ब्राजील के पूर्व राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो के 7 लाख से ज्यादा समर्थक एक बार फिर सड़कों पर उतरे। उन्होंने बोल्सोनारो पर लगाए गए तख्तापलट की कोशिश के आरोपों का विरोध किया। साथ ही चुनावी बैन का भी विरोध किया।
दरअसल, भारतीय समय के मुताबिक रविवार देर रात बोल्सोनारो से जनवरी 2023 में हुई हिंसा को लेकर पूछताछ हुई। इस दौरान उन पर आरोप लगाए गए कि उन्होंने अक्टूबर 2022 में हुए चुनाव में हार के बाद तख्तापलट करने की कोशिश की थी। इन आरोपों को बोल्सोनारो ने खारिज कर दिया और इन्हें बेबुनियाद बताया।
उन्होंने कहा- तख्तापलट कैसे होता है। जब सड़कों पर सैन्य टैंक उतारे जाएं, लोगों के पास हथियार हों, लेकिन जनवरी 2023 में ऐसा कुछ नहीं हुआ। मैंने तख्तापलट की कोशिश नहीं की।
पहले उस मामले को विस्तार से समझिए जिसमें तख्तापलट के आरोप लगे...
ब्राजील में अक्टूबर 2022 में प्रेसिडेंट इलेक्शन हुए थे। इन चुनावों में बोल्सोनारो करीब 21 लाख 39 हजार वोटों से हार गए थे और लुइज इनासियो लूला डा सिल्वा की जीत हुई थी। 1 जनवरी 2023 को लूला डा सिल्वा ने शपथ ली थी।
इसके एक हफ्ते बाद 8 जनवरी 2023 को बोल्सोनारो के हजारों समर्थक पुलिस बैरिकेड्स तोड़कर संसद, सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति भवन में घुस गए थे और तोड़फोड़ की थी। इसके बाद पुलिस ने हंगामा करने वाले 400 लोगों को गिरफ्तार किया था।
इस घटना के बाद बोल्सोनारो पर हिंसा भड़काने के आरोप लगे थे। सुप्रीम कोर्ट ने इसकी जांच में पूर्व राष्ट्रपति का नाम भी शामिल करने का आदेश दिया था। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, बोल्सोनारो ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने प्रेरित होकर ऐसा किया था।
दरअसल, 2 साल पहले 6 जनवरी 2021 को अमेरिका में भी ऐसी ही हिंसा हुई थी। चुनाव हार चुके राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के समर्थक कैपिटल हिल यानी अमेरिकी संसद में दाखिल हुए थे और तोड़फोड़ की थी।
अब चुनावी बैन वाला मामला समझिए...
जुलाई 2022 में बोल्सोनारो ने 8 फॉरेन ऐंबैस्डर्स के साथ एक मीटिंग की थी। इसमें उन्होंने ब्राजील की चुनाव प्रणाली पर सवाल उठाते हुए धांधली के आरोप लगाए थे।
तब कहा जा रहा था कि बोल्सोनारो ने विदेशी ऐंबैस्डर्स के साथ हुई मीटिंग का इस्तेमाल साजिश के तहत संदेह पैदा करने के लिए किया। उन्होंने लोगों के मन में ये शक पैदा करने की कोशिश की कि 2022 के चुनावी नतीजों में धांधली होगी।
इसके बाद उन पर अपने पद और मीडिया का दुरुपयोग करने का आरोप लगा। आरोप पत्र में कहा गया कि बोल्सोनारो ने चुनाव में हार के बाद पावर का गलत इस्तेमाल करते हुए देश की इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम पर शक पैदा किया। इस मामले में 30 जून 2023 को बोल्सोनारो के चुनाव लड़ने पर 7 साल यानी 2030 तक के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया।
विरोध प्रदर्शन में बोल्सोनारो भी मौजूद रहे
बोल्सोनारो के समर्थकों ने ब्राजील के सबसे बड़े शहर साओ पाउलो में रैली की। यह प्रदर्शन बोल्सोनारो ने ही बुलाया था। उन्होंने 20 मिनट की स्पीच दी थी। इसमें खुद पर लगे आरोपों को गलत बताया। लोगों से कहा कि वो सड़कों पर उतरें और अपनी ताकत दिखाएं। इसके बाद वो रैली में शामिल हुई।
रैली में इजराइल का समर्थन किया
रैली में बोल्सोनारो और उनके समर्थक इजराइली झंडा लिए दिखे। उन्होंने लूला डा सिल्वा के विरोध और इजराइल के समर्थन में ये झंडे पकड़े थे। दरअसल, हाल ही में लूला डा सिल्वा ने कहा था- नेतन्याहू गाजा में नरसंहार कर रहे हैं। जैसा जुल्म वो फिलिस्तीनियों पर कर रहे हैं वैसा हिटलर ने यहूदियों पर किया था। गाजा में इजराइली ऑपरेशन होलोकास्ट जैसा है।
होलोकास्ट इतिहास का वो नरसंहार था, जिसमें छह साल में तकरीबन 60 लाख यहूदियों की हत्या कर दी गई थी। इनमें 15 लाख तो सिर्फ बच्चे थे। ये नरसंहार तब हुआ जब जर्मनी की सत्ता पर एडोल्फ हिटलर काबिज थे। ब्रजील के लोगों ने इस बयान का विरोध किया।