नक्षत्र - शतभिषा रात्रि 09:01 तक तत्पश्चात पूर्व भाद्रपद
योग - वज्र दोपहर 12:03 तक तत्पश्चात सिद्धि
राहुकाल - शाम 04:41 से शाम 06:02 तक
सूर्योदय - 07:12 सूर्यास्त - 18:00
दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
व्रत पर्व विवरण - चम्पा षष्ठी, रविवारी सप्तमी (दोपहर 02:54 से 21 दिसम्बर सूर्योदय तक
विशेष - षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण,
वास्तु दोष
जिन के घर का मुख दक्षिण में हो, वे अपने घर के दरवाजे के बाहर एक गमले में आम का पौधा लगायें और गुरुमंत्र का जप करें ।
गंगा स्नान का फल
"जो मनुष्य आँवले के फल और तुलसीदल से मिश्रित जल से स्नान करता है, उसे गंगा स्नान का फल मिलता है ।" (पद्म पुराण , उत्तर खंड)
चिंता, कष्ट, बीमारी निवृति के लिए
जिनके घर में चिंता, कष्ट और बीमारी ज्यादा है | भविष्य पुराण में आया है की मार्गशीर्ष मास में शुक्ल पक्ष की सप्तमी माने 21 दिसम्बर 2020 को सोमवार के दिन सुबह सूर्य भगवान को तिल के तेल का दीपक दिखाये अर्घ्य दे |
सूर्य भगवान को अर्घ्य दो तो इस भाव से – मन में एक बार स्मरण कर लेना की भगवत गीता में आपने कहाँ है – “ज्योति श्याम रविरंशुमान” ये ज्योतियों में सूर्य मै हूँ .... तो मेरा अर्घ्य स्वीकार करो | मेरा ये प्रणाम स्वीकार करें |
तो उस दिन को लोटे में चावल, तिल, कुंमकुम, केसर डालकर अर्घ्य दे | केसर न हो तो ऐसे ही कुंमकुम डाल दें अर्घ्य दें, तिल का दिया दिखा दें |
फिर घर में भोजन बने और सब खाये उसके पहले दही और चावल थाली में लेकर सूर्य भगवान को भोग लगाये और प्रार्थना करें हमारे घर में आपके लिए ये प्रसाद तैयार किया है ये नैवेद्य आप सूर्य भगवान स्वीकार करें और हमारे घर में सब प्रकार से आनंद छाया रहे, सब निरोग रहें, दीर्घायु बने | ऐसा करके उनको भोग लगाये और प्रसाद थोडा-सा छ्त पर रख दें घर के लोग भी प्रसाद में दही-चावल खुद भी खा लें |