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24 मार्च 2021

Updated on 24-03-2021 09:00 PM
दिन - बुधवार ,  विक्रम संवत - 2077, शक संवत - 1942
 अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत
⛅ मास - फाल्गुन
⛅ पक्ष - शुक्ल 
⛅ तिथि - दशमी सुबह 10:23 तक तत्पश्चात एकादशी
⛅ नक्षत्र - पुष्य रात्रि 11:12 तक तत्पश्चात अश्लेशा
⛅ योग - अतिगण्ड दोपहर 11:42 तक तत्पश्चात सुकर्मा
⛅ राहुकाल - दोपहर 12:45 से दोपहर 02:16 तक
⛅ सूर्योदय - 06:40 
⛅ सूर्यास्त - 18:49 
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
⛅ *व्रत पर्व विवरण -  एकादशी व्रत के लाभ  
➡ 24 मार्च 2021 बुधवार को सुबह 10:24 से 25 मार्च, गुरुवार को सुबह 09:47 तक एकादशी है ।
💥 विशेष - 25 मार्च, गुरुवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखें ।
🙏🏻 एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।
🙏🏻 जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।
🙏🏻 जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।
🙏🏻 एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं ।इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।
🙏🏻 धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।
🙏🏻 कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।
🙏🏻 परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है ।पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ ।भगवान शिवजी  ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है ।
एकादशी के दिन करने योग्य 
एकादशी को दिया जला के विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें विष्णु सहस्त्र नाम नहीं हो तो १० माला गुरुमंत्र का जप कर लें l अगर घर में झगडे होते हों, तो झगड़े शांत हों जायें ऐसा संकल्प करके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें तो घर के झगड़े भी शांत होंगे l
श्री गोबर गणेश निमाड़ मध्यप्रदेश 
मध्य प्रदेश के निमाड़ क्षेत्र में नर्मदा नदी के किनारे बसा माहेश्वर एक महत्वपूर्ण कस्बा है। इसी कस्बे के महावीर मार्ग पर एक अति प्राचीन मंदिर है, जिसका नाम है गोबर गणेश।
 गोबर गणेश शब्द से हिन्दी में बुद्धूपने का संकेत मिलता है, इसलिए यह नाम इस कस्बे में आने वालों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। दूसरी बात स्थानीय लोग बताते हैं कि इस मन्दिर का प्रताप सबसे बढ़कर है। गोबर गणेश मन्दिर से कोई खाली हाथ नहीं जाता।
माहेश्वर नगर पंचायत में लिपिक के पद पर कार्यरतमंगेश जोशी के अनुसार यह मन्दिर गुप्त कालीन है। औरंगजेब के समय में इसे मस्जिद बनाने का प्रयास किया गया था, जिसके प्रमाण इस मन्दिर का गुंबद है, जो मस्जिद की तरह है। बाद में श्रद्धालुओं ने यहां पुनः मूर्ति की स्थापना करके, वहां पूजा प्रारंभ की।
गोबर गणेश मंदिर में गणेश की जो प्रतिमा है, वह शुद्ध रूप से गोबर की बनी है। इस मूर्ति में 70 से 75 फीसदी हिस्सा गोबर है और इसका 20 से 25 फीसदी हिस्सा मिट्टी और दूसरी सामग्री है, इसीलिए इस मंदिर को गोबर गणेश मंदिर कहते हैं।  इस मंदिर की देखभाल का काम ‘श्री गोबर गणेश मंदिर जिर्णोद्धार समिति’ कर रही है। विद्वानों के अनुसार मिट्टी और गोबर की मूर्ति की पूजा पंचभूतात्मक होने तथा गोबर में लक्ष्मी का वास होने से ‘लक्ष्मी तथा ऐश्वर्य’ की प्राप्ति‍ हेतु की जाती है। मंदिर के पुजारी अस्सी वर्षिय दत्तात्रेय जोशी के अनुसार गणेश जी का स्वरूप भूतत्व रूपी है। ‘महोमूलाधारे’ इस प्रमाण से मूलाधार भूतत्व है। अर्थात् मूलाधार में भूतत्व रूपी गणेश विराजमान हैं।  और गणपति के ग्लोंबीज का विचार करने से पहले यह अवगत होता है कि ‘तस्मादा एतस्मा दात्मनआकाशः सम्भूतः आकाशादायुः वायोरग्निआग्नेरापः अभ्दयः; पृथ्वी’ इस सृष्टि के अनुसार‘गकार’, ‘खबीज’ और ‘लकार’, भूबीज इनके जोड़ सेपंचभूतात्मक गणेश हैं।’
माहेश्वर में बने गोबर के गणेश प्रतिमा की पूजा की सार्थकता बताते हुए पंडित श्री जोशी कहते हैं-भाद्रपक्ष शुक्ल चतुर्थी के पूजन के लिए हमारे पूर्वजगोबर या मिट्टी से ही गणपति का बिम्ब बनाकर पूजा करते थे। आज भी यह प्रथा आचार में प्रचलित है। शोणभद्र शीला या अन्य सोने चांदी बने बिम्ब को पूजा में नहीं रखते क्योंकि ‘गोबर में लक्ष्मी का वास होता है।
इसी प्रकार गोबर एवं मिट्टी से बनी गणेशप्रतिमाओं को पूजा में ग्रहण करते हैं। चूंकि माना गया है कि गणपति में भूतत्व है।’ श्री गणेश वही हैं, जिनकी पूजा हिन्दू रीति में हर शुभकार्य से पहले अनिवार्य मानी गई है, इसलिए श्रीगणेश करना हमारी परंपरा में किसी कार्य को प्रारंभ करने के पर्यायवाची के तौर पर लिया जाता है।
माहेश्वर का गोबर गणेश मंदिर पहली नजर में देशभर में स्थित अपनी ही तरह के हजारों गणेश मंदिरों की ही तरह है, लेकिन इस मंदिर में गोबर से निर्मित गणेश और इस मंदिर का गुंबद जो आम हिन्दू मंदिरों की तरह नहीं है, अपनी तरफ आकर्षित जरूर करता है।  एक खास बात और, स्थानीय लोगों की इस मंदिर में आस्था किसी का भी ध्यान अपनी तरफ आकर्षित कर सकती है, इसलिए नर्मदा के किनारे निमाड़ क्षेत्र में कभी जाएं तो माहेश्वर का गोबर गणेश मंदिर देखना ना भूलें

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