रूस और यूक्रेन के बीच 23 महीने से जारी जंग में सबसे बड़ा प्रिजनर एक्सचेंज यानी कैदियों की अदला-बदली हुई है। बुधवार रात यह प्रिजनर एक्सचेंज UAE के अफसरों की मध्यस्थता और निगरानी में हुआ। रूस ने यूक्रेन के 230 नागरिकों को छोड़ा। यूक्रेन ने रूस के 248 कैदियों को रिहा किया। रूस की डिफेंस मिनिस्ट्री ने इसकी पुष्टि की है। जंग के बीच दोनों देशों में 48वीं बार प्रिजनर एक्सचेंज हुआ है।
पांच महीने बातचीत चली
‘यूरो मीडिया’ वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक- दोनों देशों के बीच UAE की मध्यस्था से प्रिजनर एक्सचेंज पर बातचीत पांच महीने से जारी थी। हालांकि, किसी भी पक्ष ने इस बारे में कोई जानकारी सामने नहीं आने दी।
रूस की डिफेंस मिनिस्ट्री ने कहा- हमारे 248 नागरिक और सैनिक अपने घर पहुंच चुके हैं। इस डील को UAE की मदद से पूरा किया गया है। हमारे UAE के साथ बहुत अच्छे दोस्ताना रिश्ते हैं। यही बात यूक्रेन और UAE के संबंधों के बारे में कही जा सकती है। जंग और तमाम तरह की पाबंदियों के बावजूद रूस और UAE के बीच ट्रेड रिलेशन्स काफी मजबूत रहे हैं।
दोनों देशों से करीबी संबंधों के चलते UAE सरकार ने पिछले साल कहा था कि अगर दोनों पक्ष तैयार हों तो वो न सिर्फ सीजफायर बल्कि प्रिजनर एक्सचेंज पर भी बातचीत कराने के लिए कोशिश कर सकता है। इसके बाद दोनों सरकारों ने इस पर रजामंदी जताई थी।
एक्सचेंज के बावजूद सीजफायर की उम्मीद नहीं
रूस ने बुधवार रात एक बयान में कहा- हमने यूक्रेन की तरफ से रूस पर दागी गईं 12 मिसाइलों को इंटरसेप्ट किया है। यूक्रेन की तरफ से हालिया वक्त में हमले तेज हुए हैं। रूस इसका जवाब जरूर देगा। हमारे प्रेसिडेंट साफ कर चुके हैं कि जंग के बावजूद रूस में कोई दिक्कत नहीं है। हमारा डिफेंस सिस्टम बेहतरीन काम कर रहा है।
बयान में आगे कहा गया- मंगलवार को यूक्रेन ने अमेरिका से इम्पोर्ट की गईं दो मिसाइलें दागीं। हमारे डिफेस सिस्टम ने इन्हें हवा में ही मार गिराया। यूक्रेन को पश्चिमी देशों से क्लस्टर बम मिले हैं। इनका इस्तेमाल रूस के खिलाफ किया जा रहा है। अगर ये सिलसिला नहीं रुका तो जवाबी कार्रवाई में होने वाली तबाही का जिम्मेदार भी यूक्रेन ही होगा।
बयानबाजी भी जारी
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की का कहना है कि यूक्रेनी सेना युद्ध के मैदान में रूस को कड़ी टक्कर दे रही है। पिछले दिनों जेलेंस्की ने कहा था- पुतिन का अपने ही देश में विरोध बढ़ता जा रहा है। यूक्रेनी सेना अब रूसी सेना के कब्जे वाले इलाकों को खाली करवा रही है।
हालांकि, दिसंबर 2023 की शुरुआत में G20 की वर्चुअल समिट के दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने लगभग दो साल से जारी रूस-यूक्रेन जंग खत्म किए जाने का जिक्र किया था। पुतिन ने कहा था- अब यूक्रेन के साथ जंग खत्म करने का समय है। हम बातचीत के लिए तैयार हैं। हमने कभी शांति वार्ता के लिए मना नहीं किया।
दरअसल, अक्टूबर 2022 में यूक्रेन के प्रेसिडेंट वोलोदिमिर जेलेंस्की ने आधिकारिक तौर पर पुतिन के साथ किसी भी यूक्रेनी वार्ता की संभावना को असंभव घोषित करते हुए एक डिक्री (ऑफिशियल डिसीजन) पर साइन किए थे। हालांकि, इसमें रूसी सरकार के साथ बातचीत के लिए दरवाजा खुले होने की बात थी।
NATO है रूस-यूक्रेन विवाद की वजह
1991 में सोवियत संघ के 15 हिस्सों में टूटने के बाद NATO ने खासतौर पर यूरोप और सोवियत संघ का हिस्सा रहे देशों के बीच तेजी से प्रसार किया।
2004 में NATO से सोवियत संघ का हिस्सा रहे तीन देश- लातविया, एस्तोनिया और लिथुआनिया जुड़े, ये तीनों ही देश रूस के सीमावर्ती देश हैं।
पोलैंड (1999), रोमानिया (2004) और बुल्गारिया (2004) जैसे यूरोपीय देश भी NATO के सदस्य बन चुके हैं। ये सभी देश रूस के आसपास हैं। इनके और रूस के बीच सिर्फ यूक्रेन पड़ता है।
यूक्रेन कई साल से NATO से जुड़ने की कोशिश करता रहा है। उसकी हालिया कोशिश की वजह से ही रूस ने यूक्रेन पर हमला किया है।
यूक्रेन की रूस के साथ 2200 किमी से ज्यादा लंबी सीमा है। रूस का मानना है कि अगर यूक्रेन NATO से जुड़ता है तो NATO सेनाएं यूक्रेन के बहाने रूसी सीमा तक पहुंच जाएंगी।
यूक्रेन के NATO से जुड़ने पर रूस की राजधानी मॉस्को की पश्चिमी देशों से दूरी केवल 640 किलोमीटर रह जाएगी। अभी ये दूरी करीब 1600 किलोमीटर है। रूस चाहता है कि यूक्रेन ये गांरटी दे कि वह कभी भी NATO से नहीं जुड़ेगा।