*⛅तिथि - त्रयोदशी सुबह 09:59 तक तत्पश्चात चतुर्दशी*
*⛅नक्षत्र - मूल दोपहर 12:40 तक तत्पश्चात पूर्वाषाढ़ा*
*⛅योग - व्याघात शाम 06:58 तक तत्पश्चात हर्षण*
*⛅राहु काल - सुबह 11:29 से 12:51 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:23*
*⛅सूर्यास्त - 06:19*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:38 से 06:30 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:25 से 01:17 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - मासिक शिवरात्रि, चतुर्दशी क्षय तिथि*
*⛅विशेष - त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*चतुर्दशी के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
*🌹 मासिक शिवरात्रि : 20 जनवरी 2023*🌹
*🌹कर्ज मुक्ति हेतु -*
*🌹 हर मासिक शिवरात्रि को सूर्यास्त के समय घर में बैठकर अपने गुरुदेव का स्मरण करके शिवजी का स्मरण करते-करते ये 17 मंत्र बोलें ! जिनके सिर पर कर्जा ज्यादा हो वो शिवजी के मंदिर में जाकर दिया जलाकर ये 17 मंत्र बोलें ! इससे कर्जे से मुक्ति मिलेगी ।*
🌹1) *ॐ शिवाय नमः*
🌹2) *ॐ सर्वात्मने नमः*
🌹3) *ॐ त्रिनेत्राय नमः*
🌹4) *ॐ हराय नमः*
🌹5) *ॐ इन्द्रमुखाय नमः*
🌹6) *ॐ श्रीकंठाय नमः*
🌹7) *ॐ सद्योजाताय नमः*
🌹8) *ॐ वामदेवाय नमः*
🌹9) *ॐ अघोरहृदयाय नम:*
🌹10) *ॐ तत्पुरुषाय नमः*
🌹11) *ॐ ईशानाय नमः*
🌹12) *ॐ अनंतधर्माय नमः*
🌹13) *ॐ ज्ञानभूताय नमः*
🌹14) *ॐ अनंतवैराग्यसिंघाय नमः*
🌹15) *ॐ प्रधानाय नमः*
🌹16) *ॐ व्योमात्मने नमः*
🌹17) *ॐ व्यूक्तकेशात्मरूपाय नम:*
*🔸वास्तुदोष निवारण के उपाय🔸*
*🔹(२) घर में वास्तुदोष से होनेवाली समस्याओं की शांति के लिए एक लोटा शुद्ध जल लेकर उसमें थोड़ा-सा गोमूत्र या एक-दो ढक्कन गोमूत्र अर्क मिला लें और गायत्री मंत्र का १०८ बार जप करें । इसके बाद आम के पत्तों अथवा साबुत डंडीवाले पान के पत्ते से पूरे घर में अभिमंत्रित जल छिड़क दें । यह प्रयोग रोज न कर सकें तो रविवार के दिन करें । गोमूत्र देशी गाय का ही होना चाहिए ।*
*🔹 अमरूद के लाभ 🔹*
*(1) अमरूद शक्तिदायक, कफ-वीर्य वर्धक तथा वायु व पित्त शामक है ।*
*(2) यह सत्त्वगुण व बुद्धि वर्धक है । अतः बौद्धिक सोच-विचार व कम याददाश्त वालों हेतु विशेष हितकारी है ।*
*(3) यह थकान को दूर करता है ।*
*(4) प्यास व जलन को शांत करता है । गर्मी से उत्पन्न रोगों में हितकारी है ।*
*(5) अमरूद में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, रेशे (षळलीशी), विटामिन ‘ए’, ‘ई’, ‘के’, ‘बी-6’, थायमीन, राइबोफ्लेविन, नायसिन, कैल्शियम, मैग्नेशियम, फॉस्फोरस, पोटैशियम, लौह, जस्ता, ताँबा आदि पोषक तत्त्वों के साथ विटामिन ‘सी’ प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जिससे इसके सेवन से अनेक बीमारियाँ दूर होती हैं ।*