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रूसी सीमा पर जुटेंगे 41 हजार सैनिक, शीतयुद्ध के बाद नाटो करेगा सबसे बड़ा युद्धाभ्‍यास, निशाने पर कौन?

Updated on 12-09-2023 06:24 PM
वॉर्सा: रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच नाटो देश शीत युद्ध के बाद सबसे बड़ा अभ्‍यास करने जा रहे हैं। नाटो देश रूसी सीमा पर करीब 41 हजार सैनिक जमा करेंगे और भविष्‍य में किसी नाटो देश पर होने वाले रूसी हमले को फेल करने का अभ्‍यास करेंगे। बताया जा रहा है कि यह अभ्‍यास साल 2024 की शुरुआत में होगा। इस दौरान नाटो देश अपनी तैयारी का आकलन करेंगे। इस अभ्‍यास को स्‍टीडफास्‍ट डिफेंडर नाम दिया गया है। दरअसल, यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद नाटो के कई छोटे देश सहमे हुए हैं जिनमें से कुछ तो पूर्व सोवियत संघ का हिस्‍सा रह चुके हैं। उन्‍हें पुतिन के हमले का डर सता रहा है।

नाटो की कोशिश है कि खुद को एक युद्धक गठजोड़ के रूप में तैयार करे। फाइनेंशियल टाइम्‍स की रिपोर्ट के मुताबिक इस अभ्‍यास के दौरान 500 से 700 हवाई युद्धक मिशन आयोजित किए जाएंगे। इसमें 50 से ज्‍यादा युद्धपोत और 41 हजार सैनिक हिस्‍सा लेंगे। नाटो अधिकारियों ने बताया कि इस अभ्‍यास को रूसी गठबंधन के हमले का जवाब देने के लिए डिजाइन किया गया है। नाटो अधिकारियों ने बताया कि इस अभ्‍यास के दौरान दुनिया का रियल भौगोलिक डेटा इस्‍तेमाल किया जाएगा ताकि सैनिकों के लिए ज्‍यादा वास्‍तविक माहौल बनाया जा सके।

रूस के खिलाफ नाटो का महाप्‍लान


इस अभ्‍यास में स्‍वीडन भी हिस्‍सा लेगा जिसे तुर्की और हंगरी के विरोध के कारण अब तक नाटो में शामिल नहीं किया जा सका है। इसके साथ ही अभ्‍यास में भाग लेने वाले कुल सैनिकों की संख्‍या 32 तक पहुंच जाएगी। यह युद्धाभ्‍यास जर्मनी, पोलैंड और बाल्टिक सागर में फरवरी से मार्च के बीच आयोजित किया जाएगा। नाटो ने नई ट्रेनिंग रणनीति बनाई है और अब हर साल दो बड़े युद्धाभ्‍यास किए जाएंगे। नाटो अब आतंकवाद विरोधी खतरे से निपटने की भी ट्रेनिंग देगा। ऐसे खतरे जो सीमा से दूर हैं।

नाटो के महासचिव जेंस स्‍टोल्‍टेनबर्ग ने पिछले साल जून में कहा था कि नाटो अपने हमेशा युद्ध के लिए तैयार रहने वाले सैनिकों की संख्‍या को 40 हजार से बढ़ाकर 3 लाख किया जाएगा। यह नाटो के सैन्‍य तैयारियों को बड़े पैमाने पर बढ़ाने के अभियान का हिस्‍सा है। नाटो अब रिएक्‍शन फोर्स तैयार कर रहा है जो रूस के किसी भी हमले का बहुत तेजी से जवाब दे सकेगा। बाल्टिक सागर से सटे देश लगातार नाटो से मांग कर रहे हैं कि वे पूर्वी मोर्चे पर अपनी सैन्‍य तैयारी को बढ़ाएं। वह भी तब जब रूस बेलारूस को परमाणु बम दे रहा है। जर्मनी ने कहा है कि वह लिथुआनिया में अपने 4 हजार सैनिकों को बरकरार रखेगा।


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