⛅ *व्रत पर्व विवरण - आज वैशाख कृष्ण प्रतिपदा/द्वितीया तिथि है।
"आनन्द" नाम विक्रम संवत् 2078 है I
आज से शिवालयों में गलन्ति का बंधन किया जाता है।
👉 वैशाख मास का बहुत अधिक महत्त्व है।
👉 वैशाख के महीने में सभी तीर्थ, देवता अथाह जल राशि में सदैव स्थित रहते हैं। इसलिए वैशाख मास में स्नान का विशेष महत्त्व है।
👉 वैशाख मास में शीतल जल, शीतल पेय (शरबत), शीतल हवा देने वाला पंखा, छाता, चरण पादुका, सूती वस्त्र, सत्तू, भोजन के दान का अत्यधिक महत्त्व है।
👉 वैशाख मास में संकष्टी चतुर्थी, चंडिका नवमी, वरुथिनी एकादशी, त्रेतायुग आरम्भ दिवस है।
👉 वैशाख माह में वल्लभाचार्य जयंती, शुकदेव मुनि जयंती, पराशर ऋषि जयंती, भगवान परशुराम प्रकटोत्सव, मातंगी जयंती, आद्य गुरु शंकराचार्य जयंती, सूरदास जयंती, मलूकदास जयंती, रामानुजाचार्य जयंती, गंगोत्पत्ति, चित्रगुप्त प्रकटोत्सव, बगुलामुखी जयंती, सीता नवमी, रुक्मिणी द्वादशी (बंगाल), नृसिंह प्रकटोत्सव, बुद्ध जयंती, कूर्म जयंती, छिन्नमस्तिका जयंती आदि है।
👉 वैशाख माह में गौरी पूजा, पुत्र प्राप्ति व्रत, निम्ब सप्तमी, कमल सप्तमी, शर्करा सप्तमी, वैशाखी अष्टमी, मोहनी एकादशी, मधुसूदन पूजा, कामदेव व्रत, पुत्रादिप्रद व्रत, कदली व्रत, वैशाखी व्रत आदि है।
विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
आरती में कपूर का उपयोग
🔥 कपूर – दहन में बाह्य वातावरण को शुद्ध करने की अदभुत क्षमता है | इसमें जीवाणुओं, विषाणुओं तथा सूक्ष्मतर हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करने की शक्ति है | घर में नित्य कपूर जलाने से घर का वातावरण शुद्ध रहता है, शरीर पर बीमारियों का आक्रमण आसानी से नहीं होता, दु:स्वप्न नहीं आते और देवदोष तथा पितृदोषों का शमन होता है |
वैशाख मास माहात्म्य 🌷
🙏🏻 वैशाख मास सुख से साध्य, पापरूपी ईंधन को अग्नि की भाँति जलानेवाला, अतिशय पुण्य प्रदान करनेवाला तथा धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष - चारों पुरुषार्थों को देनेवाला है ।
🙏🏻 देवर्षि नारदजी राजा अम्बरीष से कहते हैं : ‘‘राजन् ! जो वैशाख में सूर्योदय से पहले भगवत्-चिंतन करते हुए पुण्यस्नान करता है, उससे भगवान विष्णु निरंतर प्रीति करते हैं ।
🙏🏻 पाप तभी तक गरजते हैं जब तक जीव यह पुण्यस्नान नहीं करता ।
🙏🏻 वैशाख मास में सब तीर्थ आदि देवता बाहर के जल (तीर्थ के अतिरिक्त) में भी सदैव स्थित रहते हैं । सब दानों से जो पुण्य होता है और सब तीर्थों में जो फल होता है, उसीको मनुष्य वैशाख में केवल जलदान करके पा लेता है । यह सब दानों से बढकर हितकारी है ।
वैशाख मास - (इस मास में भक्तिपूर्वक किये गये दान, जप, हवन, स्नान आदि शुभ कर्मों का पुण्य अक्षय तथा सौ करोड़ गुना अधिक होता है। - पद्म पुराण)