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21 फरवरी 2023

Updated on 22-02-2023 03:56 AM
दिन - मंगलवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - वसंत*
*⛅मास - फाल्गुन*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - प्रतिपदा सुबह 09:04 तक तत्पश्चात द्वितीया 22 फरवरी प्रातः 05:57 तक*
*⛅नक्षत्र - शतभिषा सुबह 09:00 तक तत्पश्चात पूर्वभाद्रपद*
*⛅योग - सिद्ध 22 फरवरी प्रातः 03:08 तक तत्पश्चात साध्य*
*⛅राहु काल - दोपहर 03:46 से 05:12 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:08*
*⛅सूर्यास्त - 06:39*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:28 से 06:18 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:28 से 01:18 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - पयोव्रत आरम्भ, श्री रामकृष्ण परमहंस जयंती (ति.अ), चन्द्र दर्शन (शाम 06:39 से 07:51 तक)*
*⛅विशेष - प्रतिपदा को कूष्माण्ड (कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है । द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है ।  (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔸 पयोव्रत : 21 फरवरी से 04 मार्च 2023 🔸*

*🔹अद्भुत प्रभाव-संपन्न संतान की प्राप्तिकरने वाला व्रत : पयोव्रत*

*🔹 अद्भुत प्रभाव-सम्पन्न संतान की प्राप्तिकी इच्छा रखनेवाले स्त्री-पुरुषों के लिए शास्त्रों में पयोव्रत करने का विधान है । यह भगवान को संतुष्ट करनेवाला है इसलिए इसका नाम 'सर्वयज्ञ' और 'सर्वव्रत' भी है । यह फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष में किया जाता है । इसमें केवल दूध पीकर रहना होता है ।*

*🔹 व्रतधारी व्रत के दिनों में ब्रह्मचर्य का पालन करे, धरती पर दरी या कंबल बिछाकर शयन करे अथवा गद्दा-तकिया हटा के सादे पलंग पर शयन करे और तीनों समय स्नान करे । झूठ न बोले एवं भोगों का त्याग कर दे। किसी भी प्राणी को कष्ट न पहुँचाये । सत्संग-श्रवण,भजन-कीर्तन, स्तुति-पाठ तथा अधिक-से-अधिक गुरुमंत्र या भगवन्नाम का जप करे । भक्ति भाव से सद्गुरुदेव को सर्वव्यापक परमात्मा स्वरूप जानकर उनकी पूजा करे और स्तुति करे : ‘प्रभो ! आप सर्वशक्तिमान हैं । समस्त प्राणी आपमें और आप समस्त प्राणियों में निवास करते हैं । आप अव्यक्त और परम सूक्ष्म हैं । आप सबके साक्षी हैं । आपको मेरा नमस्कार है ।'*

*🔹 व्रत के एक दिन पूर्व (20 फरवरी) से समाप्ति (04 मार्च) तक करने योग्य :*

*🌹 द्वादशाक्षर मंत्र (ॐ नमो भगवते वासुदेवाय) से भगवान या सद्गुरु का पूजन करें तथा इस मंत्र की एक माला जपें । यदि सामर्थ्य हो तो दूध में पकाये हुए तथा घी और गुड़ मिले हुए चावल का नैवेद्य अर्पण करें और उसीका देशी गौ-गोबर के कंडे जलाकर द्वादशाक्षर मंत्र से हवन करें । (नैवेद्य हेतु दूध के साथ गुड़ का अल्प मात्रा में उपयोग करें ।) नैवेद्य को भक्तों में थोड़ा-थोड़ा बाँट दें । सम्भव हो तो दो निर्व्यसनी, सात्त्विक ब्राह्मणों को खीर का भोजन करायें । अमावस्या के दिन (20 फरवरी को) खीर का भोजन करें । 21 फरवरी को निम्नलिखित संकल्पकरें तथा 04 मार्च तक केवल दूध पीकर रहें ।*

