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28 अप्रैल 2023

Updated on 28-04-2023 02:53 PM
⛅दिन - शुक्रवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2080*
*⛅शक संवत् - 1945*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - ग्रीष्म*
*⛅मास - वैशाख*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - अष्टमी शाम 04:01 तक तत्पश्चात नवमी*
*⛅नक्षत्र - पुष्य सुबह 09:53 तक तत्पश्चात अश्लेषा*
*⛅योग - शूल सुबह 09:39 तक तत्पश्चात गंड*
*⛅राहु काल - सुबह 11:00 से 12:37 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:09*
*⛅सूर्यास्त - 07:06*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:41 से 05:25 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:15 से 12:59 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण -*
*⛅विशेष - अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है । नवमी को लौकी खाना त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹घर में सुख-समृद्धि की वृद्धि हेतु🔹*

*🔹देशी गाय के गोबर का छोटा-सा दीपक बनाकर उसमें गुड़ की डली तथा गाय का घी या तिल का तेल डालें । फिर ज्योति जलाकर उसे घर के मुख्य द्वार के निकट रख दें । परब्रह्म-प्रकाशस्वरूपा दीपज्योति को नमस्कार करके प्रार्थना करें । इससे घर के वातावरण में सात्विक ऊर्जा बनेगी और घर में सुख-समृद्धि सदैव बनी रहेगी ।*
         
*🌹गर्मियों में विशेष उपयोगी-पुदीना🌹*

*🔹पुदीना गर्मियों में विशेष उपयोगी एक सुगंधित औषध है  यह रुचिकर, पचने में हलका, तीक्ष्ण, ह्रदय-उत्तेजक, विकृत कफ को बाहर लानेवाला, गर्भाशय-संकोचक बी चित्त को प्रसन्न करनेवाला हैं ।*

*🔹पुदीने के सेवन से भूख खुलकर लगती है और वायु का शमन होता हैं । यह पेट के विकारों में विशेष लाभकारी है । श्वास, मुत्राल्पता तथा त्वचा के रोगों में भी यह उपयुक्त है ।*

*🔹औषधि प्रयोग🔹* 

*१] पेट के रोग : अपच, अजीर्ण, अरुचि, मंदाग्नि, अफरा, पेचिश, पेट में मरोड़, अतिसार, उलटियाँ, खट्टी डकारें आदि में पुदीने के रस में जीरे का चूर्ण व आधे नींबू का रस मिलाकर पीने से लाभ होता है ।*

*२] मासिक धर्म : पुदीने को उबालकर पीने से मासिक धर्म की पीड़ा तथा अल्प मासिक स्राव में लाभ होता है । अधिक मासिक स्त्राव में यह प्रयोग न करें ।*

*३] गर्मियों में : गर्मी के कारण व्याकुलता बढ़ने पर एक गिलास ठंडे पानी में पुदीने का रस तथा मिश्री मिलाकर पीने से शीतलता आती है ।*

*४] पाचक चटनी : ताजा पुदीना, काली मिर्च, अदरक, सेंधा नमक, काली द्राक्ष और जीरा – इन सबकी चटनी बनाकर उसमें नींबू का रस निचोड़ कर खाने ने रूचि उत्पन्न होती है, वायु दूर होकर पाचनशक्ति तेज होती है । पेट के अन्य रोगों में भी लाभकारी है ।*

*५] उलटी-दस्त, हैजा : पुदीने के रस में नींबू का रस, अदरक का रस एवं शहद मिलाकर पिलाने से लाभ होता है ।*

*६] सिरदर्द : पुदीना पीसकर ललाट पर लेप करें तथा पुदीने का शरबत पिएं ।*

*७] ज्वर आदि : गर्मी में जुकाम, खाँसी व ज्वर होने पर पुदीना उबाल के पीने से लाभ होता है ।*

*८] नकसीर : नाक में पुदीने के रस की ३ बूँद डालने से रक्तस्त्राव बंद हो जाता है ।*

*९] मूत्र-अवरोध : पुदीने के पत्ते और मिश्री पीसकर १ गिलास ठंडे पानी में मिलाकर पिएं ।*

*१०] गर्मी की फुंसियाँ : समान मात्रा में सूखा पुदीना एंव मिश्री पीसकर रख लें । रोज प्रात: आधा गिलास पानी में ४ चम्मच मिलाकर पिएं ।*

*११] हिचकी : पुदीने या नींबू के रस-सेवन से राहत मिलती है ।*

*🔹विशेषः पुदीने का ताजा रस लेने की मात्रा है 5 से 20 ग्राम । पत्तों का चूर्ण लेने की मात्रा 3 से 6 ग्राम । काढ़ा लेने की मात्रा 20 से 40 ग्राम । अर्क लेने की मात्रा 20 से 40 ग्राम । बीज का तेल लेने की मात्रा आधी बूँद से 3 बूँद ।*

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