काबुल। अफगानिस्तान में बुधवार को एक गुरुद्वारे पर हुए हमले में 27 लोगों की मौत हो गई, कई ऐसे हैं जो इस घटना में तो बच गए, लेकिन वे जिंदा लाशों में तब्दील हो गए हैं। किसी मासूम ने अपनी मां खोई तो किसी ने अपनी नन्ही बच्ची, तो किसी के परिवार के आधे से ज्यादा लोग इस कायरतापूर्ण आतंकी हमले में मारे गए जिसकी जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट खोरासन ने ली है, जिसने 2018 में भी सिखों पर हमला किया था। अब ये सिख अफगानिस्तान छोड़ कहीं और चले जाना चाहते हैं, क्योंकि अब उन्हें परिवार के बचे हुए सदस्यों की फिक्र है। इन्हीं में से एक हैं हरिंदर सिंह सोनी (40) जो कि शोर बाजार में मौजूद गुरुद्वारा हर राई साहिब में कीर्तन सेवादार हैं। इस घटना में उनका आधा परिवार खत्म हो गया। तीन साल की बेटी, पत्नी सुरपल कौर (40), पिता निर्मल सिंह सोनी (60), ससुर भगत सिंह (75) और भतीजे कलुविंदर सिंह खालसा (35) को आतंकियों ने मार डाला।
हमले में उनकी मां रावैल कौर घायल हुई हैं। उनके दो बच्चे गगनदीप सिंह (13) और गुरजीत कौर (11) और चार भाई उस वक्त गुरुद्वारे में मौजूद नहीं होने के कारण बच गए। अफगानिस्तान में ही जन्में हरिंदर ने अब परिवार के बचे हुए लोगों के साथ देश छोड़ने का मन बना लिया है, ताकि उन्हें बचाया जा सके। उन्होंने कहा अब समय है कि अपनी मां, बच्चों और भाइयों के साथ देश छोड़ दूं, इससे पहले की उनकी भी हत्या हो जाए। हमले वाले दिन चार आतंकी गुरुद्वारे में दाखिले हुए थे और लोगों पर अंधाधुंध गोली चलानी शुरू की थी। हमले के तुरंत बाद अफगान फोर्स और विदेशी फोर्स ने मोर्चा संभाल लिया था और 6 घंटे चली मुठभेड़ के बाद चारों आतंकियों को मार गिराया था। हमले की जिम्मेदारी भले ही इस्लामिक स्टेट ने ली है लेकिन भारतीय सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि हमला आईएसआई के साथ मिलकर लश्कर-ए-तैयबा और हक्कानी नेटवर्क ने किया।
आतंकियों ने 3 साल की मासूम तान्या को भी नहीं छोड़ा जो अपने बर्थडे का बेसब्री से इंतजार कर रही थी। अपनी बेटी खो चुके हरिंदर उस हृदयविदारक घटना को यादकर बताते हैं, मेरी बेटी को सिर में गोली मारी गई। वह चिल्लाती रही डैडी मुझे बचा लो, मुझे बचा लो, वे गोलियां चलाते रहे, यहां तक शवों पर भी गोलियां चलाते रहे। तान्या का अगले 10 दिन में जन्मदिन था और वह प्री-प्राइमरी क्लास में पढ़ती थी। हरिंदर ने कहा उसने अभी अल्फाबेट ही सीखना शुरू किया था।