*🌹 फिर ‘ॐ तुलस्यै नम:’ मंत्र बोलते हुए तिलक करें, अक्षत (चावल) व पुष्प अर्पित करें तथा वस्त्र व कुछ प्रसाद चढायें । दीपक जलाकर आरती करें और तुलसीजी की ७, ११, २१,५१ व १०८ परिक्रमा करें ।*
*तुलसी माता की परिक्रमा करते समय ये मंत्र बोलें :-*
*"यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च । तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिण पदे पदे ।।"*
*🌹उस शुद्ध वातावरण में शांत हो के भगवत्प्रार्थना एवं भगवन्नाम या गुरुमंत्र का जप करें । तुलसी के पास बैठकर प्राणायाम करने से बल, बुद्धि और ओज की वृद्धि होती है ।*
*🌹 तुलसी – पत्ते डालकर प्रसाद वितरित करें । तुलसी के समीप रात्रि १२ बजे तक जागरण कर भजन, कीर्तन, सत्संग-श्रवण व जप करके भगवद-विश्रांति पायें । तुलसी – नामाष्टक का पाठ भी पुण्यदायक है । तुलसी – पूजन अपने नजदीकी आश्रम या तुलसी वन में अथवा यथा–अनुकूल किसी भी पवित्र स्थान में कर सकते हैं ।*
*🌹तुलसी – नामाष्टक🌹*
*वृन्दां वृन्दावनीं विश्वपावनी विश्वपूजिताम् |*
*पुष्पसारां नन्दिनी च तुलसी कृष्णजीवनीम् ||*
*एतन्नामाष्टकं चैतत्स्तोत्रं नामार्थसंयुतम् |*
*य: पठेत्तां च संपूज्य सोऽश्वमेधफलं लभेत् ||*
*🌹भगवान नारायण देवर्षि नारदजी से कहते हैं : “वृन्दा, वृन्दावनी, विश्वपावनी, विश्वपूजिता, पुष्पसारा, नंदिनी, तुलसी और कृष्णजीवनी – ये तुलसी देवी के आठ नाम हैं । यह सार्थक नामावली स्तोत्र के रूप में परिणत है ।*
*🌹 जो पुरुष तुलसी की पूजा करके इस नामाष्टक का पाठ करता है, उसे अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है । ( ब्रह्मवैवर्त पुराण, प्रकृति खण्ड :२२.३२-३३)*
*🔸तुलसी के औषधीय गुण (भाग-२)🔸*
*🔹इसके सेवन से विटामिन ʹएʹ तथा ʹसीʹ की कमी दूर हो जाती है । खसरा निवारण के लिए यह रामबाण इलाज है ।*
*🔹किसी भी प्रकार के विषविकार में तुलसी का स्वरस यथेष्ट मात्रा में पीना चाहिए ।*
*🔹20 तुलसी पत्र एवं 10 कालीमिर्च एक साथ पीसकर हर आधे से दो घंटे के अंतर से बार-बार पिलाने से सर्पविष उतर जाता है । तुलसी का रस लगाने से जहरीले कीड़े, ततैया, मच्छर का विष उतर जाता है ।*
*🔸तुलसी के स्वरस का पान करने से प्रसव-वेदना कम होती है ।*
*🔸स्वप्नदोष : 10 ग्राम तुलसी के बीज मिट्टी के पात्र में रात को पानी में भिगो दें व सुबह सेवन करें। इससे लाभ होता है ।*
*🔸तुलसी के बीजों को कूटकर व गुड़ में मिलाकर मटर के बराबर गोलियाँ बना लें । प्रतिदिन सुबह शाम दो-दो गोली खाकर ऊपर से गाय का दूध पीने से नपुंसकत्व दूर होता है, वीर्य में वृद्धि होती है, नसों में शक्ति आती है, पाचन शक्ति में सुधार होता है । हर प्रकार से हताश पुरुष भी सशक्त बन जाता है ।*
*🔸जल जाने पर : तुलसी के स्वरस व नारियल के तेल को उबालकर, ठण्डा होने पर जले भाग पर लगायें । इससे जलन शांत होती है तथा फफोले व घाव शीघ्र मिट जाते हैं ।*
*🔸विद्युत का झटका : विद्युत के तार का स्पर्श हो जाने या वर्षा ऋतु में बिजली गिरने के कारण यदि झटका लगा हो तो रोगी के चेहरे और माथे पर तुलसी का स्वरस मलें । इससे रोगी की मूर्च्छा दूर हो जाती है ।*
*🔸जलशुद्धि : दूषित जल की शुद्धि के लिए जल में तुलसी की हरी पत्तियाँ डालें । इससे जल शुद्ध व पवित्र हो जाएगा ।*
*🔸शक्ति की वृद्धि : शीतऋतु में तुलसी की 5-7 पत्तियों में 3-4 काली मिर्च तथा 3-4 बादाम मिलाकर, पीसकर सेवन करने से हृदय को शक्ति प्राप्त होती है ।*