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25 फरवरी 2023

Updated on 25-02-2023 10:32 AM
दिन - शनिवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - वसंत*
*⛅मास - फाल्गुन*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - षष्ठी रात्रि 12:20 तक तत्पश्चात सप्तमी*
*⛅नक्षत्र - अश्विनी 25 फरवरी प्रातः 03:27 तक तत्पश्चात भरणी*
*⛅योग - ब्रह्म शाम 05:18 तक तत्पश्चात इन्द्र*
*⛅राहु काल - सुबह 09:59 से 11:26 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:05*
*⛅सूर्यास्त - 06:41*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:26 से 06:15 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:28 से 01:17 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - आचार्य सुन्दरसाहेब पुण्यतिथि*
*⛅विशेष - षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है ।* *(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌹 शनिवार के दिन विशेष प्रयोग 🌹*

*🌹 शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है । (ब्रह्म पुराण)*

*🌹 हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है । (पद्म पुराण)*

*🔹आर्थिक कष्ट निवारण हेतु🔹*

*🔹एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है ।*

*🔹सायटिका और कैसे पायें इससे राहत ?🔹*

*🔸सायटिका या गृध्रसी नसों में होनेवाला ऐसा दर्द है जिसमें मरीज को सबसे पहले कूल्हे में दर्द होता हैं और फिर धीरे-धीरे यह दर्द नसों से होते हुए दोनों पैरों में बढ़ता है । इससे उठने – बैठने व चलने – फिरने में दिक्कत होती है । यह कोई रोग नहीं है बल्कि रीढ़ से संबंधित कुछ रोगों का लक्षण हो सकता है । कभी-कभी सगर्भावस्था के कारण भी दर्द शुरू हो सकता है ।*

*🔸अधिक मेहनत करने या भारी वजन उठाने, अनुचित जीवनशैली व खान-पान, उठने-बैठने की गलत मुद्रा एवं रुखा, शीतल व आवश्यकता से कम मात्रा में आहार, अति संसार-व्यवहार, अधिक व्यायाम, चिंतित रहना, मल-मूत्र आदि के वेगों को रोकना, शरीर में कच्चा रस बनना आदि कारणों से भी यह दर्द हो सकता है ।*

*🔹कैसे पायें सायटिका से राहत ?🔹*

*🔸अधिकांश मामलों में कमर की गद्दी के अपने स्थान से खिसकने के कारण सायटिका का दर्द होना पाया जाता है । इसमें चिकित्सक की सलाह के अनुसार १५ दिनों से २ महीनों तक सिर्फ थोडा विश्राम करने और हलकी कसरत एवं योगासन जैसे की मकरासन, भुजंगासन, वज्रासन आदि का सहारा लेने से काफी लोगों को फायदा मिल जाता है ।*

*🔹सायटिका में लाभदायी अन्य प्रयोग🔹*

*🔹संत श्री आशारामजी आश्रमों व समिति के सेवाकेन्द्रों पर ऐसी कुछ औषधियाँ उपलब्ध हैं जो सायटिका में उत्तम लाभ देनेवाली हैं :*

*१] अश्वगंधा चूर्ण व टेबलेट : २ से ४ ग्राम अश्वगंधा चूर्ण या २ – ४ अश्वगंधा टेबलेट सुबह खाली पेट दूध के साथ लें ।*

*२] वज्र रसायन टेबलेट : आधी से एक गोली देशी गाय के दूध, घी अथवा शुद्ध शहद के साथ सुबह खाली पेट लें ।*

*३] स्पेशल मालिश तेल : इससे दिन में १ – २ बार हलके हाथों से मालिश करके गर्म कपड़े से सिंकाई करें ।*

*४] संधिशूलहर योग चूर्ण : २ चम्मच चूर्ण रात को १ गिलास पानी में भिगों दें । सुबह इसे उबालें । आधा पानी शेष रहने पर छान के पियें ।*

*🔸 अनुभूत घरेलू प्रयोग : पारिजात के १० – १५ पत्ते ३०० मि.ली. पानी में उबालें । २०० मि.ली. पानी शेष रहने पर छानें और २५ – ५० मि.ग्राम केसर घोंटकर इस पानी में घोल दें । १०० मि.ली. सुबह – शाम पियें । १५ दिन तक पीने से सायटिका जड़ से चला जाता है । स्लिप्ड डिस्क में भी यह प्रयोग रामबाण उपाय है । (वसंत ऋतु में पारिजात के पत्ते गुणहीन होते हैं । अत: यह प्रयोग वसंत ऋतु में लाभ नहीं करता । 2023 में वसंत ऋतु 19 फरवरी से 20 अप्रैल तक है ।)*

*वैद्कीय सलाहनुसार उचित आहार-विहार, पंचकर्म-चित्किसा, आयुर्वेदिक औषधियों का सेवन आदि से संतोषकारक परिणाम मिलते हैं ।*

*🔹सावधानियाँ : १] वायुवर्धक पदार्थ जैसे – आलू, मटर, चना, अरहर की दाल, बासी भोजन, अति ठंडा पानी आदि से तथा अति उपवास से बचें ।*

*२] पेट में कब्ज, गैस आदि न होने दें एवं प्रसन्न रहें ।*

*३] कमोड शौचालय का प्रयोग करें, ऊँची एडी की चप्पल न पहनें, अधिक दर्द होने पर शरीर को आराम दें एवं मुलायम गद्दे पर न सोयें ।*

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