*🌹 संकल्प : मम सकलगुणगनवरिष्ठ महत्त्वसम्पन्नायुष्मत्पुत्रप्राप्तिकामनया विष्णुप्रीतयेपयोव्रतमहं करिष्ये।*

*🌹 व्रत-समाप्ति के अगले दिन (05 मार्च को) सात्विक ब्राह्मण को तथा अतिथियों को अपने सामर्थ्य अनुसार शुद्ध, सात्त्विक भोजन कराना चाहिए । दीन, अंधे और असमर्थ लोगों को भी अन्न आदि से संतुष्ट करना चाहिए । जब सब लोग खा चुके हों तब उन सबके सत्कार को भगवान की प्रसन्नता का साधन समझते हुए अपने भाई-बंधुओं के साथ स्वयं भोजन करें । इस प्रकार विधिपूर्वक यह व्रत करने से भगवान प्रसन्न होकर व्रत करनेवाले  की अभिलाषा पूर्ण करते हैं ।*

*नोट : ब्राह्मण-भोजन के लिए बिना गुड़-मिश्रित खीर बनायें एवं एकादशी (03 मार्च) के दिन खीर चावल की न बनायें अपितु मोरधन, सिंघाड़े का आटा, राजगिरा आदि उपवास में खायी जानेवाली चीजें डालकर बनायें ।*

 *🔹वसंत ऋतु में क्या करें क्या न करें ?🔹* 

*🔹19 फरवरी से 20 अप्रैल तक क्या करें ?🔹*

*🔸1] कड़वे, तीखे, कसैले, शीघ्र पचनेवाले, रुक्ष (चिकनाईरहित) व उष्ण पदार्थों का सेवन करें । (अष्टांगह्रदय, योगरत्नाकर )*

*🔸2] पुराने जौ तथा गेहूँ की रोटी, मूँग, साठी चावल, करेला, लहसुन, अदरक, सूरन, कच्ची मूली, लौकी, तोरई, बैंगन, सोंठ, काली मिर्च, पीपर, अजवायन, राई, हींग, मेथी, गिलोय, हरड, बहेड़ा, आँवला आदि का सेवन हितकारी है ।*

*🔸3] सूर्योदय से पूर्व उठकर प्रात:कालीन वायु का सेवन, प्राणायाम, योगासन - व्यायाम, मालिश, उबटन से स्नान तथा जलनेति करें ।*

*🔸4] अंगारों पर थोड़ी-सी अजवायन डालकर उसके धूएँ का सेवन करने से सर्दी, जुकाम, कफजन्य सिरदर्द आदि में लाभ होता है ।*

*5] २ से ३ ग्राम हरड चूर्ण में समभाग शहद मिलाकर सुबह खाली पेट लेने से रसायन के लाभ प्राप्त होते हैं ।*

*🔸19 फरवरी से 20 अप्रैल तक क्या न करें ?*

*🔹1] खट्टे, मधुर, खारे, स्निग्ध (घी – तेल से बने), देर से पचनेवाले व शीतल पदार्थो का सेवन हितकर नहीं है, अत: इनका सेवन अधिक न करें । (अष्टांगह्रदय, चरक संहिता )*

*🔹2] नया गेहूँ व चावल, खट्टे फल, आलू, उड़द की दाल, कमल – ककड़ी, अरवी, पनीर, पिस्ता, काजू, शरीफा, नारंगी, दही, गन्ना, नया गुड़, भैस का दूध, सिंघाड़े, कटहल आदि का सेवन अहितकर है ।*

*🔹3] दिन में सोना, ओस में सोना, रात्रि–जागरण, परिश्रम न करना हानिकारक है । अति परिश्रम या अति व्यायाम भी न करें ।*

*🔹4] आइसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक्स व फ्रिज के ठंडे पानी का सेवन न करें ।*

 *🔹5] एक साथ लम्बे समय तक बैठे या सोयें नहीं तथा अधिक देर तक व ठंडे पानी से स्नान न करें ।*

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