात सही मिलेंगे। उनका कहना है कि यहां हिंदुओं के घर जलाना और मंदिरों में तोड़फोड़ करना कोई नई बात नहीं है।
मुझे मेरी नहीं, पत्नी और बेटी की चिंता: रूहीदास
रूहीदास पाल पिछले पंद्रह साल से ढाकेश्वरी और रमण काली मंदिर में काम कर रहे हैं। वे कहते हैं कि राम मंदिर के उद्घाटन के बाद से यहां माहौल सही नहीं है। वे कहते हैं कि मुझे पत्नी और बेटी की सुरक्षा की चिंता है। वे कहते हैं कि मैं मजदूर हूं, अभी हालात ऐसे हैं, कि हम रिश्तेदारों से मिलने के लिए कोलकाता भी नहीं जा सकते हैं।
कट्टरपंथी की धमकियों के बावजूद सरकार का मौन
ढाकेश्वरी मंदिर के महासचिव रामेन मंडल का कहना है कि बांग्लादेश में हिंदुओंे की संख्या बहुत कम हैं, जो हमेशा असुरक्षा में रहते हैं। स्टूडेंट यूनियन कार्यकर्ता मेघ मल्हार बासु का कहना है कि कई कट्टरपंथी धमकी दे रहे हैं कि हम सत्ता में आए तो मंदिरों को तोड़कर वहां मस्जिदें बनाएंगे, लेकिन इस पर सरकार मौन हैं।
चिंता: कट्टरपंथी सत्ता में आ गए तो क्या होगा
रमण काली मंदिर बोर्ड के अध्यक्ष उत्पल साहा का कहना है कि जब प्राण प्रतिष्ठा समारोह चल रहा था, तब मौलानाओं ने यहां शोभायात्रा निकालने से रोक दिया था। यहां लोगों में डर था कि कहीं उनके मंदिर या घर को जला न दिया जाए। साहा का कहना है कि बांग्लादेश में जमात पार्टी हिंदुओं से सबसे ज्यादा नाराज है। उसके लिए हिंदू मंदिरों को तोड़ना आम बात है।
साहा कहते हैं कि भारत में इतना बड़ा मंदिर बना है, लेकिन एक बांग्लादेशी हिंदू होने के नाते और एक मंदिर का अध्यक्ष होने के कारण मेरे मन में डर है। यहां रहने वाले लोगों को 1993 में बाबरी विध्वंस के बाद हिंदुओं पर हुए हमले और हिंसा अभी भी याद है। उनका कहना है कि अभी ये हाल है, अगर विपक्षी कट्टरपंथी सरकार में आ गए तो क्या होगा?