*⛅विशेष - त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔸ॐ कार जप अक्षय फलदायी🔸*
*चतुर्दशी-आर्द्रा नक्षत्र योग में ॐकार का जप अक्षय फलदायी है ।*
*(23 जनवरी रात्रि 08-39 से 24 जनवरी सुबह 06:26 तक)*
*🔹कर्ज-निवारक कुंजी🔹*
*🌹भौम प्रदोष व्रत : 23 जनवरी 2024*
*🌹प्रदोष व्रत यदि मंगलवार के दिन पड़े तो उसे ‘भौम प्रदोष व्रत’ कहते हैं । मंगलदेव ऋणहर्ता होने से कर्ज-निवारण के लिए यह व्रत विशेष फलदायी है । भौम प्रदोष व्रत के दिन संध्या के समय यदि भगवान शिव एवं सद्गुरुदेव का पूजन करें तो उनकी कृपा से जल्दी कर्ज से मुक्त हो जाते हैं । पूजा करते समय यह मंत्र बोले :*
*मृत्युंजय महादेव त्राहि मां शरणागतम ।*
*जन्ममृत्युजराव्याधिपीडितं कर्मबन्धनै: ।।*
*इस दैवी सहायता के साथ स्वयं भी थोड़ा पुरुषार्थ करें ।*
*🔸आत्महत्या करनेवाले प्राणी की अशुद्धि (अशौच) न मानें, पाश का छेदन न करें, आँसू भी न गिरायें, अग्नि संस्कार, अस्थि-संचय और जलदान (श्राद्ध-तर्पण) भी न करें । ऐसे प्राणी के शरीर को ले जानेवाले तथा दाह संस्कार करनेवाले तप्तकृच्छ्र व्रत करने से शुद्ध होते हैं ।*
*🔸(२) अतिमानादतिक्रोधात् स्नेहाद्वा यदि वा भयात् । उद्वघ्नीयात् स्त्री पुमान् वा गतिरेषा विधीयते ॥ पूयशोणितसम्पूर्णे त्वन्धे तमसि मज्जति । षष्टिवर्षसहस्राणि नरकं प्रतिपद्यते ॥*
*(पाराशर स्मृति: ४.१,२)*
*आत्महत्या करनेवाला मनुष्य ६० हजार वर्षों तक अंधतामिस्र नरक में निवास करता है ।*
*🔸भाई का वध करने से जिस अत्यंत धोर नरक की प्राप्ति होती है, उससे भी भयानक नरक स्वयं ही अपनी हत्या करने से प्राप्त होता है ।*
*🔸(४) अन्धन्तमोविशेयुस्ते ये चैवात्महनो जनाः । भुक्त्वा निरयसाहरत्रं ते च स्युर्गामसूकराः ।। आत्मघातो न कर्तव्यस्तस्मात् क्वापि विपश्चिता। इहापि च परत्रापि न शुभान्यात्मघातिनाम् ।।*
*(स्कन्द पुराण, काशी. पू. १२.१२,१३)*
*🔸आत्महत्यारे घोर नरकों में जाते हैं और हजारों नरक-यातनाएँ भोगकर फिर देहाती सूअरों की योनि में जन्म लेते हैं । इसलिए समझदार मनुष्य को कभी भूलकर भी आत्महत्या नहीं करनी चाहिए । आत्महत्यारों का न तो इस लोक में और न परलोक में ही कल्याण होता है ।*
*🔸(५) जलाग्न्युद्वन्धनभ्रष्टा प्रवज्यानशनच्युताः । विषप्रपतनप्रायशस्त्रघातच्युताञ्च ये ॥ सर्वे ते प्रत्यवसिताः सर्वलोकवहिष्कृताः । चान्द्रायणेन शुध्यन्ति तप्तकृच्छूद्वयेन वा ।। (यम स्मृतिः २,३)*
*🔸यदि आत्महत्या का प्रयत्न करनेवाला मनुष्य किसी प्रकार बच जाता है अथवा जो संन्यास लेकर उसे त्याग देता है तो वे दोनों 'प्रत्यवसित' कहलाते हैं । ऐसे मनुष्य सभी के द्वारा बहिष्कृत होते हैं । उनकी शुद्धि चान्द्रायण व्रत अथवा दो तप्तकृच्छ्र व्रत करने से होती है ।*
*🔸(६) रज्जुशस्त्रविषैर्वापि कामक्रोधवशेन यः। घातयेत्स्वयमात्मानं स्त्री वा पापेन मोहिता ।। रज्जुना राजमार्गे तां चण्डालेनापकर्षयेत्। न श्मशानविधिस्तेषां न सम्बन्धिक्रियास्तथा ॥ बन्धुस्तेषां तु यः कुर्यात्प्रेतकार्यक्रियाविधिम् ।*
*तद्गतिं स चरेत्पश्चात्स्वजनाद्वा प्रमुच्यते ॥ (कौटिल्य अर्थशास्त्र : ४.७)*
*🔸जो पुरुष या स्त्री काम या क्रोध के वशीभूत होकर, फाँसी लगाकर, शस्त्र के द्वारा या विष लेकर आत्महत्या करे उसका शव चाण्डाल रस्सी से बाँधकर राजमार्ग से घसीटता हुआ ले जाय । ऐसे व्यक्तियों के लिए दाह संस्कार और तिलांजलि आदि संस्कार वर्जित हैं । ऐसे व्यक्त्ति का कोई बंधु दाहादि संस्कार (प्रेतकार्य) करता है तो मरने के बाद उसको भी वही गति प्राप्त होती है और इस लोक में उसे जातिच्युत कर दिया जाता है ।*