आज की तिथि – वैशाख शुक्ल नवमी आज का नक्षत्र – अश्लेषा आज का करण – कौलव आज का पक्ष – शुक्ल आज का योग – गंड आज का वार – शनिवार आज का दिशाशूल – पूर्व
सूर्योदय-सूर्यास्त और चंद्रोदय-चंद्रास्त का समय सूर्योदय – 06:08:00 AM सूर्यास्त – 07:05:00 PM चन्द्रोदय – 13:05:00 चन्द्रास्त – 26:44:00 चन्द्र राशि– कर्क
शक सम्वत – 1945 शुभकृत
विक्रम सम्वत – 2080 दिन काल – 13:12:15 मास अमांत – वैशाख मास पूर्णिमांत – वैशाख शुभ समय – 11:52:19 से 12:45:08 तक
अशुभ समय (अशुभ मुहूर्त) दुष्टमुहूर्त– 05:42:35 से 06:35:25 तक, 06:35:25 से 07:28:14 तक कुलिक– 06:35:25 से 07:28:14 तक कंटक– 11:52:19 से 12:45:08 तक राहु काल– 09:22 से 10:59 तक कालवेला/अर्द्धयाम– 13:37:57 से 14:30:46 तक यमघण्ट– 15:23:35 से 16:16:24 तक यमगण्ड– 13:57:46 से 15:36:48 तक गुलिक काल– 06:08 से 07:45 तक
आज वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि, गंड योग, अश्लेषा नक्षत्र और शनिवार दिन है. आज सीता नवमी है. आज की तिथि को माता सीता की उत्पत्ति हुई थी. इस वजह से इसे जानकी जयंती भी कहते हैं. सीता नवमी पर सुहागन महिलाएं व्रत रखती हैं और माता सीता के साथ भगवान श्रीराम की पूजा करती हैं. व्रत और पूजा करने से दांपत्य जीवन सुखमय होता है और अखंड सौभाग्य भी प्राप्त होता है. आज के दिन रवि योग बन रहा है. दोपहर 12 बजकर 47 मिनट से रवि योग लगेगा और पूरे रात तक है. रवि योग में कार्य करने से सफलता प्राप्त होती है. इस योग में अनिष्ट की आशंका दूर होती है. इसमें सूर्य देव की पूजा करना भी अच्छा रहता है.
आज शनिवार का दिन कर्मफलदाता शनि देव की पूजा का है. स्नान के बाद किसी भी शनि मंदिर में जाएं और विधि विधान से शनि देव की पूजा करें. उसके बाद एक कटोरे में सरसों का तेल भरकर उसमें अपनी छाया देखें और उसे दान कर दें. इस छाया दान से लाभ होगा, शनि की पीड़ा दूर होगी. शनि देव को पूजा में शमी के पत्ते, नीले फूल, काला तिल, सरसों या तिल का तेल आदि अर्पित करें. शनि देव प्रसन्न होकर आपके कष्ट को दूर करेंगे. इस दिन शनि चालीसा, शनि स्तोत्र, शनि कवच का पाठ करना अच्छा होता है.
इसके अलावा आज आप लोहा, काला कपड़ा, नीले फूल, काली उड़द, सरसों का तेल, कंबल, काला छाता आदि का दान कर सकते हैं. गरीबों को भोजन और दवाएं देने से भी शनि कृपा प्राप्त हो सकती है. आज के पंचांग से जानते हैं शुभ मुहूर्त, अशुभ समय, शुभ योग, सूर्योदय, चंद्रोदय, नक्षत्र, राहुकाल आदि I