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21 मई 2021

Updated on 21-05-2021 02:37 PM
⛅ दिन - शुक्रवार
⛅ विक्रम संवत - 2078 (गुजरात - 2077)
⛅ शक संवत - 1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - ग्रीष्म 
⛅ मास - वैशाख
⛅ पक्ष - शुक्ल 
⛅ तिथि - नवमी सुबह 11:10 तक तत्पश्चात दशमी
⛅ नक्षत्र - पूर्वाफाल्गुनी शाम 03:23 तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी
⛅ योग - हर्षण रात्रि 09:10 तक तत्पश्चात वज्र
⛅ राहुकाल - सुबह 10:56 से दोपहर 12:35 तक
⛅ सूर्योदय - 06:00 
⛅ सूर्यास्त - 19:10
⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
⛅ व्रत पर्व विवरण -  आज शुक्रवार, वैशाख शुक्ल दशमी तिथि है ,  आज पूर्वा फाल्गुनी/ उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र, "आनन्द" नाम संवत् 2078 है 👆 (उक्त जानकारी उज्जैन पञ्चाङ्गों के अनुसार है)
👉 भविष्य पुराण के उत्तर पर्व में, पद्म पुराण, स्कन्द पुराण, मत्स्य पुराण, वाराह पुराण, महाभारत में व्रत ही व्रत का विस्तार से वर्णन है।
👉 भविष्य पुराण के उत्तर पर्व के 129 वें अध्याय में 100 से अधिक व्रतों का वर्णन है।
👉 श्री सत्यनारायण व्रत कथा स्कन्द पुराण के रेवाखण्ड के नाम से प्रसिद्ध है। 
👉 परन्तु भविष्य पुराण में भी श्री सत्यनारायण व्रत कथा है, जो स्कन्द पुराण रेवाखण्ड की कथा से भिन्न है।
👉 वर्तमान वैवस्वत मनु मन्वन्तर में देवराज इन्द्र का असली नाम पुरंदर है।
👉 ब्राह्मण कुल में जन्म होने से ब्राह्मण, संस्कार होने से ब्राह्मण द्विज कहलाता है। विद्या अध्ययन से विप्र और यज्ञोपवीत संस्कार व ब्रह्मविद्या से श्रोत्रिय कहलाता है।
👉 पिता स्वर्ग है, पिता धर्म है, पिता सर्वश्रेष्ठ तपस्या है।
👉 पिता के प्रसन्न होने पर सब देवता प्रसन्न हो जाते हैं।
👉 यदि पिता प्रसन्न है तो संतान के सब पापों का प्रायश्चित हो जाता है।
👉 पुत्र के व्यवहार से कष्ट पाते हुए भी पिता उसके प्रति स्नेह नहीं छोड़ते, यह पिता का गौरव है।
 💥 विशेष - नवमी को लौकी खाना गोमांस के समान त्याज्य है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🌷 एकादशी व्रत के लाभ🌷
➡ 22 मई 2021 शनिवार को सुबह 09:16 से 23 मई, रविवार को सुबह 06:42 तक एकादशी है ।
💥 विशेष - 23 मई, रविवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखें ।
🙏🏻 एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।
🙏🏻 जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।
🙏🏻 जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।
🙏🏻 एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं ।इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।
🙏🏻 धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।
🙏🏻 कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।
🙏🏻 परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है ।पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ ।भगवान शिवजी  ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है ।
🌷 एकादशी के दिन करने योग्य🌷
🙏🏻 एकादशी को दिया जलाके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें   .......विष्णु सहस्त्र नाम नहीं हो तो १० माला गुरुमंत्र का जप कर लें l अगर घर में झगडे होते हों, तो झगड़े शांत हों जायें ऐसा संकल्प करके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें तो घर के झगड़े भी शांत होंगे l
🌷 एकादशी के दिन ये सावधानी रहे🌷
🙏🏻 महीने में १५-१५ दिन में  एकादशी आती है एकादशी का व्रत पाप और रोगों को स्वाहा कर देता है लेकिन वृद्ध, बालक और बीमार व्यक्ति एकादशी न रख सके तभी भी उनको चावल का तो त्याग करना चाहिए एकादशी के दिन जो  चावल खाता है... तो धार्मिक ग्रन्थ से एक- एक चावल एक- एक कीड़ा खाने का पाप लगता है ।

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