लंदन। एक तरफ देश धीरे-धीरे लॉकडाउन की तरफ बढ़ रहा है तो दूसरी तरफ विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) का कहना है कि कोरोना वायरस की चुनौती से निपटने के लिए यह कदम काफी नहीं है। संगठन के शीर्ष आपातकालीन विशेषज्ञ माइक रयान ने रविवार को कहा कि वायरस दोबारा अपना सिर नहीं उठाए, इसके लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाएं सुनिश्चित करनी पड़ेंगी। उन्होंने कहा, हमें वायरस से संक्रमित बीमार लोगों की तलाश पर सबसे ज्यादा ध्यान देना होगा। उन्हें अलग-थलग करें। उनसे संपर्क करें और उन्हें आइसोलेट करें। उन्होंने आगे कहा, अभी लॉकडाउन्स के कुछ खतरे है... अगर हम अभी सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधा मुहैया नहीं करवा पाए तो लॉकडाउन खत्म होने के बाद पाबंदियां हटने पर बीमारी के दोबारा सिर उठाने का खतरा रहेगा।
यूरोप बना कोरोना का नया केंद्र
यूरोप के ज्यादातर देशों और अमेरिका ने चीन एवं दूसरे एशियाई देशों का अनुकरण करते हुए कठोर पाबंदिया लगा दी हैं। उन देशों में ज्यादातर कर्मचारियों को घर से काम करने को कह दिया गया है। वहीं स्कूल, बार, पब, रेस्तरा वगैरह को बंद कर दिया गया है। रयान ने कहा कि चीन, सिंगापुर और दक्षिण अफ्रीका ने हर संदिग्ध मरीज की जांच के लिए कई कड़े कदम उठाते हुए पाबंदियां लागू कीं। उन्होंने यूरोप के सामने एक मॉडल पेश कर दिया जो अब इस महामारी का केंद्र बन चुका है। इटली अभी दुनिया में वायरस से सबसे ज्यादा पीडि़त है। उधर, यूके के प्रधानमंत्री बॉरिस जॉनसन ने चेतावनी दी है कि अगर लोगों ने सामाजिक मेल-मिलाप से परहेज नहीं किया तो ब्रिटेन का हेल्थ सिस्टम चौपट हो जाएगा। ब्रिटेन के आवास मंत्री रॉबर्ट जेनरिक ने कहा कि अगले हफ्ते जांच की संख्या दोगुनी हो जाएगी और उसके बाद इनमें और वृद्धि होगी।
नए टीके की हो रही है जांच
रयान ने कहा, एक बार हमने संक्रमण को दबा दिया तो उसके बाद हमें वायरस के पीछे पडऩा होगा। हमें वायरस को मिटाने की जंग छेडऩी होगी। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ वैक्सीन का इजाद हुआ है, लेकिन एक की ही जांच अमेरिका में हो रही है। उन्होंने कहा, हमें सुनिश्चित करना होगा कि नया वैक्सीन बिल्कुल सुरक्षित है... यह सुनिश्चित करने में हमें कम-से-कम एक साल लग जाएगा। उन्होंने कहा, वैक्सीन आएगा, लेकिन अभी जोर लगाना होगा और वो सब करते रहना होगा जो अभी हमें करना चाहिए।