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दिनांक 26 नवम्बर 2020

Updated on 26-11-2020 12:02 PM
*विक्रम संवत - 2077*
⛅ *शक संवत - 1942*
⛅ *अयन - दक्षिणायन*
⛅ *ऋतु - हेमंत*
⛅ *मास - कार्तिक*
⛅ *पक्ष - शुक्ल* 
⛅ *तिथि - द्वादशी पूर्ण रात्रि तक*
⛅ *नक्षत्र - रेवती रात्रि 09:21 तक तत्पश्चात अश्विनी*
⛅ *योग - सिद्धि सुबह 07:36 तक तत्पश्चात व्यतिपात
⛅ *राहुकाल - दोपहर 01:48 से शाम 03:11 तक*
⛅ *सूर्योदय - 06:57* 
⛅ *सूर्यास्त - 17:54* 
⛅ *दिशाशूल - दक्षिण दिशा में*
⛅ *व्रत पर्व विवरण - देवउठी-प्रबोधिनी एकादशी (भागवत), तुलसी विवाह प्रारंभ, चतुर्मास समाप्त, द्वादशी वृद्धि तिथि*
 विशेष - हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है lराम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।
💥 *आज एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l*
💥 *एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए।*
💥 *एकादशी को चावल व साबूदाना खाना वर्जित है | एकादशी को शिम्बी (सेम) ना खाएं अन्यथा पुत्र का नाश होता है।*
💥 *जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं।कार्तिक मास के अंतिम 3 दिन दिलाएं महा पुण्य पुंज
कार्तिक मास में सभी दिन अगर कोई स्नान ना कर पाए तो  त्रयोदशी, चौदस और पूनम ये तीन दिन सुबह सूर्योदय से पूर्व स्नान कर लेने से पूरे कार्तिक मास के स्नान के पुण्यो की प्राप्ति होता है।
इन तीन दिन विष्णु सहस्रनाम पाठ और गीता का पाठ भी अत्यंत प्रभावशाली और पुण्यदायी है l
व्यतिपात योग
व्यतिपात योग की ऐसी महिमा है कि उस समय जप पाठ प्राणायम, माला से जप या मानसिक जप करने से भगवान की और विशेष कर भगवान सूर्यनारायण की प्रसन्नता प्राप्त होती है जप करने वालों को, व्यतिपात योग में जो कुछ भी किया जाता है उसका १ लाख गुना फल मिलता है।*
वाराह पुराण में ये बात आती है व्यतिपात योग की।व्यतिपात योग माने क्या कि देवताओं के गुरु बृहस्पति की धर्मपत्नी तारा पर चन्द्र देव की गलत नजर थी जिसके कारण सूर्य देव अप्रसन्न हुऐ नाराज हुऐ, उन्होनें चन्द्रदेव को समझाया पर चन्द्रदेव ने उनकी बात को अनसुना कर दिया तो सूर्य देव को दुःख हुआ कि मैने इनको सही बात बताई फिर भी ध्यान नही दिया और सूर्यदेव को अपने गुरुदेव की याद आई कि कैसा गुरुदेव के लिये आदर प्रेम श्रद्धा होना चाहिये पर इसको इतना नही थोडा भूल रहा है ये, सूर्यदेव को गुरुदेव की याद आई और आँखों से आँसु बहे वो समय व्यतिपात योग कहलाता है। और उस समय किया हुआ जप, सुमिरन, पाठ, प्रायाणाम, गुरुदर्शन की खूब महिमा बताई है वाराह पुराण में।
विशेष - व्यतिपात योग - 26 नवम्बर 2020 गुरुवार को सुबह 07:37 से 27 नवम्बर, शुक्रवार को सुबह 08:30 तक व्यतीपात योग है।

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