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27 मई 2021

Updated on 27-05-2021 01:52 PM
⛅ दिन - गुरुवार
⛅ विक्रम संवत - 2078 (गुजरात - 2077)
⛅ शक संवत - 1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - ग्रीष्म 
⛅ मास - ज्येष्ठ (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार - वैशाख)
⛅ पक्ष - कृष्ण 
⛅ तिथि - प्रतिपदा दोपहर 01:02 तक तत्पश्चात द्वितीया
⛅ नक्षत्र - ज्येष्ठा रात्रि 10:29 तत्पश्चात मूल
⛅ योग - सिद्ध शाम 06:48 तक तत्पश्चात साध्य
⛅ राहुकाल - दोपहर 02:16 से शाम 03:55 तक 
⛅ सूर्योदय - 05:58 
⛅ सूर्यास्त - 19:13 
⛅ दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
⛅ व्रत पर्व विवरण - देवर्षि नारदजी जयंती
आज गुरुवार, ज्येष्ठ कृष्ण प्रतिपदा तिथि है  आज ज्येष्ठा नक्षत्र, "आनन्द" नाम संवत् 2078 है 👆 ( उक्त जानकारी उज्जैन के पञ्चाङ्गों के अनुसार है)
👉 आज से ज्येष्ठ मास ज्येष्ठा नक्षत्र से प्रारम्भ होकर ज्येष्ठा नक्षत्र पर ही समाप्त होगा।
👉 कल नारद जयंती है। फिर चतुर्थी व्रत है।
👉 इस ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष में विश्व पर्यावरण दिवस, सोम प्रदोष, पांडवों का स्वर्गारोहण दिवस, शनि जयंती, वट सावित्री व्रत है।
👉 इस मास के शुक्ल पक्ष में गङ्गा दशहरा, महाराणा प्रताप जयंती, उमावतार विंध्यवासिनी जयंती, धूमावती जयंती, केवट जयंती, बटुक भैरव जयंती, महेश नवमी (माहेश्वरी समाज उत्पत्ति दिवस), गंगा दशमी, गायत्री जयंती, निर्जला एकादशी व्रत, भौम प्रदोष, रामेश्वर प्रतिष्ठा दिवस, स्वामीनारायण सम्प्रदाय के संस्थापक की पुण्यतिथि, विश्व योग दिवस, कबीर जयंती, सरयू नदी का उद्गम दिवस है।
👉 ज्येष्ठ मास में करवीर व्रत, रम्भा व्रत, पार्वती पूजा, शिव पूजा, दुर्गन्धि - दुर्भाग्य नाशक व्रत, पञ्च तप व्रत, बिल्वत्रि रात्रि व्रत करने का विधान भी है।
👉 शंख दो प्रकार के होते हैं - एक वामावर्त्त और दूसरा दक्षिणावर्त्त।
👉  दक्षिणावर्ती शंख श्रेष्ठ माना जाता है, जो नवनिधियों में से एक है।
👉 दक्षिणावर्ती शंख से रक्त दोष का निवारण होता है।
 💥 विशेष - प्रतिपदा को कूष्माण्ड(कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
   
🌷 सौभाग्य-रक्षा और सुख-शांति व समृद्धि बढ़ाने हेतु 🌷
👩🏻 माताएँ-बहनें रोज स्नान के बाद पार्वती माता का स्मरण करते-करते उत्तर दिशा की ओर मुख करके तिलक करें और पार्वती माता को इस मंत्र से वंदन करें :
🌷 “ॐ ह्रीं गौर्यै नम: |”
👩🏻 इससे माताओं –बहनों के सौभाग्य की रक्षा होगी तथा घर में सुख-शांति और समृद्धि बढ़ेगी |

🌷 ज्येष्ठ मास 🌷
🙏🏻 महाभारत अनुशासन पर्व अध्याय 106 के अनुसार “ज्येष्ठामूलं तु यो मासमेकभक्तेन संक्षिपेत्। ऐश्वर्यमतुलं श्रेष्ठं पुमान्स्त्री वा प्रपद्यते।।” जो एक समय ही भोजन करके ज्येष्ठ मास को बिताता है वह स्त्री हो या पुरुष, अनुपम श्रेष्ठ एश्‍वर्य को प्राप्त होता है।
🙏🏻 शिवपुराण के अनुसार ज्येष्ठ में तिल का दान बलवर्धक और मृत्युनिवारक होता है।
🙏🏻 ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा के दिन मूल नक्षत्र होने पर मथुरा में स्नान करके विधिवत् व्रत-उपवास करके भगवान कृष्ण की पूजा उपासना करते हुए श्री नारद पुराण का श्रवण करें तो भक्ति जन्म-जन्मान्तरों के पाप से मुक्त हो जाता है। माया के जाल से मुक्त होकर निरंजन हो जाता है। भगवान् विष्णु के चरणों में वृत्ति रखने वाला संसार के प्रति अनासक्त होकर फलस्वरूप जीव मुक्ति को प्राप्त करता हुआ वैकुंठ वासी हो जाता है।
🙏🏻 धर्मसिन्धु के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा को तिलों के दान से अश्वमेध यज्ञ का फल होता है।
🙏🏻 ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अपरा एकादशी का व्रत किया जाता है।
🙏🏻 ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या को शनि जयंती मनाई जाती है।  शास्त्रों के अनुसार शनि देव जी का जन्म ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को रात के समय हुआ था।
🙏🏻 ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को गंगा दशहरा का पवित्र त्यौहार मनाया जाता है।
🙏🏻 ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी का व्रत किया जाता है।
🙏🏻 महाभारत अनुशासन पर्व अध्याय 109 के अनुसार ज्येष्ठ मास की द्वादशी तिथि को दिन-रात उपवास करके जो भगवान त्रिविक्रम की पूजा करता है, वह गोमेध यज्ञ का फल पाता और अप्सराओं के साथ आनन्द भोगता है ।

🌷 विष्णुपुराण के अनुसार
यमुनासलिले स्त्रातः पुरुषो मुनिसत्तम!
ज्येष्ठामूलेऽमले पक्षे द्रादश्यामुपवासकृत् ।। ६-८-३३ ।।
तमभ्यर्च्च्याच्युतं संम्यङू मथुरायां समाहितः ।
अश्वमेधस्य यज्ञस्य प्राप्तोत्यविकलं फलम् ।। ६-८-३४ ।।
🙏🏻 ज्येष्ठ मास के शुक्लपक्ष की द्वादशी को मथुरापुरी में उपवास करते हुए यमुना स्नान करके समाहितचित से श्रीअच्युत का भलीप्रकार पूजन करने से मनुष्य को अश्वमेध-यज्ञ का सम्पूर्ण फल मिलता है।


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