Bhopal. अमरनाथ यात्रा के लिए राजधानी से शिव भक्तों का पहुंचने का सिलसिला जारी है बुधवार को महाशक्ति आशीर्वाद आर्गेनाइजेशन भोपाल की ओर से 50 यात्रियों का जत्था रवाना हुआ इस दौरान भोपाल रेलवे स्टेशन पर तिलक लगाकर और हार फूल माला पहनाकर यात्रियों को शुभकामनाएं दी गई । यात्रा 1 जुलाई से शुरू हो रही है भोपाल राजधानी से लगातार अमरनाथ यात्रा पर शिव भक्तों का जाने का सिलसिला जारी है I यह सभी शिव भक्त बालटाल मार्ग से बाबा बर्फानी के दर्शन करेंगे इसके पश्चात सभी भक्त वैष्णो देवी माता एवं कश्मीर के अन्य पर्यटन स्थल एवं मंदिर के दर्शन दर्शन करने के पश्चात भोपाल को रवाना होंगे । इस यात्रा में वरिष्ठ नागरिकों में कैलाश चन्द्र द्विवेदी, कमला द्विवेदी एवं अनोखे लाल द्विवेदी, नेत्रान्जली द्विवेदी , मेनका द्विवेदी, अमित त्रिवेदी, दीनदयाल,राम जी मिश्रा परिवार कटनी से एवं अन्य राज्यों से भी शिव भक्त इस यात्रा मैं शामिल रहेंगे |
1 जुलाई से बाबा अमरनाथ की यात्रा प्रारंभ हो जाएगी जो रक्षाबंधन तक रहेगी I भारतीय संस्कृति की सुप्रसिद्ध तीर्थ यात्राओं में बाबा अमरनाथ की यात्रा का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है. मान्यता है कि इस यात्रा को करने से 23 तीर्थों का फल प्राप्त हो जाता है. कहा जाता है कि बाबा बर्फानी की गुफा में ही शिव जी ने मां पार्वती को अपने अमर होने का रहस्य बताया था. आइए जानते है क्या है वो पौराणिक कथा.
जब देवी पार्वती को शिव ने बताया अमरता का रहस्य:
अमरनाथ गुफा से जुड़ी कथा के मुताबिक एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से उनकी अमरता का रहस्य जानने की इच्छा जाहिर की. इस पर भोलेनाथ ने उन्हें अमर कथा सुनने के लिए कहा. मां पार्वती कथा सुनने के लिए उत्सुक थीं. कहा जाता है कि जो भी इस कथा को सुन लेता वो अमर हो जाता है. इसलिए भगवान शंकर यह कथा सुनाने के लिए इस गुफा की तलाश की थी ताकि कोई और इस राज को न जान पाए.
अमरनाथ यात्रा में आज भी हैं ये स्थान:
जब भगवान भोलेनाथ ये कथा सुनाने के लिए अमरनाथ गुफा पहुंचे उससे पहले उन्होंने नंदी को पहलगाम में, चंद्रमा को चंदनवाड़ी में, गले में धारण सर्प को शेषनाग नामक स्थान पर और पंचतरणी पर गंगा जी को छोड़ देते हैं. गणेशजी को महागुण पर्वत पर छोड़ते हुए ये जिम्मेदारी दी कि कथा के बीच कोई प्रवेश न कर सके. आज भी जब कोई भक्त अमरनाथ बाबा के दर्शन के लिए जाता है तो उसे रास्ते में ये सारे स्थान मिलते हैं.
कथा के बीच सो गईं थी मां पार्वती:
शिव जी ने कथा सुनाने से पहले देवी से कहा था कि इसे आलस्य किए बिना सुनना होगा. भोलेनाथ ने कथा शुरू की, देवी पार्वती ध्यान से सुन रहीं थीं. उनके साथ शुक के अंडे में बैठा हुआ शुक पक्षी(तोता) भी कथा सुन रहा है. कुछ समय पश्चात मां पार्वती को नीं आ गई, लेकिन शुकदेव ने पूरी कथा सुनी. शुक बाद में वेदव्यास जी के पुत्र ऋषि शुकदेव के नाम से प्रसिद्ध हो गए. कहा जाता है कि शिव जी और देवी पार्वती अमरनाथ गुफा में बर्फ से बने लिंगम रूप में प्रकट हुए, जिनका आज भी प्राकृतिक रूप से निर्माण होता है और श्रद्धालु उसी के दर्शन के लिए जाते हैं।
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