अमेरिका के शिकागो में दो अलग-अलग घरों में फायरिंग में सात लोगों के मारे जाने की खबर है। वहां की पुलिस ने मंगलवार को बताया कि फायरिंग की दोनों घटनाएं शिकागो स्थित इलिनोइस के जोलियट में वेस्ट एकर्स रोड स्थित दो घरों में हुईं।
अमेरिकी पुलिस का कहना है कि हमलावर की तलाश कर रहे हैं। ये मरने वालों के परिवार को पहले से जानता था। पुलिस ने बताया कि आरोपी ने लोगों को किस वजह से मारा ये अभी साफ नहीं है। हालांकि, पुलिस को शक है कि सभी मृतक एक ही परिवार के सदस्य थे।
पुलिस ने आरोपी को खतरनाक घोषित किया
फायरिंग करने वाले की पहचान 23 साल के रोमियो नेंस के तौर पर हुई है। घटना को अंजाम देने के बाद वह फरार हो गया। पुलिस के मुताबिक आरोपी नेंस लाल रंग की टोयोटा कैमरी गाड़ी चला रहा है।
उसके पास हथियार हैं और उसे खतरनाक घोषित किया गया है। पुलिस ने लोगों से उसकी जानकारी देने की अपील की है।
अमेरिका की आबादी 33 करोड़ और यहां 40 करोड़ गन
नागरिकों के बंदूक रखने के मामले में अमेरिका दुनिया में सबसे आगे है। स्विट्जरलैंड के स्मॉल आर्म्स सर्वे यानी SAS की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में मौजूद कुल 85.7 करोड़ सिविलियन गन में से अकेले अमेरिका में ही 39.3 करोड़ सिविलयन बंदूक मौजूद हैं। दुनिया की आबादी में अमेरिका का हिस्सा 5% है, लेकिन दुनिया की कुल सिविलियन गन में से 46% अकेले अमेरिका में हैं।
अक्टूबर 2020 के गैलप सर्वे के मुताबिक, 44% अमेरिकी वयस्क उस घर में रहते हैं, जहां बंदूकें हैं। इनमें से एक तिहाई वयस्कों के पास बंदूकें हैं। 2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में 63 हजार लाइसेंस्ड गन डीलर थे, जिन्होंने उस साल अमेरिकी नागरिकों को 83 हजार करोड़ रुपए की बंदूकें बेची थीं।
अमेरिका 231 साल बाद भी अपने गन कल्चर को खत्म नहीं कर पाया है। इसकी दो वजहें हैं। पहली- कई अमेरिकी राष्ट्रपति से लेकर वहां के राज्यों के गवर्नर तक इस कल्चर को बनाए रखने की वकालत करते रहे हैं। दूसरी- गन बनाने वाली कंपनियां, यानी गन लॉबी भी इस कल्चर के बने रहने की प्रमुख वजह है।
1791 में संविधान के दूसरे संशोधन के तहत अमेरिका नागरिकों को हथियार रखने और खरीदने का अधिकार दिया गया। अमेरिका में इस कल्चर की शुरुआत तब हुई थी, जब वहां अंग्रेजों का शासन था। उस वक्त वहां परमानेंट सिक्योरिटी फोर्स नहीं थी, इसीलिए लोगों को अपनी और परिवार की सुरक्षा के लिए हथियार रखने का अधिकार दिया गया, लेकिन ये कानून आज भी जारी है।