दोहा। अमेरिका और आतंकी संगठन तालिबान आज कतर की राजधानी दोहा में शांति समझौते पर दस्तखत करने वाले हैं। इससे अमेरिका की सबसे लंबी जंग के खात्मे की उम्मीद है। अफगानिस्तान में शांति और सुलह प्रक्रिया का भारत भी एक अहम पक्षकार है। कतर में भारत के राजदूत पी. कुमारन उस समारोह में हिस्सा लेंगे जिसमें अमेरिका और तालिबान शांति समझौते पर दस्तखत करेंगे। यह पहला मौका होगा जब भारत तालिबान से जुड़े किसी मामले में आधिकारिक तौर पर शामिल होगा। 9/11 आतंकी हमले के जवाब में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश जूनियर ने तब तालिबान के कब्जे में रहे अफगानिस्तान पर हमला बोला था। शनिवार को होने वाले समझौते से अफगानिस्तान में खूनखराबे के दौर के अंत की उम्मीद जग सकती है। अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ जंग में अमेरिका ने 750 अरब डॉलर से ज्यादा खर्च किया। इस जंग में करीब 10 हजार लोगों की मौत हुई।
अफगानिस्तान के नेताओं से मिले विदेश सचिव
अमेरिका और तालिबान के बीच ऐतिहासिक शांति समझौता होने से एक दिन पहले शुक्रवार को विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने काबुल की यात्रा की और शांतिपूर्ण एवं स्थिर अफगानिस्तान के लिए भारत का खुला समर्थन व्यक्त किया। उन्होंने राष्ट्रपति अशरफ गनी से भेंट की और उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पत्र सौंपा।