अमेरिका का कहना है कि भारत के साथ उसके रिश्ते बेहद अहम हैं। अमेरिका का यह बयान भारत के साथ हुई 33 हजार करोड़ रुपए की MQ-9B ड्रोन्स डील के बाद सामने आया है। दरअसल, 1 फरवरी को बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन ने भारत को 31 MQ-9B ड्रोन्स देने का फैसला किया।
इसके बाद अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा- भारत के साथ हमारी साझेदारी सबसे अहम रिश्तों में से एक है। हम अपनी महत्वपूर्ण प्राथमिकताओं पर भारत के साथ मिलकर काम करते हैं। भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र की आजादी सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
उन्होंने कहा- भारतीय राजदूत तरनजीत संधू के साथ भी हमारे अच्छे रिश्ते हैं। हमारे विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर साथ मिलकर अहम मुद्दों का हल निकालते हैं।
यह डील अमेरिका के लिए जरूरी
डील के सर्टिफिकेशन के लिए संसद को नोटिफिकेशन भेजा गया था। संसद को भेजे नोटिफिकेशन में कहा गया था कि भारत के साथ यह डील अमेरिका की फॉरेन पॉलिसी और नेशनल सिक्योरिटी के लिहाज से भी अहम है।
इसकी वजह यह है कि भारत और अमेरिका के बीच स्ट्रैटजिक रिलेशनशिप है और हमारे लिए यह जरूरी है कि अपने अहम डिफेंस पार्टनर्स के साथ करीबी रिश्ते रखे जाएं। अमेरिकी संसद को बताया गया कि हिंद महासागर और दक्षिण एशिया में राजनीतिक स्थिरता, अमन और इकोनॉमिक प्रोग्रेस के लिहाज से भी यह डील अमेरिका के लिए जरूरी हो जाती है।
यह ड्रोन करीब 35 घंटे हवा में रह सकता है
माना जा रहा है कि इन ड्रोन्स को चीन के साथ लगने वाली लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) और भारत की समुद्री सीमा में सर्विलांस और सिक्योरिटी बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।यह ड्रोन करीब 35 घंटे हवा में रह सकता है। यह फुली रिमोट कंट्रोल्ड है।
इसी ड्रोन ने किया था अल-जवाहिरी का खात्मा
MQ-9B ड्रोन MQ-9 'रीपर' का दूसरा वर्जन है। पिछले साल इसका इस्तेमाल काबुल में हेलफायर मिसाइल के एक मॉडिफाइड वर्जन को दागने के लिए किया गया था। इसमें अल-कायदा नेता अयमान अल-जवाहिरी की मौत हो गई थी। माना जाता है कि अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन को खोजने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया था। हालांकि तब इसका ओल्ड वर्जन इस्तेमाल किया गया था। भारत जिस वर्जन को खरीदने जा रहा है उसे दुनिया का मोस्ट एडवांस्ड ड्रोन कहा जाता है।
यह ड्रोन करीब 35 घंटे हवा में रह सकता है। यह फुली रिमोट कंट्रोल्ड है। इसके लिए दो लोगों की जरूरत पड़ती है। यह एक बार उड़ान भरने के बाद 1900 किलोमीटर क्षेत्र की निगरानी कर सकता है। यह एक घंटे में 482 किलोमीटर उड़ सकता है। इसके पंखों की लंबाई 65 फीट 7 इंच और इसकी ऊंचाई 12 फीट 6 इंच होती है।
2020 में इंडियन नेवी को समुद्री सीमा की निगरानी के लिए अमेरिका से दो ‘MQ-9B' सी गार्डियन ड्रोन एक साल के लिए लीज पर मिले थे। बाद में लीज टाइम बढ़ा दिया गया। इसे निगरानी, खुफिया जानकारी जुटाने और दुश्मन के ठिकानों को बर्बाद करने सहित कई चीजों के लिए तैनात किया जा सकता है।
LAC बॉर्डर पर चीन की हर चालाकी की निगरानी करेगा MQ-9B
भारत थल, जल और वायु तीनों सेना के बेड़े में MQ-9B ड्रोन को तैनात करना चाहता है। इस ड्रोन को बनाने वाली कंपनी जनरल एटॉमिक्स, इसके मल्टीटैलेंटेड होने का दावा करती है। कंपनी का कहना है कि जासूसी, सर्विलांस, इन्फॉर्मेशन कलेक्शन के अलावा एयर सपोर्ट बंद करने, राहत-बचाव अभियान और हमला करने के लिए इसका इस्तेमाल हो सकता है।
इस ड्रोन के दो वैरिएंट स्काई गार्डियन और सिबलिंग सी गार्डियन हैं। भारत यह ड्रोन दो वजहों से खरीदना चाह रहा है। पहली- LAC से लगे एरिया में चीन को भनक हुए बिना उसकी निगरानी करने के लिए। दूसरा- साउथ चाइना सी में चीन की घुसपैठ को रोकने के लिए।