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28 जनवरी 2023

Updated on 28-01-2023 02:08 PM
दिन - शनिवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - शिशिर*
*⛅मास - माघ*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - सप्तमी सुबह 08:43 तक तत्पश्चात अष्टमी*
*⛅नक्षत्र - अश्विनी शाम 07:06 तक तत्पश्चात भरणी*
*⛅योग - साध्य सुबह 11:55 तक तत्पश्चात शुभ*
*⛅राहु काल - सुबह 10:07 से 11:30 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:21*
*⛅सूर्यास्त - 06:24*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:37 से 06:29 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:27 से 01:18 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - व्रत पर्व विवरण - रथ-आरोग्य-विधान-अचला-चंद्रभागा सप्तमी, नर्मदा सप्तमी, भीष्माष्टमी (भीष्म पितामह श्राद्ध दिवस), लाला लाजपतराय जयंती ।*

*⛅विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाया जाय तो वह रोग बढ़ानेवाला तथा शरीर का नाशक होता है । अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है ।*
 *(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹अचला सप्तमी - 28 जनवरी 2023🔹* 

*🔸अचला सप्तमी के दिन स्नान, व्रत करके गुरु का पूजन करनेवाला सम्पूर्ण माघ मास के स्नान का फल व वर्षभर के रविवार व्रत का पुण्य पा लेता है । यह सम्पूर्ण पापों को हरनेवाली व सुख-सौभाग्य की वृद्धि करनेवाली है ।*

         
*🔸भीष्म अष्टमी - 28 जनवरी 2023* 

*🌹 भीष्म अष्टमी (भीष्म श्राद्ध दिवस है) । भीष्मजी के नाम से सूर्य को अर्घ्य दें तो संतान हीन् को संतान मिल सकती है और आरोग्य आदि प्राप्त होता है ।*

*वसूनामवताराय शंतनोरात्मजाय च ।*
*अघ्र्यं ददामि भीष्माय आबालब्रह्मचारिणे ।*
 
*🌹 ईस मंत्र से भीष्माष्टमी के दिन भीष्मजी को तिल, गंध, पुष्प, गंगाजल व कुश मिश्रित अर्ध्य देने से अभीष्ट सिद्ध होता है । वर्षभर के पाप नष्ट हो जाते हैं। सुंदर और गुणवान संतति प्राप्त होती है ।*

          
 *🔹भीष्म तर्पण दिवस🔹* 

 *🌹 माघ शुक्ल अष्टमी 28 जनवरी सुबह को भीष्मजी को जल अर्पण करें और संतान की प्राप्ति की इच्छा करें तो तेजस्वी आत्मा आती है । धवल निबंध ग्रंथ के अनुसार इस तिथि को भीष्म जी का तर्पण दिवस भी है ब्रह्मचारी भीष्म जी का तर्पण करने से लड़के लड़कियाँ तेजस्वी हो सकते हैं ।*

*🌹 नर्मदा जयंती - 28 जनवरी 🌹*
*🌹 मत्स्यपुराण में नर्मदा की महिमा इस तरह वर्णित है -‘कनखल क्षेत्र में गंगा पवित्र है और कुरुक्षेत्र में सरस्वती । परन्तु गांव हो चाहे वन, नर्मदा सर्वत्र पवित्र है । यमुना का जल एक सप्ताह में, सरस्वती का तीन दिन में, गंगाजल उसी दिन और नर्मदा का जल उसी क्षण पवित्र कर देता है ।’*

*गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती ।*
*नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु ॥*

*🔹इस दिन नर्मदा नदी पर स्नान करने के बाद मां नर्मदा नदी के तट पर फूल, धूप, अक्षत, कुमकुम आदि से पूजन करना चाहिए । इस दिन नर्मदा नदी में 11 आटे के दीप जलाने चाहिए और उनका दीपदान करना चाहिए । यह बेहद शुभ माना जाता है । ऐसा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं ।*

*🔹आर्थिक कष्ट निवारण हेतु🔹*
*🔹एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है ।*

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