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25 दिसम्बर 2022

Updated on 25-12-2022 02:48 PM
दिन - रविवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शिशिर*
*⛅मास - पौष*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - द्वितीया सुबह 08:24 तक तत्पश्चात तृतीया*
*⛅नक्षत्र - उत्तराषाढ़ा शाम 07:21 तक तत्पश्चात श्रवण* 
*⛅योग - व्याघात रात्रि 12:59 तक तत्पश्चात हर्षण*
*⛅राहु काल -शाम 04:41 से 06:01 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:18*
*⛅सूर्यास्त - 06:01*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:32 से 06:25 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:13 से 01:06 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - तुलसी पूजन दिवस, विश्वगुरु भारत कार्यक्रम (25 दिसम्बर से 01 जनवरी 2023), पं. मदनमोहन मालवीय जयंती*
*⛅विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है । तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है ।*
 *(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌹 तुलसी पूजन दिवस - 25 दिसम्बर 2022 🌹*
 
*🌹 तुलसी पूजन विधि 🌹*

*🌹 25 दिसम्बर को सुबह स्नानादि के बाद घर के स्वच्छ स्थान पर तुलसी के गमले को जमीन से कुछ ऊँचे स्थान पर रखें । उसमें यह मंत्र बोलते हुए जल चढायें :*

*🌹महाप्रसाद जननी सर्वसौभाग्यवर्धिनी आधि व्याधि हरा नित्यम् तुलसी त्वाम् नमोस्तुते ।*

 *🌹 फिर ‘ॐ तुलस्यै नम:’ मंत्र बोलते हुए तिलक करें, अक्षत (चावल) व पुष्प अर्पित करें तथा वस्त्र व कुछ प्रसाद चढायें । दीपक जलाकर आरती करें और तुलसीजी की ७, ११, २१,५१ व १०८ परिक्रमा करें ।*

*तुलसी माता की परिक्रमा करते समय ये मंत्र बोलें :-*
*"यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च । तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिण पदे पदे ।।"*

*🌹उस शुद्ध वातावरण में शांत हो के भगवत्प्रार्थना एवं भगवन्नाम या गुरुमंत्र का जप करें । तुलसी के पास बैठकर प्राणायाम करने से बल, बुद्धि और ओज की वृद्धि होती है ।*

 *🌹 तुलसी – पत्ते डालकर प्रसाद वितरित करें । तुलसी के समीप रात्रि १२ बजे तक जागरण कर भजन, कीर्तन, सत्संग-श्रवण व जप करके भगवद-विश्रांति पायें । तुलसी – नामाष्टक का पाठ भी पुण्यदायक है । तुलसी – पूजन अपने नजदीकी आश्रम या तुलसी वन में अथवा यथा–अनुकूल किसी भी पवित्र स्थान में कर सकते हैं ।*

*🌹तुलसी – नामाष्टक🌹*

*वृन्दां वृन्दावनीं विश्वपावनी विश्वपूजिताम् |*
*पुष्पसारां नन्दिनी च तुलसी कृष्णजीवनीम् ||*
*एतन्नामाष्टकं चैतत्स्तोत्रं नामार्थसंयुतम् |*
*य: पठेत्तां च संपूज्य सोऽश्वमेधफलं लभेत् ||*

*🌹भगवान नारायण देवर्षि नारदजी से कहते हैं : “वृन्दा, वृन्दावनी, विश्वपावनी, विश्वपूजिता, पुष्पसारा, नंदिनी, तुलसी और कृष्णजीवनी – ये तुलसी देवी के आठ नाम हैं । यह सार्थक नामावली स्तोत्र के रूप में परिणत है ।*

*🌹 जो पुरुष तुलसी की पूजा करके इस नामाष्टक का पाठ करता है, उसे अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है । ( ब्रह्मवैवर्त पुराण, प्रकृति खण्ड :२२.३२-३३)*

*🔸तुलसी के औषधीय गुण (भाग-२)🔸*

*🔹इसके सेवन से विटामिन ʹएʹ तथा ʹसीʹ की कमी दूर हो जाती है । खसरा निवारण के लिए यह रामबाण इलाज है ।*

*🔹किसी भी प्रकार के विषविकार में तुलसी का स्वरस यथेष्ट मात्रा में पीना चाहिए ।*

*🔹20 तुलसी पत्र एवं 10 कालीमिर्च एक साथ पीसकर हर आधे से दो घंटे के अंतर से बार-बार पिलाने से सर्पविष उतर जाता है । तुलसी का रस लगाने से जहरीले कीड़े, ततैया, मच्छर का विष उतर जाता है ।*

*🔸तुलसी के स्वरस का पान करने से प्रसव-वेदना कम होती है ।*

*🔸स्वप्नदोष : 10 ग्राम तुलसी के बीज मिट्टी के पात्र में रात को पानी में भिगो दें व सुबह सेवन करें। इससे लाभ होता है ।*

*🔸तुलसी के बीजों को कूटकर व गुड़ में मिलाकर मटर के बराबर गोलियाँ बना लें । प्रतिदिन सुबह शाम दो-दो गोली खाकर ऊपर से गाय का दूध पीने से नपुंसकत्व दूर होता है, वीर्य में वृद्धि होती है, नसों में शक्ति आती है, पाचन शक्ति में सुधार होता है । हर प्रकार से हताश पुरुष भी सशक्त बन जाता है ।*

*🔸जल जाने पर : तुलसी के स्वरस व नारियल के तेल को उबालकर, ठण्डा होने पर जले भाग पर लगायें । इससे जलन शांत होती है तथा फफोले व घाव शीघ्र मिट जाते हैं ।*

*🔸विद्युत का झटका : विद्युत के तार का स्पर्श हो जाने या वर्षा ऋतु में बिजली गिरने के कारण यदि झटका लगा हो तो रोगी के चेहरे और माथे पर तुलसी का स्वरस मलें । इससे रोगी की मूर्च्छा दूर हो जाती है ।*

*🔸जलशुद्धि : दूषित जल की शुद्धि के लिए जल में तुलसी की हरी पत्तियाँ डालें । इससे जल शुद्ध व पवित्र हो जाएगा ।*

*🔸शक्ति की वृद्धि : शीतऋतु में तुलसी की 5-7 पत्तियों में 3-4 काली मिर्च तथा 3-4 बादाम मिलाकर, पीसकर सेवन करने से हृदय को शक्ति प्राप्त होती है ।*

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