*⛅तिथि - द्वादशी रात्रि 07:51 तक तत्पश्चात त्रयोदशी*
*⛅नक्षत्र - मृगशिरा 23 जनवरी प्रातः 04:58 तक तत्पश्चात आर्द्रा*
*⛅योग - ब्रह्म सुबह 08:47 तक तत्पश्चात इन्द्र*
*⛅राहु काल - सुबह 08:45 से 10:07 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:22*
*⛅सूर्यास्त - 06:20*
*⛅दिशा शूल - पूर्व*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:38 से 06:30 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:25 से 01:17 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - महापर्व दुनिया का सब से पुण्य दिवस दान, पुत्रदा एकादशी परायण दान, महादान दिवस*
*⛅विशेष - द्वादशी को पोई खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔸चतुर्दशी-आर्द्रा नक्षत्र योग : 23 जनवरी🔸*
*(23 जनवरी रात्रि 08-39 से 24 जनवरी सुबह 06:26 तक)*
*चतुर्दशी-आर्द्रा नक्षत्र योग में ॐकार का जप अक्षय फलदायी है ।*
*🌹भौम प्रदोष व्रत : 23 जनवरी 2024*
*कर्ज-निवारक कुंजी*
*🌹प्रदोष व्रत यदि मंगलवार के दिन पड़े तो उसे ‘भौम प्रदोष व्रत’ कहते हैं । मंगलदेव ऋणहर्ता होने से कर्ज-निवारण के लिए यह व्रत विशेष फलदायी है । भौम प्रदोष व्रत के दिन संध्या के समय यदि भगवान शिव एवं सद्गुरुदेव का पूजन करें तो उनकी कृपा से जल्दी कर्ज से मुक्त हो जाते हैं । पूजा करते समय यह मंत्र बोले :*
*मृत्युंजय महादेव त्राहि मां शरणागतम ।*
*जन्ममृत्युजराव्याधिपीडितं कर्मबन्धनै: ।।*
*इस दैवी सहायता के साथ स्वयं भी थोड़ा पुरुषार्थ करें ।*
*🔹मानसिक रोग एवं चिकित्सा🔹*
*🔸आज के अशांति एवं कोलाहल भरे वातावरण में दिन-प्रतिदिन मनुष्य का जीवन तनाव, चिंता एवं परेशानियों से ग्रस्त होता जा रहा है । इसी वजह से वह थोड़ी-थोड़ी बात पर चिढ़ने-कुढ़ने लगता है एवं क्रोधित हो जाता है । यहाँ क्रोध, अनिद्रा एवं अतिनिद्रा पर नियंत्रण पाने के लिए कुछ उपचार दिये जा रहे हैं :-*
*🔹क्रोध की अधिकता में 🔹*
एक नग आँवले का मुरब्बा प्रतिदिन प्रातःकाल खायें और शाम को एक चम्मच गुलकंद खाकर ऊपर से दूध पी लें । इससे क्रोध पर नियंत्रण पाने में सहायता मिलेगी ।*
*🔹सहायक उपचार🔹*
👉 (१) भोजन २० से २५ मिनट तक चबा- चबाकर शांति से खायें ।*
*👉 (२) क्रोध आए उस वक्त अपना विकृत चेहरा आइने में देखने से भी लज्जावश क्रोध भाग जाएगा ।*
*👉 (३) 'ॐ शांति... शांति... शांति... ॐ.... एक कटोरी में जल लेकर उस जल में देखकर इस मंत्र का २१ बार जप करके और बाद में वही जल पी लेने से क्रोधी स्वभाव में बदलाहट आएगी ।*
*🔹14 फरवरी : मातृ-पितृ पूजन दिवस क्यों ?🔹*
🔸माता-पिता ने हमसे अधिक वर्ष दुनिया में गुजारे हैं, उनका अनुभव हमसे अधिक है और सदगुरु ने जो महान अनुभव किया है उसकी तो हमारे छोटे अनुभव से तुलना ही नहीं हो सकती । इन तीनों के आदर से उनका अनुभव हमें सहज में ही मिलता है। अतः जो भी व्यक्ति अपनी उन्नति चाहता है, उस सज्जन को माता-पिता और सदगुरु का आदर पूजन आज्ञापालन तो करना चाहिए, चाहिए और चाहिए ही !*
🔸१४ फरवरी को 'वेलेंटाइन डे' मनाकर युवक-युवतियाँ प्रेमी-प्रेमिका के संबंध में फँसते है। वासना के कारण उनका ओज-तेज दिन दहाड़े नीचे के केन्द्रों में आकर नष्ट होता है । उस दिन 'मातृ-पितृ पूजन' काम-विकार की बुराई व दुश्चरित्रता की दलदल से ऊपर उठाकर उज्जवल भविष्य, सच्चरित्रा, सदाचारी जीवन की ओर ले जायेगा ।*