दिन - सोमवार⛅ विक्रम संवत - 2078 (गुजरात - 2077)⛅ शक संवत - 1943⛅ अयन - दक्षिणायन⛅ ऋतु - वर्षा ⛅ मास - ज्येष्ठ⛅ पक्ष - शुक्ल ⛅ तिथि - एकादशी दोपहर 01:31 तक तत्पश्चात द्वादशी⛅ नक्षत्र - स्वाती शाम 04:46 तक तत्पश्चात विशाखा⛅ योग - शिव शाम 05:34 तक तत्पश्चात सिद्ध⛅ राहुकाल - सुबह 07:38 से सुबह 09:19 तक⛅ सूर्योदय - 05:59 ⛅ सूर्यास्त - 19:21 (सूर्योदय और सूर्यास्त के समय में जिलेवार अंतर संभव है)⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में I
⛅ व्रत पर्व विवरण - निर्जला-भीम एकादशी, गायत्री माता जयंती, दक्षिणायन आरम्भ (पुण्यकाल सूर्योदय से सुबह 09:03 तक), वर्षा ऋतु प्रारंभ I
💥 विशेष - हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है l राम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।
💥 आज एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l
💥 एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए।
💥 एकादशी को चावल व साबूदाना खाना वर्जित है | एकादशी को शिम्बी (सेम) ना खाएं अन्यथा पुत्र का नाश होता है।
💥 जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं।
दक्षिणायन आरंभ
🌷➡ 21 जून 2021 सोमवार को (पुण्यकाल सूर्योदय से सुबह 09:03 तक)
उत्तरायण या दक्षिणायान के आरंभ के दिन किया गया जप-ध्यान व पुण्यकर्म कोटि कोटि गुना अधिक एवं अक्षय होता है |– पद्म पुराण
वर्षा ऋतु 🌷➡ 21 जून 2021 सोमवार से वर्षा ऋतु प्रारंभ ।
☔ ग्रीष्म ऋतु में दुर्बल हुआ शरीर वर्षा ऋतु में धीरे-धीरे बल प्राप्त करने लगता है | आद्र वातावरण जठराग्नि को मंद करता है |
वर्षा ऋतु में वात-पित्तजनित व अजीर्णजन्य रोगों का प्रादुर्भाव होता है | अत: जठराग्नि प्रदीप्त करनेवाला वात-पित्तशामक आहार लेना चाहिए |
☔ हितकर आहार : इस ऋतु में जठराग्नि प्रदीप्त करनेवाले अदरक, लहसुन, नींबू, पुदीना, हरा धनिया, सोंठ, अजवायन, मेथी, जीरा, हींग, काली मिर्च, पीपरामूल का प्रयोग करें | जों, खीरा, लौकी, गिल्की, पेठा, तोरई, आम, जामुन, पपीता, सूरन सेवनीय हैं |
श्रावण मास में दूध व हरी सब्जियाँ न खायें |
वर्षा ऋतु में दही पूर्णत: निषिद्ध है |
ताजी छाछ में काली मिर्च, सेंधा, जीरा, धनिया, पुदीना डालकर ले सकते हैं | उपवास और लघु भोजन हितकारी है | रात को देर से भोजन न करें |
☔ अहितकर आहार : देर से पचनेवाले, भारी, तले, तीखे पदार्थ न लें | जलेबी , बिस्कुट, डबलरोटी आदि मैदे की चीजे , बेकरी की चीजे, उड़द, अंकुरित अनाज, ठंडे पेय पदार्थ व आइस्क्रीम के सेवन से बचे | वर्षा ऋतु में दही पूर्णतः निषिध्द है | श्रावण मास में दूध व हरी सब्जियाँ वर्जित हैं |
☔ हितकर विहार : आश्रमनिर्मित धूप, हवन से वातावरण को शुद्ध व गौ-सेवा फिनायल या गोमूत्र से घर को साफ करें | तुलसी के पौधे लगायें | उबटन से स्नान, तेल की मालिश , हल्का व्यायाम, स्वच्छ व हल्के वस्त्र पहनना हितकारी है | वातावरण में नमी और आर्द्रता के कारण उत्पन्न कीटाणुओं से सुरक्षा हेतु आश्रम की धूप व हवन से वातावरण को शुद्ध तथा गौ सेवा फिनायल या गोमुत्र से घर को स्वच्छ रखें | घर के आसपास पानी इकट्ठा न होने दें | मच्छरों से सुरक्षा के लिए घर में गेंदे के पौधों के गमले अथवा गेंदे के फूल रखें और नीम के पत्ते , गोबर के कंड़े व गूगल आदि का धुआँ करें |
☔ अपथ्य विहार : बारिश में न भींगें | भींगें गीले कपड़े पहनकर न रखें | रात्रि-जागरण, दिन में शयन, खुले में शयन, अति परिश्रम एवं अति व्यायाम वर्जित है |
पंचक आरम्भ -जून 28, 2021, सोमवार को 01:00 pm पंचक अंत - जुलाई 3, 2021, शनिवार को 06:14 am पंचक आरम्भ-जुलाई 25, 2021, रविवार को 10:48 pm पंचक अंत-जुलाई 30, 2021, शुक्रवार को 02:03 pm एकादशी -21 जून- निर्जला एकादशी प्रदोष - 22 जून: भौम प्रदोष
जिनका आज जन्मदिन है उनको हार्दिक बधाई और शुभ आशीष -
दिनांक 21 को जन्मे व्यक्ति निष्कपट, दयालु एवं उच्च तार्किक क्षमता वाले होते हैं। अनुशासनप्रिय होने के कारण कभी-कभी आप तानाशाह भी बन जाते हैं। आप दार्शनिक स्वभाव के होने के बावजूद एक विशेष प्रकार की स्फूर्ति रखते हैं। आप सदैव परिपूर्णता या कहें कि परफेक्शन की तलाश में रहते हैं यही वजह है कि अक्सर अव्यवस्थाओं के कारण तनाव में रहते हैं। अंक ज्योतिष के अनुसार आपका मूलांक तीन आता है। यह बृहस्पति का प्रतिनिधि अंक है। आपकी शिक्षा के क्षेत्र में पकड़ मजबूत होगी। आप एक सामाजिक प्राणी हैं।
शुभ दिनांक : 3, 12, 21, 30
शुभ अंक : 1, 3, 6, 7, 9
शुभ वर्ष : 2028, 2030, 2031, 2034, 2043, 2049, 2052
ईष्टदेव : देवी सरस्वती, देवगुरु बृहस्पति, भगवान विष्णु शुभ रंग : पीला, सुनहरा और गुलाबी I