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27 अप्रैल 2023

Updated on 27-04-2023 01:52 PM
दिन - गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2080*
*⛅शक संवत् - 1945*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - ग्रीष्म*
*⛅मास - वैशाख*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - सप्तमी दोपहर 01:38 तक तत्पश्चात अष्टमी*
*⛅नक्षत्र - पुनर्वसु सुबह 07:00 तक तत्पश्चात पुष्य*
*⛅योग - धृति सुबह 08:48 तक तत्पश्चात शूल*
*⛅राहु काल - दोपहर 02:14 से 03:51 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:10*
*⛅सूर्यास्त - 07:05*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:41 से 05:26 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:15 से 12:59 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - गुरुपुष्यामृत योग, निम्ब सप्तमी*
*⛅विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाया जाय तो वह रोग बढ़ानेवाला तथा शरीर का नाशक होता है । अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌹 27 अप्रैल 2023 : गुरुपुष्यामृत योग 🌹* 

*🔹पुण्य काल - 27 अप्रैल सुबह 07:00 से 28 अप्रैल सूर्योदय तक*

*🌹 पुष्य नक्षत्र का गुरुवार से योग होने पर वह अति दुर्लभ ‘गुरुपुष्यामृत योग' कहलाता है ।*

*🌹 गुरुपुष्यामृत योग व्यापारिक कार्यों के लिए तो विशेष लाभदायी माना गया है ।*

*🌹 गुरुपुष्यामृत योग में किया गया जप, ध्यान, दान, पुण्य महाफलदायी होता है ।* 

*🌹गुरुपुष्यामृत योग में विद्या एवं धार्मिक अनुष्ठान प्रारम्भ करना, आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करना शुभ होता है ।*

*🌹गुरुपुष्यामृत योग में विवाह व उससे संबंधित सभी मांगलिक कार्य वर्जित है ।*

*🔹कैसे बदले दुर्भाग्य को सौभाग्य में🔹* 

*🌹 बरगद के पत्ते पर गुरुपुष्य या रविपुष्य योग में हल्दी से स्वस्तिक बनाकर घर में रखें ।*

*🔹निम्ब सप्तमीः 27 अप्रैल 2023*

*🌹‘भविष्य पुराण’ ब्राह्म पर्व में मुनि सुमंतु जी राजा शतानीक को निम्ब सप्तमी (वैशाख शुक्ल सप्तमी) की महिमा बताते हुए कहते हैं- “इस दिन निम्ब पत्र का सेवन किया जाता है । यह सप्तमी सभी तरह से व्याधियों को हरने वाली है। इस दिन भगवान सूर्य का ध्यान कर उनकी पूजा करनी चाहिए । सूर्यदेव की प्रसन्नता के लिए नैवेद्य के रूप में गुड़ोदक (गुड़ मिश्रित जल) समर्पित करे व भगवान सूर्य को निवेदित करके 10-15 कोमल पत्ते प्राशन (ग्रहण) करेः*

*🌹त्वं निम्ब कटुकात्मासि आदित्यनिलयस्तथा।*

*🌹सर्वरोगहरः शान्तो भव मे प्राशनं सदा।।*

*🔹गुरुवार विशेष 🔹*

*🔸हर गुरुवार को तुलसी के पौधे में शुद्ध कच्चा दूध गाय का थोड़ा-सा ही डाले तो, उस घर में लक्ष्मी स्थायी होती है और गुरूवार को व्रत उपवास करके गुरु की पूजा करने वाले के दिल में गुरु की भक्ति स्थायी हो जाती है ।*

*🔸गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति के प्रतीक आम के पेड़ की निम्न प्रकार से पूजा करें :*

*🔸एक लोटा जल लेकर उसमें चने की दाल, गुड़, कुमकुम, हल्दी व चावल डालकर निम्नलिखित मंत्र बोलते हुए आम के पेड़ की जड़ में चढ़ाएं ।* 
  
*ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः ।*

*🌹 फिर उपरोक्त मंत्र बोलते हुए आम के वृक्ष की पांच परिक्रमा करें और गुरुभक्ति, गुरुप्रीति बढ़े ऐसी प्रार्थना करें । थोड़ा सा गुड़ या बेसन की मिठाई चींटियों को डाल दें ।*

*🔸गुरुवार को बाल कटवाने से लक्ष्मी और मान की हानि होती है ।* 

*🔸गुरुवार के दिन तेल मालिश हानि करती है । यदि निषिद्ध दिनों में मालिश करनी ही है तो ऋषियों ने उसकी भी व्यवस्था दी है । तेल में दूर्वा डाल के मालिश करें तो वह दोष चला जायेगा ।*

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