*⛅विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🌹 लक्ष्मी कहा विराजती है ? 🌹*
*🌹 जहाँ भगवान व उनके भक्तों का यश गाया जाता है वहीँ भगवान की प्राणप्रिया भगवती लक्ष्मी सदा विराजती है । (श्रीमद् देवी भागवत )*
*🔹तिल के तेल के औषधीय प्रयोग🔹*
*🔸१] तिल का सेवन १०-१५ मिनट तक मुँह में रखकर कुल्ला करने से शरीर पुष्ट होता है, होंठ नहीं फटते, कंठ नहीं सूखता, आवाज सुरीली होती है, जबड़ा व हिलते दाँत मजबूत बनते हैं और पायरिया दूर होता है ।*
*🔸२] ५० ग्राम तिल के तेल में १ चम्मच पीसी हुई सोंठ और मटर के दाने बराबर हींग डालकर गर्म किये हुए तेल की मालिश करने से कमर का दर्द, जोड़ों का दर्द, अंगों की जकड़न, लकवा आदि वायु के रोगों में फायदा होता है ।*
*🔸३] २०-२५ लहसुन की कलियाँ २५० ग्राम तिल के तेल में डालकर उबालें । इस तेल की बूँदे कान में डालने से कान का दर्द दूर होता है ।*
*🔸४] प्रतिदिन सिर में काले तिलों के शुद्ध तेल से मालिश करने से बाल सदैव मुलायम, काले और घने रहते हैं, बाल असमय सफेद नहीं होते ।*
*🔸५] ५० मि.ली. तिल के तेल में ५० मि.ली. अदरक का रस मिला के इतना उबालें कि सिर्फ तेल रह जाय । इस तेल से मालिश करने से वायुजन्य जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है ।*
*🔸६] तिल के तेल में सेंधा नमक मिलाकर कुल्ले करने से दाँतों के हिलने में लाभ होता है ।*
*🔸७] घाव आदि पर तिल का तेल लगाने से वे जल्दी भर जाते हैं ।*
*🔹चार बातों को याद रखो🔹*
👉 *१] ब्रह्मनिष्ठ महापुरुषों व ज्ञानवृद्ध बड़े-बुजुर्गों का आदर करना ।*
👉 *२] छोटों की रक्षा करना और उन पर स्नेह करना ।*
👉 *३] सत्संगी बुद्धिमानों से सलाह लेना और*
👉 *४] मूर्खों के साथ नहीं उलझना ।*
*🔹नम्रता के तीन लक्षण🔹*
👉🏻 *१] कडवी बात का मीठा जवाब देना ।*
👉🏻 *२] क्रोध के अवसर पर भी चुप्पी साधना और*
👉🏻 *३] किसीको दंड देना ही पड़े तो उस समय चित्त को कोमल रखना ।*