*⛅ व्रत पर्व विवरण - रविवारी सप्तमी (सूर्योदय से दोपहर 02:31 तक), कालाष्टमी, मासिक कृष्ण जन्माष्टमी, त्रिपुष्कर योग (प्रातः 07:17 से दोपहर 02:31 तक), सर्वार्थ सिद्धि योग (अहोरात्रि)*
*⛅विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ते हैं और शरीर का नाश होता है व अष्टमी को नारियल खाने से बुद्धि का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹अमृत – औषधि दालचीनी🔹*
*🔸दालचीनी उष्ण, पाचक, स्फूर्तिदायक, रक्तशोधक, वीर्यवर्धक व मूत्रल है । यह वायु व कफ का शमन कर उनसे उत्पन्न होनेवाले अनेक रोगों को दूर करती है ।*
*🔸यह श्वेत रक्तकणों की वृद्धि कर रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ाती है । बवासीर, कृमि, खुजली, राजयक्ष्मा ( टी,बी,), इन्फ्लूएंजा ( एक प्रकार का शीतप्रधान संक्रामक ज्वर), मूत्राशय के रोग, टायफायड, ह्रदयरोग, कैन्सर, पेट के रोग आदि में यह लाभकारी है । संक्रामक बीमारियों की यह विशेष औषधि है ।*
*🔹दालचीनी के कुछ प्रयोग🔹*
*🔸१] पेट के रोग व सर्दी – खाँसी : १ ग्राम ( एक चने जितनी मात्रा ) दालचीनी चूर्ण में १ चम्मच शहद मिलाकर दिन में १ – २ बार चाटने से मंदाग्नि, अजीर्ण, पेट की वायु, संग्रहणी रोग, अफरा और सर्दी – खाँसी में लाभ होता है ।*
*🔸२] ह्रदयरोग : एक ग्राम दालचीनी चूर्ण २०० मि.ली. पानी में धीमी आँच पर उबालें । १०० मि.ली. पानी शेष रहने पर उसे छानकर पी लें । इसे रोज सुबह लेने से कोलेस्ट्राँल की अतिरिक्त मात्रा घटती हैं । गर्म प्रकृतिवाले लोग एवं ग्रीष्म ऋतू में इसके पानी में दूध मिलाकर उपयोग कर सकते हैं । इस प्रयोग से रक्त की शुद्धि होती है एवं ह्रदय को बल मिलता है ।*
*🔸३] स्वरभंग, खाँसी व मुँह की बदबू : दालचीनी का छोटा-सा टुकड़ा चूसने से स्वरभंग ( गला बैठना ) की विकृति नष्ट होती है व आवास खुलती है । इससे खाँसी का प्रकोप शांत होता है, मुँह की बदबू दूर होती है, मसूड़े मजबूत बनते हैं और तोतलेपन में भी लाभ होता है ।*
*🔹सावधानियाँ : गर्भवती महिलाओं के लिए दालचीनी लेना निषिद्ध है । इसकी अधिक मात्रा लेने से पित्त ( उष्ण ) प्रकृतिवालों को सिरदर्द होता है । अत्यधिक मात्रा में, रात को या दीर्घकाल तक इसका सेवन करना हानिकारक है ।*
वारः मंगलवार, विक्रम संवतः 2081, शक संवतः 1946, माह/पक्ष : पौष मास – कृष्ण पक्ष, तिथि : नवमीं तिथि दिन में 5ः08 तक रहेगी, उसके बाद दशमीं तिथि रहेगी. चंद्र…
वारः शनिवार, विक्रम संवतः 2081, शक संवतः 1946, माह/पक्ष : पौष मास – कृष्ण पक्ष, तिथि : षष्ठी तिथि दिन में 12 बजकर 21 मिनट तक रहेगी, तत्पश्चात् सप्तमी तिथि रहेगी. चंद्र राशि : चंद्रमा सिंह राशि में दिन-रात रहेंगे. चंद्र नक्षत्र…
वार: शुक्रवार, विक्रम संवत: 2081, शक संवत: 1946, माह/पक्ष : पौष मास – कृष्ण पक्ष, तिथि : पंचमी तिथि दिन में 10:49 तक रहेगी, तत्पश्चात् षष्ठी तिथि रहेगी. चंद्र राशि : चंद्रमा सिंह राशि में रहेंगे दिनरात. चंद्र नक्षत्र : मघा रात्रि 3:47…
वारः बुधवारविक्रम संवतः 2081शक संवतः 1946माह/पक्ष : पौष मास – कृष्ण पक्षतिथि : तृतीया तिथि दिन में 10ः06 तक रहेगी, उसके बाद चतुर्थी तिथि रहेगी.चंद्र राशि : चंद्रमा कर्क राशि…