जगह- मप्र विधानसभा का मानसरोवर सभागार, पोडियम पर सीधी विधायक रीति पाठक अनाउंसमेंट करने वाली हैं। वे माइक से कहतीं हैं- मुझे आदेश मिला है कि सांत्वना पुरस्कार के लिए जो तीन नाम चयनित हुए हैं वे सबसे पहले घोषित किए जाएं। रीति दो दिवसीय राज्य स्तरीय युवा संसद की ज्यूरी मेंबर के तौर पर शामिल रहीं।
उसके बाद रीति कहतीं हैं- सांत्वना पुरस्कार के लिए पहला नाम है शिवपुरी की मंजरी शर्मा। घोषणा होते ही मंजरी छात्राओं के बीच से उठतीं हैं और खुशी से झूमने लगती है। मंजरी अपने हाथों से आंखों को ढंक लेती हैं। और मंच की तरफ बढ़तीं हैं।
फिर विधायक पाठक कहतीं हैं, सांत्वना पुरस्कार के लिए दूसरा नाम है देवास से भूमिका शर्मा। भूमिका का नाम घोषित होते ही छात्र नारे लगाते हैं "फूल नहीं चिंगारी है ये भारत की नारी है"। रीति आगे कहती हैं सांत्वना पुरस्कारों में अगला नाम है शहडोल से ओम तिवारी। नामों की घोषणा होते ही सभागार में करीब दो मिनट तक तालियां बजती रहतीं हैं। सांत्वना पुरस्कारों में थर्ड, सेकेंड के बाद फर्स्ट की घोषणा बॉटम टू टॉप की गई।
उल्टे क्रम में की घोषणा विधायक रीति पाठक ने युवा संसद में राष्ट्रीय स्तर के लिए चयनित हुए तीन युवा वक्ताओं में सबसे पहले थर्ड रैंक की केंडिडेट का नाम घोषित किया। रीति ने कहा- मैं पहला नाम जो तीसरे नंबर पर है वो घोषित करने जा रही हूं। वो नाम सतना से है राशि त्रिपाठी। अगला नाम भिंड से चलकर आ रहा है ये नाम है यति। पहला नाम इंदौर से निकलकर आया है सजल जैन का।
छात्राएं मंच पर पहुंचीं और समापन समारोह के मुख्य अतिथि उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार, विधायक आशीष शर्मा, रीति पाठक, विधानसभा के पीएस एपी सिंह, सचिव अरविंद शर्मा, एनएसएस के राज्य अधिकारी डॉ मुकेश अग्निहोत्री, नेहरु युवा केन्द्र के राज्य अधिकारी राकेश सिंह तोमर से पुरस्कार हासिल किए। ग्रुप फोटो सेशन हुआ।
पुरस्कार लेने के बाद मां को फोन किया, रोते हुए खबर बताई पुरस्कार लेने के बाद राष्ट्रीय स्तर के लिए चयनित हुई तीनों छात्राएं जैसे ही मंच से नीचे उतरीं। वे सभागार से बाहर निकलीं और अपनी मांओं को फोन किया। फर्स्ट विनर रहीं सजल जैन ने सबसे पहले अपनी मां को रोते हुए फोन किया, रुंधे गले से वे कुछ कह ही नहीं पाईं। सजल ने दो बार कॉल डिस्कनेक्ट की। तीसरी बार में मां को फोन किया और रोते हुए कहा- मम्मी मैं फर्स्ट आई हूं। चलो बाय। और इतना कहकर उन्होंने फिर फोन काट दिया। सजल ने फिर मां को फोन किया और कहा- संसद भवन में बोलने जा रही हूं मोदी जी के सामने। मैं पूरे विधानसभा में फर्स्ट आई हूं।
फर्स्ट आई सजल जैन बोलीं- हजारों किलोमीटर तीर्थ करते हैं 500 मीटर वोट डालने नहीं जाते सजल जैन ने कहा- मैंने जो बात अलग कही थी वे दो बातें थीं। पहली- संशोधन की थी। 75 सालों में संविधान वो संविधान नहीं रहा जो उस समय गढ़ा गया था। वर्तमान का संविधान उस समय से बहुत अलग है। लेकिन, जो हमारी भावनाएं, इच्छाएं हैं। जो हमें आवश्यकताएं हैं उसके अनुरुप उस संविधान में संशोधन होते गए। और आज संविधान हमारे अनुकूल है।
मैंने दूसरी बात रखी थी वो मुख्यत: कर्तव्य की थी। कि हम हजारों किलोमीटर पैदल चलकर तीर्थ यात्रा तो कर लेते हैं। लेकिन, वर्तमान में 500 मीटर की दूसरी तय करके मतदान केन्द्र जाकर मतदान नहीं करते तब हमारे अधिकार तो आगे बढ़ जाते हैं लेकिन, हमारे कर्तव्य पीछे रह जाते हैं।