ब्रसेल्स। दुनियाभर में कोरोना वायरस के बढ़ते प्रभाव के कारण आम लोग न केवल घरों में कैद हो गए हैं बल्कि, सार्वजनिक परिवहन और उद्योग धंधों की रफ्तार पर भी ब्रेक लग गया है। जिन सड़कों पर कभी लाखों की संख्या में लोग मौजूद रहते थे, इस समय उनपर कुछ गिने-चुने लोग ही दिखाई देते हैं। कोरोना वायरस के फैलाव को रोकने की कोशिशों ने वैश्विक स्तर पर दुनिया को शांत बना दिया है। इसकी पुष्टि कई भूगर्भ वैज्ञानिक भी कर रहे हैं।
बेल्जियम में रॉयल ऑब्जर्वेटरी के भूविज्ञानी थॉमस लेकोक ने ब्रसेल्स में कहा कि कोरोना वायरस के रोकने के उपायों के कारण पृथ्वी के ऊपरी परत में कंपन का स्तर भारी मात्रा में कम हुआ है। उन्होंने बताया यह कंपन कार, बस, ट्रक, ट्रेन और फैक्ट्रियों के चलने से पैदा होते थे। थॉमस लेकोक ने बताया कि केवल ब्रसेल्स में ही मार्च में धरती के कंपन में 30 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक की कमी दर्ज की गई है। लेकोक ने कहा कि इसका कारण कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए आम लोगों की गतिविधियों पर विराम लगना और सामाजिक दूरी बनाना है।
लेकोक ने कहा, कम शोर का मतलब है कि भूकंप विज्ञानी छोटी से छोटी भूगर्भीय हलचल का भी पता लगा सकते हैं। धरती की ये कंपन सामान्य समय में ऊपरी परत में मानव निर्मित कंपन के कारण रिकॉर्ड में नहीं आते थे। इसलिए भूकंप मापन केंद्र हमेशा शहरों से बाहर स्थापित किए जाते हैं क्योंकि कम मानवीय शोर में उन कंपनों को सुनना आसान होता है। उन्होंने यह भी बताया कि भूकंप वैज्ञानिक (सीस्मोलॉजिस्ट) धरती के कंपनों का पता लगाने के लिए बोरहोल स्टेशन (जमीन के अंदर बने केंद्र) का उपयोग करते हैं। लेकिन, वर्तमान में शहर में छाई शांतता के कारण इसे बाहर से भी उतनी ही अच्छी तरह सुना जा सकता है जितनी अच्छी तरह ये नीचे सुनाई देती हैं।
लेकोक ने कहा कि धरती के ऊपरी परत के कंपन में आई कमी यह दर्शाता है कि पूरी दुनिया में लोग लॉकडाउन के नियमों का पालन कर रहे हैं। इसके साथ ही सामाजिक दूरी को भी बनाकर रख रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि धरती के कंपन में आई कमी के डाटा से इस बात का निर्धारण किया जा सकता है कि कहां के लोग लॉकडाउन के नियमों का ज्यादा पालन कर रहे हैं।