व्यक्ति इस संसार से केवल अपना कर्म लेकर जाता है - रमाकांत मिश्र महाराज
Updated on
27-09-2021 06:45 PM
भोपाल I भव्य कलश यात्रा स्वदेश नगर मंदिर अशोका गॉर्डन भोपाल से निकाली गई I पहले तो महाराज श्री ने मंदिर प्रांगण में ही पूजा पाठ की सारी औपचारिकताएं करवाई I उसके बाद कलश यात्रा का श्री गणेंश किया I पूज्य श्री रमाकांत मिश्र महाराज के सानिध्य में शुरु की गई इस कलश यात्रा में मताओं-बहनों और भाई-बन्धुओं नें बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया I ये भव्य कलश यात्रा पूरे बैंड-बाजे के साथ निकाली गई I जिसमें सिर पर रखे सुसज्जित कलश के साथ माताएं-बहनें और भक्तगण बैंड-बाजे की भक्ति भरी धुन पर नाचते झूमते चल रहे थे… कलश यात्रा में अपने भक्तों के साथ स्वंय पूज्य श्री भी चल रहे थे I जिसके चलते सभी भक्तगण काफी उत्साहित नजर आ रहे थे I
जहां तक नज़र जा रही थी वहां तक माताएं-बहनें नज़र आ रहीं थी I कलश यात्रा जिन मार्गों से होकर गुजरी, वहां इस भव्य यात्रा को देखने के लिये लोग थम गये I कलश यात्रा के दौरान बजाई गई भक्ति धुन से स्वदेश नगर अशोका गॉर्डन का वातावरण मंत्रमुग्ध हो गया I
पूज्य श्री रमाकांत मिश्र महाराज ने कथा की शुरुआत करते हुए कहा कि विश्व की सुख शांति के लिए समृद्धि के लिए प्रार्थना करें जनमानस प्रसन्न रहे आनंद में रहे ऐसी प्रार्थना आप लोगो के घर की प्रसन्नएता दिनों दिन बढ़ती रहे है। आप लोग सुरक्षित रहे। नित्य निरंतर आपके ह्रदय के सागर में भगवत भक्ति के सागर में यू ही अशांत चित्त वो शांति को प्राप्त होकर गोते लगाता रहे।
सनातन किसे कहते है जो सत्य है जो कभी बाधित नहीं होता है। ये वो धर्म है प्रलय आने पर भी कभी बाधित नहीं होता है। हमारा सौभाग्य है हम सम्पन्न सनातन में हमारा जन्म हुआ। उससे भी बड़ा सौभाग्य की सनातन में भी हम ये सोच रहे की हमें भगवान की कथा सुननी है भजन करना है तिलक लगाना है स्मरण रखना है परलोक की चिंता करनी है इससे बड़ा सौभाग्य नहीं हो सकता। मनुष्य जीवन पाकर भारत में जन्म लेकर सनातनी होने के बाबजूद भी जो मनुष्य भगवत भजन न करें उसके प्रति एक आसक्त न हो उसके प्रति उसे पाने की इच्छा ललक जिसके मन में न हो उससे तो वो सूअर अच्छा जो अपने पूर्व जन्मो को याद करके रोता है और कहते है मै उस जन्म में भजन करता था।
पूज्य श्री रमाकांत मिश्र महाराज जी ने कथा का वृतांत सुनाते हुए कहा कि एक बार सनकादिक ऋषि और सूद जी महाराज विराजमान थे तो उन्होंने ये प्रश्न किया की कलयुग के लोगों का कल्याण कैसे होगा ? आप देखिये किसी भी पुराण में किसी और युग के लोगो की चिंता नहीं की पर कलयुग के लोगों के कल्याण की चिंता हर पुराण और वेद में की गई कारण क्या है ? क्योकि कलयुग का प्राणी अपने कल्याण के मार्ग को भूल कर केवल अपने मन की ही करता है जो उसके मन को भाये वह बस वही कार्य करता है और फिर कलयुग के मानव की आयु कम है और शास्त्र ज्यादा है तो फिर एक कल्याण का मार्ग बताया भागवत कथा। श्रीमद भागवत कथा सुनने मात्र से ही जीव का कल्याण हो जाता है महाराज श्री ने कहा कि व्यास जी ने जब इस भगवत प्राप्ति का ग्रंथ लिखा, तब भागवत नाम दिया गया। बाद में इसे श्रीमद् भागवत नाम दिया गया। इस श्रीमद् शब्द के पीछे एक बड़ा मर्म छुपा हुआ है श्री यानी जब धन का अहंकार हो जाए तो भागवत सुन लो, अहंकार दूर हो जाएगा।
व्यक्ति इस संसार से केवल अपना कर्म लेकर जाता है। इसलिए अच्छे कर्म करो। भाग्य, भक्ति, वैराग्य और मुक्ति पाने के लिए भगवत की कथा सुनो। केवल सुनो ही नहीं बल्कि भागवत की मानों भी। सच्चा हिन्दू वही है जो कृष्ण की सुने और उसको माने , गीता की सुनो और उसकी मानों भी , माँ - बाप, गुरु की सुनो तो उनकी मानो भी तो आपके कर्म श्रेष्ठ होंगे और जब कर्म श्रेष्ठ होंगे तो आप को संसार की कोई भी वस्तु कभी दुखी नहीं कर पायेगी। और जब आप को संसार की किसी बात का फर्क पड़ना बंद हो जायेगा तो निश्चित ही आप वैराग्य की और अग्रसर हो जायेगे और तब ईश्वर को पाना सरल हो जायेगा। श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीय दिवस पर कपिल देवहूती संवाद, सती चरित्र, ध्रुव चरित्र का वृतांत सुनाया जाएगा।