नेपाल के विदेश मंत्री नारायण प्रकाश सौद ने कहा है कि रूस और यूक्रेन की जंग में 200 नेपाली नागरिक सैनिक के तौर पर रूस की तरफ से लड़ रहे हैं। इनमें से 100 लोगों के बारे में कोई जानकारी नहीं है। इस महीने की शुरुआत में 6 नेपाली नागरिक यूक्रेन के खिलाफ लड़ते हुए मारे गए थे।
इसके बाद नेपाल सरकार ने रूस से कहा था कि वो जंग में शामिल तमाम नेपाली नागरिकों को मुआवजा और बाकी सहूलियतें देते हुए उन्हें फौरन नेपाल भेजने का इंतजाम करे। हालांकि, इसके बाद रूस ने क्या कदम उठाए, इसकी जानकारी अब तक सामने नहीं आई है।
100 नेपाली नागरिक घायल
नेपाल की एक न्यूज एजेंसी को दिए इंटरव्यू में सौद ने कहा- कुल मिलाकर 200 नेपाली नागरिक बतौर रूसी सैनिक यूक्रेन के खिलाफ जारी जंग में शामिल हैं। इनमें से 100 लापता हैं। हो सकता है कि कुछ घायल हों, मारे गए हों या फिर यूक्रेन की हिरासत में हों। हमारे पास इस बारे में सटीक और पुख्ता जानकारी नहीं है। हमने इस बारे में रूसी सरकार से बातचीत की है।
फॉरेन मिनिस्टर ने आगे कहा- रूसी सरकार ने हमें बताया है कि कुछ नेपाली नागरिक जंग में शामिल हैं। इनमें से 7 की मौत हो गई है। हमें कुछ नेपाली परिवारों ने उनके परिजनों के लापता होने की जानकारी दी है। इसकी जांच की जा रही है।
विदेश मंत्री के मुताबिक- हमने रूसी एंबेसेडर को बुलाकर उनके सामने तमाम बातें रखी थीं। हमने उनसे गुजारिश की थी वो हमारी चिंताओं के बारे में व्लादिमिर पुतिन सरकार से बातचीत करें और उठाए गए कदमों के बारे में भी बताएं। हम अब भी यह नहीं जानते कि वास्तव में हमारे देश के कितने नागरिक इस जंग में रूस की तरफ से लड़ रहे हैं। 200 लोगों के बारे में अनुमान कुछ जानकारी के आधार पर लगाया गया है।
अब सर्टिफिकेट की जरूरत
नेपाल के फॉरेन मिनिस्टर ने कहा- जंग के हालात में कुछ कदम उठाना मुश्किल होता है। बहरहाल, हमने भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका और 6 खाड़ी देशों के रास्ते रूस जाने वाले नेपाली नागरिकों के लिए नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लेना जरूरी कर दिया है। इसमें उन्हें बताना होगा कि वो रूस क्यों जाना चाहते हैं। इस सर्टिफिकेट के बिना वो मॉस्को नहीं जा सकेंगे।
इसके अलावा नेपाली सरकार अपने उन नागरिकों को यूक्रेन से छुड़ाने की भी कोशिश कर रही है, जिनके बारे में शक है कि वो लंबे वक्त से वहां की जेलों में या फौज की कैद में हैं। इस वक्त इजराइल और हमास की जंग भी चल रही है। हमास की कैद में नेपाल का एक स्टूडेंट बिपिन सूद भी है। इसको भी रिहा कराने की कोशिश की जा रही है।
नेपाल का रुख अब सख्त
इस महीने की शुरुआत में यूक्रेन के खिलाफ रूस की तरफ से लड़ते हुए 6 नेपाली सैनिक मारे गए थे और एक को यूक्रेनी फौज ने गिरफ्तार कर लिया था। यह खबर सामने आने के बाद नेपाल ने रूस से कहा है कि वो उसके नागरिकों का इस्तेमाल बंद करे।
दरअसल, मारे गए सभी नेपाली भाड़े के सैनिक के तौर पर रूसी सेना के लिए काम कर रहे थे। इस मामले के सामने आने के बाद यह साफ हो गया है कि नेपाल के कई नौजवान पैसे की खातिर रूस के लिए जंग के मैदान में मौजूद हैं।
रूस और यूक्रेन की जंग 24 फरवरी 2022 को शुरू हुई थी। इसके बाद कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जाता रहा कि रूस के पास सैनिकों की कमी हो गई है और वो इस कमी को दूर करने के लिए गरीब देशों के नौजवानों को लालच दे रहा है। इस मामले में सबसे ज्यादा नेपाल के नौजवानों की चर्चा हुई।
बहरहाल, यह पहली बार है जब नेपाल ने सार्वजनिक तौर पर यह माना है कि यूक्रेन के खिलाफ जंग में रूस उसके युवाओं का इस्तेमाल कर रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक- मारे गए नेपाली सैनिकों को नियमों के तहत रिक्रूट नहीं किया गया था। यानी ये पेरोल पर नहीं थे, बल्कि ये सभी भाड़े पर लिए गए थे। इसके मायने ये हुए कि या तो इन्हें एक तय रकम देने के वादे पर लड़ने भेजा गया था या फिर ये रूसी फौज के कॉन्ट्रैक्ट पर थे।
पैसे की लिए जोखिम
वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक- ज्यादातर नेपाली नागरिक पैसा कमाने की खातिर दूसरे देशों में जाते हैं। कई बार ये बेहद जोखिम वाले काम भी करते हैं। खास बात यह है कि ये नेपाली नागरिक जितना पैसा अपने देश भेजते हैं वो करीब-करीब नेपाल की जीडीपी के बराबर है।
भारत के अलावा ब्रिटिश आर्मी में भी नेपाली गोरखा रिक्रूट किए जाते हैं। यह सिलसिला 1815 में शुरू हुआ था। उस वक्त भारत पर ब्रिटेन का शासन था। ब्रिटिश क्वीन एलिजाबेथ कई बार गोरखा यूनिट से मिलीं थीं।